स्कूल के मुख्याध्यापक एवं विज्ञान के शिक्षक डॉ. संजीव अत्री ने शिक्षकों के सहयोग से पेन का डिजाइन बनवाया और 45,000 रुपये की लागत से तीन माह में इसे तैयार भी करवाया। इस पेन को शक्ति नाम दिया गया है। लोहे और लकड़ी से पेन तैयार करने में जो खर्च आया, उसे सभी शिक्षकों ने वहन किया। इसमें लगे सेंसर हर तरह की कमांड संभालेंगे। इससे पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड में 18 फीट लंबा बॉल पेन दर्ज है।
प्रार्थना सभा करवाएगा, गीत-कहानी भी सुनाएगा
ये पेन लिख सकता है। शारीरिक शिक्षक की गैर मौजूदगी में बच्चों को प्रार्थना सभा करवा सकता है। किसी शिक्षक के छुट्टी पर जाने पर उनकी आवाज में पाठ पढ़ा सकेगा। इसके लिए एक दिन पहले उस शिक्षक को अपना पाठ पेन में रिकॉर्ड करना होगा। परिसर में स्थापित होने से यह सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
गीत, कहानी जैसी हर चीज बच्चों को सुना सकता है। इसका नियंत्रण मुख्याध्यापक कार्यालय में रहेगा। स्कूल परिसर की हर गतिविधि भी पेन में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद होगी। पेन जो पढ़ाई करवाएगा, उसकी सारी रिपोर्टिंग नियंत्रण कक्ष को भी भेजेगा।
दो लीटर स्याही की क्षमता
मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा पेन है। इसमें एक समय में दो लीटर स्याही डाली जा सकती है। इसमें सोलर सिस्टम भी स्थापित किया जाएगा, जो रात को रोशनी बिखेरेगा। उन्होंने कहा कि लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को इस बारे में मेल से जानकारी दी गई। रिस्पांस मिलने के बाद उन्हें फोटो भी भेजी जा चुकी है।