निर्माण शुरू होने के साथ ही उनका कार्यकाल पूरा हो गया था और वह दोबारा सत्ता में नहीं लौट पाए। इसके बाद 2007 में जब मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी(सेनि) मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस आवास का निर्माण कार्य पूरा कराया। उन्होंने ही आधिकारिक तौर पर इसका उद्घाटन भी किया लेकिन वह ज्यादा दिन सीएम नहीं रह पाए। इ
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सके बाद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक सूबे के मुख्यमंत्री बने। वह भी इस बंगले में आए लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। इसके बाद विजय बहुगुणा, त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस आवास में रहे और कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। हालांकि हरीश रावत जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस आवास में कदम नहीं रखा।
कई संकटों के बावजूद उन्होंने कार्यकाल पूरा कर लिया था। जब धामी, प्रदेश के नए मुखिया बने तो उन्होंने सीएम आवास में ठिकाना बनाया। विधानसभा चुनाव में तो वह हार गए लेकिन मुख्यमंत्री की दौड़ में जीत गए।
उनके दोबारा मुख्यमंत्री बनने के साथ ही सीएम आवास का यह मिथक टूट गया। सीएम आवास में पहाड़ी शैली से मुख्य दरवाजे के बाद मुख्य बिल्डिंग बनी हुई है।
महंगी लकड़ियों से खिड़की और दरवाजे बनाए गए हैं। पहाड़ी शैली में डिजाइन किया गया 60 कमरों वाला विशाल बंगला 2010 में बनाया गया था। इसमें एक बैडमिंटन कोर्ट, स्विमिंग पूल, कई लॉन, सीएम और उनके स्टाफ सदस्यों के लिए अलग-अलग कार्यालय हैं।
अंदर दाखिल होते हुए राजस्थानी पत्थरों से किए गए काम नजर आते हैं। मुख्यमंत्री के दफ्तर को बेहद शानदार तरीके से बनाया गया है।