पहाड़ में मतदान पर भी दिखा पलायन का असर, सबसे अधिक साक्षर जिलों में पड़े सबसे कम वोट

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बिशन सिंह बोरा 
Published by: रेनू सकलानी
Updated Thu, 17 Feb 2022 10:11 AM IST

सार

कोविड के दौरान कई लोग वापस गांव की ओर लौटे, लेकिन मतदान से पहले ही यह लोग नौकरी के लिए जनपद एवं प्रदेश से बाहर चले गए। जिसने मतदान प्रतिशत को प्रभावित किया।

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पहाड़ में मतदान पर भी पलायन का असर दिखा है। पौड़ी और अल्मोड़ा में साक्षरता दर अधिक होने के बावजूद यहां मतदान कम हुआ है। खासकर अल्मोड़ा की सल्ट विधानसभा में राज्यभर में सबसे कम 44 फीसदी और दूसरे नंबर पर पौड़ी की चौबट्टाखाल विधानसभा में 44.27 फीसदी मतदान हुआ है। हालांकि, इसकी एक अन्य वजह सर्द मौसम को भी बताया जा रहा है।
 
प्रदेश की कुछ पर्वतीय विधानसभा सीटों पर कम मत प्रतिशत पर पूर्व आईएएस एसएस पांगती कहते हैं कि पौड़ी और अल्मोड़ा दो ऐसे जिले हैं। जो सबसे अधिक पलायन प्रभावित हैं। हालांकि, कोविड के दौरान कई लोग वापस गांव की ओर लौटे, लेकिन समझा जा रहा है कि मतदान से पहले ही यह लोग नौकरी के लिए जनपद एवं प्रदेश से बाहर चले गए।

मतदाताओं में उदासीनता
साक्षरता दर अधिक होने के बावजूद इन जिलों की विभिन्न विधानसभा सीटों पर कम मतदान की एक अन्य वजह मतदाताओं में उदासीनता भी हो सकती है। पूर्व शिक्षा सचिव एमसी जोशी बताते हैं कि कई लोगों के वोटर लिस्ट में नाम होते हैं, लेकिन वह नौकरी के लिए जिले एवं प्रदेश से बाहर हैं। इसके अलावा मौसम भी कम मतदान की वजह हो सकता है।

ये भी पढ़े..उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: प्रदेश में हुआ 65.37 प्रतिशत मतदान, 2017 के 65.56 फीसदी के मुकाबले आई मामूली गिरावट

इन जिलों में वोटर लिस्ट का सही से सत्यापन किया जाना चाहिए। देखा जाना चाहिए कि मतदाता सूची में जिन लोगों के नाम हैं वह लोग वास्तव में क्षेत्र में निवास कर रहे हैं या नहीं। पूर्व शिक्षा सचिव के मुताबिक क्षेत्र के सिटिंग एमएलए या फिर चहेते प्रत्याशी को टिकट न मिलना भी इसकी एक वजह हो सकती है। 

कम मतदान ने बढ़ाई प्रत्याशियों की धड़कने 
प्रदेश की पौड़ी और अल्मोड़ा जिले की विभिन्न विधानसभा सीटों पर कम मतदान प्रतिशत ने प्रत्याशियों की धड़कन बढ़ाई हुई है। प्रत्याशी अपने-अपने तरीके से हार जीत की गुणा-भाग में लगे हैं। 

विस्तार

पहाड़ में मतदान पर भी पलायन का असर दिखा है। पौड़ी और अल्मोड़ा में साक्षरता दर अधिक होने के बावजूद यहां मतदान कम हुआ है। खासकर अल्मोड़ा की सल्ट विधानसभा में राज्यभर में सबसे कम 44 फीसदी और दूसरे नंबर पर पौड़ी की चौबट्टाखाल विधानसभा में 44.27 फीसदी मतदान हुआ है। हालांकि, इसकी एक अन्य वजह सर्द मौसम को भी बताया जा रहा है।

 

प्रदेश की कुछ पर्वतीय विधानसभा सीटों पर कम मत प्रतिशत पर पूर्व आईएएस एसएस पांगती कहते हैं कि पौड़ी और अल्मोड़ा दो ऐसे जिले हैं। जो सबसे अधिक पलायन प्रभावित हैं। हालांकि, कोविड के दौरान कई लोग वापस गांव की ओर लौटे, लेकिन समझा जा रहा है कि मतदान से पहले ही यह लोग नौकरी के लिए जनपद एवं प्रदेश से बाहर चले गए।

मतदाताओं में उदासीनता

साक्षरता दर अधिक होने के बावजूद इन जिलों की विभिन्न विधानसभा सीटों पर कम मतदान की एक अन्य वजह मतदाताओं में उदासीनता भी हो सकती है। पूर्व शिक्षा सचिव एमसी जोशी बताते हैं कि कई लोगों के वोटर लिस्ट में नाम होते हैं, लेकिन वह नौकरी के लिए जिले एवं प्रदेश से बाहर हैं। इसके अलावा मौसम भी कम मतदान की वजह हो सकता है।

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इन जिलों में वोटर लिस्ट का सही से सत्यापन किया जाना चाहिए। देखा जाना चाहिए कि मतदाता सूची में जिन लोगों के नाम हैं वह लोग वास्तव में क्षेत्र में निवास कर रहे हैं या नहीं। पूर्व शिक्षा सचिव के मुताबिक क्षेत्र के सिटिंग एमएलए या फिर चहेते प्रत्याशी को टिकट न मिलना भी इसकी एक वजह हो सकती है। 

कम मतदान ने बढ़ाई प्रत्याशियों की धड़कने 

प्रदेश की पौड़ी और अल्मोड़ा जिले की विभिन्न विधानसभा सीटों पर कम मतदान प्रतिशत ने प्रत्याशियों की धड़कन बढ़ाई हुई है। प्रत्याशी अपने-अपने तरीके से हार जीत की गुणा-भाग में लगे हैं। 

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