सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही खगोलीय घटनाएं हैं, जो कि वैज्ञानिकों के लिए एक रोचक विषय भी है क्योंकि इन दोनों की वजह से अंतरिक्ष की कई दिलचस्प बातें पता चलती हैं।
Astrology
oi-Ankur Sharma

Solar
eclipse
&
lunar
eclipse
:
इस
साल
का
पहला
सूर्य
ग्रहण
इस
महीने
की
20
तारीख
को
लगने
जा
रहा
है,
हालांकि
ये
भारत
में
दिखाई
नहीं
पड़ेगा
इस
वजह
से
इसका
सूतक
नहीं
लगेगा
और
ना
ही
इस
दिन
धर्म-कर्म
के
काम
बंद
होंगे
लेकिन
फिर
भी
ग्रहण
को
लेकर
लोगों
के
मन
में
बहुत
सारी
निगेटिव
बातें
भी
होती
हैं।
खगोलीय
घटना
लेकिन
आपको
बता
दें
कि
ये
एक
खगोलीय
घटना
है,
जो
कि
हर
साल
अंतरिक्ष
में
घटती
है
लेकिन
ज्योतिष
शास्त्र
के
मुताबिक
आकाश
में
होने
वाले
सारे
ग्रहों
की
चाल
का
असर
मनुष्य
के
जीवन
पर
पडता
है
इसलिए
वो
ग्रहण
के
दौरान
बहुत
सारी
सावधानी
बरतने
को
कहता
है।
सूर्य
ग्रहण
और
चंद्र
ग्रहण
में
अंतर
क्या
है?
आपको
बता
दें
कि
एक
साल
में
चार
या
पांच
ग्रहण
लग
सकते
हैं
जिनमें
सूर्य
और
चंद्र
ग्रहण
दोनों
होते
हैं।
अक्सर
लोगों
को
कन्फ्यूजन
हो
जाता
है
कि
आखिर
सूर्य
ग्रहण
और
चंद्र
ग्रहण
में
अंतर
क्या
है?
तो
चलिए
आपके
इस
संदेह
को
हम
दूर
कर
देते
हैं।
सूर्य
ग्रहण:
जब
सूर्य
की
परिक्रमा
करते
हुए
सूर्य,पृथ्वी
और
चंद्रमा
एक
सीध
में
हो
जाते
हैं
यानी
कि
सूर्य
और
पृथ्वी
के
बीच
चंद्रमा
आ
जाता
है
तो
यह
स्थिति
सूर्य
ग्रहण
कहलाती
है।
सूर्य
ग्रहण
अमावस्या
को
ही
होता
है
और
इसे
नग्न
आंखों
से
नहीं
देखना
चाहिए
क्योंकि
ग्रहण
के
दौरान
निकलने
वाली
किरणें
आपकी
आंखों
को
नुकसान
पहुंचा
सकती
हैं।
सूर्य
ग्रहण
तीन
तरह
के
होते
हैं
जिनके
नाम
निम्नलिखित
हैं।
-
आंशिक
या
खण्डग्रास
सूर्य
ग्रहण:
जब
सूर्य
आंशिक
रूप
से
ढका
हुआ
नजर
आता
है
तो
वो
स्थिति
आंशिक
या
खण्डग्रास
सूर्य
ग्रहण
कहलाती
है। -
पूर्ण
ग्रास
सूर्य
ग्रहण:
ग्रहण
के
दौरान
जब
चन्द्रमा
पूरी
तरह
से
पृथ्वी
को
ढंक
लेता
है
जिसके
चलते
सूर्य
की
रोशनी
पृथ्वी
तक
नहीं
पहुंचती
तो
वो
स्थिति
पूर्ण
ग्रास
सूर्य
ग्रहण
कहलाती
है। -
चक्राकार
यानि
एन्युलार
सूर्य
ग्रहण:
जब
मून
बीचौं-बीच
आकर
सनलाइट
को
पृथ्वी
पर
आने
से
रोकता
है
तो
वो
स्थिति
चक्राकार
यानि
एन्युलार
सूर्य
ग्रहण
कहलाती
है,
इसमें
सूर्य
एक
वलय
की
तरह
दिखाई
पड़ता
है,
जिसे
कि
रिंग
ऑफ
फायर
भी
कहते
हैं।
खास
बात
20
अप्रैल
को
लगने
वाले
ग्रहण
में
सूर्य
ग्रहण
की
तीनों
स्थिति
नजर
आ
रही
है,
इसलिए
वैज्ञानिकों
ने
इसे
हाइब्रिड
सूर्य
ग्रहण
का
नाम
दिया
है।
चंद्र
ग्रहण:
अब
बात
चंद्रमा
पर
लगने
वाले
ग्रहण
की,
दरअसल
जब
चंद्रमा
और
सूर्य
के
बीच
में
पृथ्वी
आ
जाती
है
तो
ये
स्थिति
चंद्र
ग्रहण
की
कहलाती
है।
ये
ग्रहण
हमेशा
पूर्णिमा
को
ही
लगता
है
और
इसे
नग्न
आंखों
से
देखा
जा
सकता
है,
ये
आंखों
को
नुकसान
नहीं
पहुंचाता
है।
यह
भी
दो
तरह
का
होता
है।
-
आंशिक
या
खण्ड
ग्रास
चंद्र
ग्रहण -
पूर्ण
चंद्र
ग्रहण
English summary
Surya Grahan 2023: What is the difference between solar and lunar eclipse. read details in hindi.