Varuthini Ekadashi 2023: वरूथिनी एकादशी इस साल 16 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस व्रत के दिन भगवान विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा की जाती है।
Astrology
lekhaka-Gajendra sharma

वैशाख
मास
के
कृष्ण
पक्ष
की
एकादशी
को
वरूथिनी
एकादशी
के
नाम
से
जाना
जाता
है।
इस
एकादशी
के
दिन
बन
रहे
विशेष
संयोंगों
में
भगवान
नारायण
का
पूजन
सर्वसिद्धिदायक
और
सुख-समृद्धि
बढ़ाने
वाला
होता
है।
एकादशी
के
दिन
रविवार
है
और
रात्रि
12
बजकर
11
मिनट
तक
शुक्ल
योग
रहेगा,
इसके
बाद
ब्रह्म
योग
प्रारंभ
हो
जाएगा।
सायंकाल
6
बजकर
13
मिनट
से
द्वादशी
तिथि
प्रारंभ
हो
जाएगी।
इस
कारण
त्रिपुष्कर
योग
प्रारंभ
हो
जाएगा।
इस
प्रकार
सूर्योदय
से
सूर्यास्त
तक
रवि-शुक्ल
और
सूर्यास्त
के
बाद
त्रिपुष्कर
योग
प्रारंभ
हेागा।
इन
योगों
में
श्रीहरि
का
व्रत
पूजन
भक्ति
भाव
से
करें।
जिस
कामना
की
धारणा
करेंगे
वह
अवश्य
पूरी
होगी।
वरूथिनी
एकादशी:
व्रत
पूजन
विधि
वरूथिनी
एकादशी
के
दिन
व्रती
सूर्योदय
पूर्व
उठ
जाए।
स्नानादि
दैनिक
कार्यों
से
निवृत्त
होकर
साफ-स्वच्छ
वस्त्र
धारण
करे।
अपने
पूजा
स्थान
को
स्वच्छ
करके
एकादशी
व्रत
का
संकल्प
लें।
भगवान
विष्णु
के
वराह
स्वरूप
का
ध्यान
करके
पूजन
करें।
एकादशी
व्रत
का
कथा
सुनें।
इस
दिन
श्रीहरि
को
खरबूजे
का
नैवेद्य
लगाना
चाहिए।
व्रत
दिनभर
निराहार
रहे।
आवश्यकतानुसार
फलाहार
ले
सकते
हैं।
रात्रि
जागरण
करें।
दूसरे
दिन
व्रत
का
पारणा
करें।
वरूथिनी
एकादशी:
जलकुंभ
दान
का
महत्व
वरूथिनी
एकादशी
के
दिन
जलकुंभ
का
दान
करना
चाहिए।
वैशाख
मास
में
भीषण
गर्मी
प्रारंभ
हो
जाती
है।
किसी
जरूरतमंद
या
गरीब
व्यक्ति
को
जलकुंभ
और
खरबूजे
का
दान
देना
चाहिए।
इस
दिन
मंदिरों
में,
सार्वजनिक
स्थानों
में
प्याऊ
लगवाने
का
बड़ा
महत्व
है।
ब्राह्मणों
को
खरबूजे
और
फलों
का
दान
देकर
आशीर्वाद
लें।
समृद्धि
के
लिए
उपाय
1.
जिन
युवक-युवतियों
के
विवाह
में
बाधा
आ
रही
है
वे
वरूथिनी
एकादशी
के
दिन
भगवान
विष्णु
को
पीले
पुष्प
अर्पित
कर
देसी
घी
या
देसी
घी
से
बनी
मिठाई
का
नैवेद्य
लगाएं।
काम
जल्दी
बनने
लगेगा।
2.
सुख
समृद्धि
के
लिए
आज
के
दिन
किसी
विष्णु
मंदिर
में
बैठकर
विष्णु
सहस्रनाम
का
पाठ
करें।
वरूथिनी
एकादशी
एकादशी
प्रारंभ
:
15
अप्रैल
रात्रि
8:44
बजे
से
एकादशी
पूर्ण
:
16
अप्रैल
सायं
6:13
बजे
तक
व्रत
का
पारणा
:
17
अप्रैल
प्रात:
6:05
से
8:38
तक
English summary
Varuthini Ekadashi 2023: kab hai varuthini ekadashi Puja Vidhi vrat katha Upaya