बाड़मेर41 मिनट पहले
कीर्ति चक्र विजेता चेतन चीता।
- एक आंख गवाने के बाद भी लड़ते रहे, बोले- मेरे जज्बे की वजह से जिंदा हूं
कीर्ति चक्र से सम्मानित चेतन चीता ने आंतकी की 9 गोलियों से जख्मी होने से पहले एक आतंकी को मार गिराया था। इस जंग में एक आंख को गवा दी थी। कीर्ति चक्र से सम्मानित चेतन चीता का कहना है कि मैने कभी भी आतंकियों से और कोरोना (कोविड) से लड़ते अपना हौसला नहीं खोया। मुझे कभी नहीं लगा कि मैं आतंकवादियों की गोलियों से या कोरोना से हार जाऊंगा। हमेशा मुझे यही लगता कि मैं हर परिस्थिति में जीत जाऊंगा। ऐसा ही हुआ। मेरे इसी जज्बे की वजह से आज मैं जिंदा हूं।
दरअसल, उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा में 14 फवरी 2017 मुठभेड़ के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अधिकारी चेतन चीता को 9 गोलियां लगी थीं। इस दौरान इन्होंने अपनी एक आंख गवा दी थी। उस वक्त इन्होंने दुश्मनों का बहादुरी से मुकाबला किया था। 9 गोलियां लगने के बाद भी उनके जज्बा और हौसले ने जिंदगी की जंग में जीत गए। चेतन चीता को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। जून 2021 को चेतन चीता को कोविड हो गया था। दो बार वेटिंलेंटर पर चले गए थे। ऑक्सीजन लेवल डाउन हो गया था, लेकिन, इस जंग को भी कीर्ति चक्र चेतन चीता ने हौसले व जज्बे से जीत ली।
जंग में रिजल्ट अपने पास नहीं होता
कीर्ति चक्र से सम्मानित चेनन चीता ने कहा कि मैने आतंकी और कोरोना दोनों से जंग लड़ी है। दोनों को हराया है। जंग और कोरोना जैसी लाइलाज बीमारी में रिजल्ट अपने पास में नहीं होता है। पहली जंग मैने कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ी थी। इसमें मैं चोट ग्रस्त और घायल भी हुआ। इसमें मेरी एक आंख चली गई। दूसरी जंग साल 2021 में मैने कोरोना से लड़ी थी। कोरोना लाइलाज बीमारी थी। मैं दो बार वेटिंलेटर पर रहा। डॉक्टरों के प्रयासों से मैंने कोरोना को भी हरा दिया था। इस पर यही बोलूंगा कि जाके राखो सईया मार सकें ना कोई।
आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई थी
चेतन चीता बताते है कि हमारी लड़ाई आतंकवादियों के खिलाफ थी। यह लड़ाई काफी समय से हमारे जवान लड़ रहे है। आतंकियों से लड़ने के लिए हमारी ट्रेनिंग बहुत मायने रखती है। सीआरपीएफ ट्रेनिंग के बूते पर ही मैं अब तक इतने सक्सेसफुल ऑपरेशन किए हैं। कश्मीर में आतंकवादियों के सामने लड़ते समय मैं गंभीर रूप से घायल हो गया था। उससे मैं मेरे जज्बे और हौसलें जीत पाया हूं।
9 गोलियां से हुए जख्मी
चेतन चीता ने बताया कि आतंकियों के बीच में जब गोलियां चलती है तब कुछ पता नहीं चलता है कि गोली कहां से आ रही है। ऑपरेशन के अंदर मुझे 9 गोलियां लगी थी। इसी ऑपरेशन में मेरी आंख चली गई थी।
मेरे जज्बे की वजह से मैं जिंदा हूं
सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन चीता की 2021 में कोविड हो गया था। चेतन चीता ने बताया कि डॉक्टरों ने मेरा अच्छे से इलाज किया। वहां पर डॉक्टरों व वायरस के बीच में जंग चल रही थी। उस जंग के बीच में था। चेतन चीता ने कहा कि पहली व दूसरी परिस्थिति में मैने कभी अपना हौंसला नहीं खोया। मुझे कभी नहीं लगा कि मैं कोई जंग हार जाऊंगा। हमेशा मुझे यही लगता कि मेरे को कुछ नहीं हो सकता है। कोरोना जैसी प्रॉब्लम से भी उभर कर सामने आऊंगा और इस जंग से भी जीतूंगा। शायद वहीं जज्बा था जिसने मुझे दोनों वक्त जिंदा रखा।