Supreme Court Cec Committee Will Investigate Illegal Cutting In Rajaji And Corbett – उत्तराखंड: सुप्रीम कोर्ट की सीईसी कमेटी करेगी राजाजी-कॉर्बेट में अवैध कटान और लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग निर्माण की जांच
न्यजू डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Mon, 28 Mar 2022 03:52 PM IST
सार
कॉर्बेट में पाखरो टाइगर सफारी मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी करेगी। टीम 28 से 30 तारीख तक राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों का मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी।
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सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग निर्माण की जांच करेगी। इसके अलावा कालागढ़ वन प्रभाग के तहत पाखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी समेत मोरघट्टी व पाखरों रेंज में हुए अवैध पातन और निर्माण कार्यों की भी जांच की जाएगी। टीम टाइगर सफारी के लिए हासिल की गई स्वीकृतियों से संबंधित पत्रावलियां भी खंगालेगी।
लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग निर्माण और कालागढ़ वन प्रभाग के तहत पाखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इमसें बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस संबंध में पीवी जयकृष्णन की अध्यक्षता में एक सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) का गठन किया गया है।
सबसे पहले निर्माणाधीन लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग का निरीक्षण करेगी कमेटी कमेटी में अमानाथ शेट्टी को सदस्य सचिव और महेंद्र व्यास को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। बताया जा रहा है कि टीम निरीक्षण के लिए कोटद्वार पहुंच चुकी है। टीम 28 से 30 तारीख तक राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों का मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी।
प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) विनोद कुमार सिंघल की ओर से निरीक्षण के दौरान संबंधित अधिकारियों को तमाम पत्रावलियों के साथ मौके पर उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं। कमेटी उन तमाम जगहों पर मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी, जहां अवैध रूप से पेड़ काटे जाने और अवैध निर्माण की शिकायत है। सबसे पहले कमेटी निर्माणाधीन लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग का निरीक्षण करेगी।
एनटीसीए की ओर से गठित समिति भी कर चुकी है जांच इस मामले में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से याचिका दाखिल करने के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने एक समिति बनाई थी। समिति ने पिछले दिनों दोनों राष्ट्रीय उद्यानों का दौरा किया था। वहां का नजारा देखने के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दुनिया की सर्वाधिक घनत्व वाली बाघ निवास स्थली में चल रहे निर्माण को बिना किसी सक्षम मंजूरियों और वैधानिक प्रावधानों व अदालती आदेशों का उल्लंघन कर अंजाम दिया जा रहा है, जो अपने आप में बड़ी प्रशासनिक विफलता है।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग निर्माण की जांच करेगी। इसके अलावा कालागढ़ वन प्रभाग के तहत पाखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी समेत मोरघट्टी व पाखरों रेंज में हुए अवैध पातन और निर्माण कार्यों की भी जांच की जाएगी। टीम टाइगर सफारी के लिए हासिल की गई स्वीकृतियों से संबंधित पत्रावलियां भी खंगालेगी।
लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग निर्माण और कालागढ़ वन प्रभाग के तहत पाखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इमसें बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस संबंध में पीवी जयकृष्णन की अध्यक्षता में एक सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) का गठन किया गया है।
सबसे पहले निर्माणाधीन लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग का निरीक्षण करेगी कमेटी
कमेटी में अमानाथ शेट्टी को सदस्य सचिव और महेंद्र व्यास को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। बताया जा रहा है कि टीम निरीक्षण के लिए कोटद्वार पहुंच चुकी है। टीम 28 से 30 तारीख तक राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में अनियमितताओं से संबंधित शिकायतों का मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी।
प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) विनोद कुमार सिंघल की ओर से निरीक्षण के दौरान संबंधित अधिकारियों को तमाम पत्रावलियों के साथ मौके पर उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं। कमेटी उन तमाम जगहों पर मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी, जहां अवैध रूप से पेड़ काटे जाने और अवैध निर्माण की शिकायत है। सबसे पहले कमेटी निर्माणाधीन लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग का निरीक्षण करेगी।
इस मामले में वकील गौरव कुमार बंसल की ओर से याचिका दाखिल करने के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने एक समिति बनाई थी। समिति ने पिछले दिनों दोनों राष्ट्रीय उद्यानों का दौरा किया था। वहां का नजारा देखने के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दुनिया की सर्वाधिक घनत्व वाली बाघ निवास स्थली में चल रहे निर्माण को बिना किसी सक्षम मंजूरियों और वैधानिक प्रावधानों व अदालती आदेशों का उल्लंघन कर अंजाम दिया जा रहा है, जो अपने आप में बड़ी प्रशासनिक विफलता है।