Vastu Tips: वास्तु पुरुष के मुख से निकलता रहता है तथास्तु, घर में कभी न बोलें बुरे वचन | Vastu Tips Know Keep Saying Tathastu Will Give Positive Energy and Benefits in Hindi

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Vastu Tips: वास्तु पुरुष औंधा लेटा हुआ है जिसका सिर ईशान दिशा में और पैर नैऋत्य में हैं। हाथ-पैर की संधियां आग्नेय और वायव्य कोण में हैं।

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Vastu Tips:


Vastu
Tips:

जब
भी
किसी
भवन
के
निर्माण
की
बात
आती
है
तो
वास्तु
पुरुष
का
नाम
अवश्य
आता
है।
वैदिक
काल
से
वास्तु
शास्त्र
भारत
की
भवन
निर्माण
की
वैज्ञानिक
पद्धति
रहा
है
और
आज
भी
इसके
सिद्धांत
जस
के
तस
सटीक
और
काम
के
हैं।
वास्तु
शास्त्र
में
एक
वास्तु
पुरुष
या
वास्तु
देव
बताया
गया
है
जिसे
भवन
के
प्रमुख
देवता
के
रूप
में
वर्णित
किया
गया
है।
ऋग्वेद
के
सातवें
मंडल
के
54वें
सूक्त
में
वास्तोष्यतिदेव
कहा
गया
है
और
54
एवं
55वें
सूक्त
में
उनकी
स्तुति
एवं
प्रार्थना
की
गई
है।
इसमें
कहा
गया
है
वास्तु
पुरुष
प्रत्येक
भवन
के
तल
में
भूमि
के
नीचे
निवास
करता
है
और
उसके
मुख
से
सदैव
तथास्तु
तथास्तु
निकलता
रहता
है।
इसलिए
घर
में
कभी
भी
असत्य
और
बुरे
वचन
नहीं
बोलने
चाहिए,
अन्यथा
वास्तु
देव
के
तथास्तु
कहते
ही
वे
बुरे
वचन
भी
सच
हो
जाते
हैं।


कैसे
हुए
वास्तु
पुरुष
का
जन्म

वास्तु
पुरुष
की
संकल्पना
वैदिक
काल
से
चली

रही
है।
शास्त्रों
के
अनुसार
प्राचीनकाल
में
अंधकासुर
दैत्य
और
भगवान
शंकर
के
बीच
घमासान
युद्ध
हुआ।
इस
युद्ध
में
शंकरजी
के
शरीर
से
पसीने
की
कुछ
बूंदें
जमीन
पर
गिरीं।
उन
बूंदो
से
आकाश
से
पाताल
तक
को
भयभीत
कर
देने
वाला
एक
भयानक
प्राणी
प्रकट
हुआ।
यह
प्राणी
तुरंत
देवों
को
मारने
दौड़ा।
सब
देवताओं
ने
अपनी
शक्तियों
का
संयुक्त
प्रयोग
करके
उस
प्राणी
को
पकड़कर
उसे
मुंह
नीचे
करके
दबा
दिया
और
उसे
शांत
करने
के
लिए
वर
दिया
कि
सभी
शुभ
कार्यों
में
तेरी
पूजा
होगी।
देवों
ने
उस
पुरुष
पर
वास
किया
इसलिए
उसका
वास्तु
पुरुष
नाम
प्रचलित
हुआ।


कब
की
जाती
है
वास्तु
पुरुष
की
पूजा

देवताओं
के
वरदान
के
फलस्वरूप
वास्तु
पुरुष
की
पूजा
प्रत्येक
शुभ
कार्य
में
की
जाती
है।
गृह
निर्माण
प्रारंभ,
प्रथम
द्वार
बनाने
के
समय
और
भवन
निर्माण
पूरा
हो
जाने
पर
गृह
प्रवेश
के
समय।
इन
तीनों
समय
वास्तु
पुरुष
का
पूजन
अनिवार्य
होता
है।
इसके
अलावा
यज्ञोपवीत,
विवाह,
जीर्णोद्धार,
टूटे
मकान
को
बनाने
के
बाद,
प्राकृतिक
आपदा
में
क्षतिग्रस्त
भवन
के
पुनर्निर्माण
के
समय,
सर्प,
चांडाल,
उल्लू
से
युक्त
मकान
में
पुन:
निवास
करने
के
लिए,
जिस
घर
में
कबूतरों
का
निवास
या
मधुमक्खी
का
छत्ता
हो,
जहां
स्त्रियां
लड़ती
हों,
इनके
अलावा
घर
में
संतान
का
जन्म
हो
तब
वास्तु
पुरुष
का
पूजन
करना
अनिवार्य
होता
है।


घर
में
हमेशा
बोलें
शुभ-शुभ

वास्तु
शास्त्र
में
वास्तु
पुरुष
को
भवन
का
संरक्षक
कहा
गया
है।
नया
भवन
बनाने
पर
वास्तु
शांति
या
वास्तु
यज्ञ
किया
जाता
है।
उस
समय
वास्तु
पुरुष
की
प्रतिमा
मकान
के
आग्नेय
कोण
में
गहरा
गड्ढा
खोदकर
स्थापित
की
जाती
है
और
उस
गड्ढे
को
बंद
कर
दिया
जाता
है।
वास्तु
पुरुष
के
मुख
से
हमेशा
तथास्तु
निकलता
रहता
है।
इसलिए
घर
में
कभी
अभद्र
या
दुर्वचन
नहीं
बोलने
चाहिए।
घर
में
हमेशा
शुभ,
अच्छे
और
मीठे
वचन
बोलने
चाहिए।
यदि
हम
कहेंगे
कि
घर
में
पैसा
खत्म
हो
गया
है
तो
वास्तु
पुरुष
के
तथास्तु
बोलते
ही
घर
में
बचा
खुचा
पैसा
भी
खत्म
हो
जाएगा।

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2023
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