हाइलाइट्स
यूक्रेन की सीमा से सटे पोलैंड के एक गांव में एक मिसाइल के गिरने से 2 लोगों की मौत हो गई है.
इसके बाद नाटो देशों के साथ रूस का तनाव एक नए दौर में पहुंच गया है.
देखना है कि दुनिया में थर्ड वर्ल्ड वॉर का खतरा टलता है या फिर एक बार इतिहास खुद को दोहराता है.
वारसा. 1 सितंबर, 1939 की सुबह लगभग 15 लाख जर्मन सैनिकों ने 2,000 से अधिक हवाई जहाजों और 2,500 से अधिक टैंकों के साथ पोलैंड की सीमा को पार किया और अपने रास्ते में आने वाली हर बाधा को तेजी से रौंदते हुए वारसा की ओर बढ़ने लगे. जर्मनी के पोलिश सीमा पार करने की खबर जैसे ही लंदन पहुंची, वहां हड़कंप मच गया. ब्रिटेन ने नाजी तानाशाह एडॉल्फ हिटलर को पोलैंड से तत्काल बाहर निकलने या फिर जंग का ऐलान करने का एक अल्टीमेटम दिया. हिटलर ने इस मांग को नजरअंदाज कर दिया और उसके दो दिन बाद 3 सितंबर, 1939 को ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ जंग की घोषणा कर दी. इस तरह सेकेंड वर्ल्ड वॉर शुरू हुआ.
बहरहाल पोलैंड पर हमला हिटलर के यूरोपीय वर्चस्व के लक्ष्य के लिए जर्मन सेना को उतारने का पहला मामला नहीं था. इससे पहले 30 सितंबर, 1938 को म्यूनिख में एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. जिसमें हिटलर को चेकोस्लोवाकिया का जर्मन-भाषी हिस्सा सुडेटेनलैंड इस शर्त पर दिया गया कि वह किसी और इलाके पर हमला नहीं करेगा. लेकिन छह महीने बाद 1939 के मार्च महीने में हिटलर ने पूरे चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा करके म्यूनिख समझौते का उल्लंघन किया. फिर भी ब्रिटेन और उसके सहयोगियों ने जर्मनी के खिलाफ संयम दिखाया. इसके बावजूद 6 महीने के बाद ही सेकेंड वर्ल्ड वॉर शुरू हो गया.
हिटलर का मंसूबा पहले से था पता
पहले से ही अफवाहें तैरने लगीं थी कि अब हिटलर का अगला निशाना पोलैंड है, जिस पर वह लंबे समय से नजर गड़ाए हुए है. फ्रांस के साथ ब्रिटेन ने 31 मार्च, 1939 को वादा किया कि अगर जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया, तो वे पोलैंड की रक्षा के लिए आएंगे. उसी साल मार्च में म्यूनिख समझौते को तोड़कर और चेकोस्लोवाकिया पर हमला करके हिटलर ने साबित कर दिया था कि उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और उसे रोका जाना चाहिए. मार्च 1939 में चेकोस्लोवाकिया पर हमले के साथ ही ब्रिटिश सरकार के सामने ये बात साफ हो गई कि हिटलर पूरे यूरोप पर जीत हासिल करने अपना प्रभुत्व लादने के लिए आमादा है. हिटलर की प्रोपेगेंडा मशीन ने लेबेन्सरम (Lebensraum) के सिद्धांत का जमकर प्रचार किया जिसके मुताबिक जर्मनों को ‘रहने के लिए और जगह की जरूरत है. इसके अलावा नस्ली भावना से प्रेरित तानाशाह हिटलर का मानना था कि पोलिश आबादी नस्लीय रूप से जर्मनों से हीन थी. इसलिए वे आसानी से हार जाएंगे और गुलाम बन जाएंगे.
अक्सर खुद को दोहराता है इतिहास
कहते हैं कि इतिहास अक्सर खुद को दोहराता है. रूस के तानाशाह कहे जाने वाले व्लादिमीर पुतिन ने भी पहले अपने पड़ोसी यूक्रेन पर फरवरी के अंतिम हफ्ते में हमला किया था. ये जंग पिछले करीब 9 महीने से लगातार जारी है. जिसमें पहले तो पुतिन को सफलता मिली थी. लेकिन हाल के महीनों में यूक्रेन की सेना ने जबरदस्त पलटवार किया है. उसने खेरसॉन सहित कई इलाकों पर कब्जा करने में सफलता हासिल की और कई मौकों पर रूसी सेना को पीछे धकेलने में कामयाब रहे. अब पोलैंड की यूक्रेन की सीमा से सटे एक गांव में एक मिसाइल के गिरने से 2 लोगों की मौत हो गई है. इसके बाद नाटो देशों के साथ रूस का तनाव एक नए दौर में पहुंच गया है.
बाइडन ने बुलाई G7 देशों की इमरजेंसी बैठक, पोलैंड में रूसी मिसाइल गिरने पर होगी चर्चा
थर्ड वर्ल्ड वॉर का खतरा टलेगा या …
पुतिन ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए सबसे बड़ा कारण यही बताया है कि उनका पड़ोसी देश अमेरिका की अगुवाई वाले सैनिक संगठन नाटो (North Atlantic Treaty Organization-NATO) में शामिल होने की कोशिश में लगा हुआ है. जो कि उनको कतई मंजूर नहीं है. इससे रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. पोलैंड में मिसाइल गिरने को नाटो ने कितनी गंभीरता से लिया है, इसका अंदाजा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है. इस घटना की सूचना बाइडन को उनके स्टाफ ने रात में नींद से जगाकर दी. इसके बाद बाइडन ने पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा से मुलाकात की. उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए G7 और नाटो देशों के नेताओं की एक इमरजेंसी बैठक भी बुलाई. अब देखना है कि दुनिया में थर्ड वर्ल्ड वॉर का खतरा टलता है या फिर एक बार इतिहास खुद को दोहराता है.
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Tags: NATO, Poland, Russia, Russia ukraine war, Ukraine
FIRST PUBLISHED : November 16, 2022, 10:48 IST