Said – came to the border after walking 40 km, father said – sent out in compulsion due to high donation | बोला- 40 किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर आया,पिता ने कहा-डोनेशन ज्यादा होने के कारण मजबूरी में बाहर भेजा

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चित्तौड़गढ़22 मिनट पहले

यूक्रेन से इंडियन स्टूडेंट का वापस लौटना लगातार जारी है। चित्तौड़ का रहने वाला 21 साल का महेश टांक भी आज अपने घर लौटा। उसने बताया कि वह बम ब्लास्ट वाली जगह से 500 किलोमीटर दूर था। इलाके को रेड अलर्ट घोषित कर दिया था। सायरन बजने के बाद उन्हें बंकर में जाकर छुपा दिया जाता है। बेटे के वापस आने पर परिवार ने राहत की सांस ली और गले लगाकर उसका स्वागत किया। उदयपुर एयरपोर्ट आने के बाद एसडीएम की गाड़ी लेने गई, जिसके बाद अरनोदा गांव अपने घर आया।

निंबाहेड़ा के अरनोदा निवासी 21 साल के महेश पुत्र सुरेश टांक ने बताया कि वह तरनोपिल यूनिवर्सिटी के थर्ड ईयर में पढ़ाई कर रहा था। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के कारण हालात खराब हो गए। हालांकि तरनोपिल सिटी ब्लास्ट वाली जगह से 500 किलोमीटर दूर है। तरनोपिल में जयादा संख्या में इंडियन स्टूडेंट होने के कारण इलाके को रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया था। एयर सायरन बजते ही उन्हें बंकर में छुपा दिया जाता था।

माइनस 6 डिग्री सेल्सियस में पोलैंड बॉर्डर तक पहुंचे
महेश 25 फरवरी को 50 साथियों के साथ एक बस में पोलैंड बॉर्डर के लिए निकला था। बॉर्डर तक पहुंचने के लिए भी उसे माइनस 6 डिग्री सेल्सियस में 40 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। ट्रैफिक ज्यादा होने के कारण पहुंचने में 9 घंटे लग गए। 40 किलोमीटर पार करने के बाद पूरी रात वेट किया। लंबी लाइन पार करके बॉर्डर के पास पहुंचे। उसी समस पोलैंड बॉर्डर को बंद कर दिया गया।

महेश टांक का सांसद सीपी जोशी द्वारा किया गया स्वागत।

महेश टांक का सांसद सीपी जोशी द्वारा किया गया स्वागत।

स्पेशल फ्लाइट से इंडिया आए
महेश अपने कुछ दोस्तों के साथ पोलैंड से लिफ्ट लेकर हंगरी बॉर्डर तक पहुंचा। उनकी यूनिवर्सिटी में कार्यरत भीलवाड़ा के डॉक्टर विजय चौधरी और अमरीक सिंह ढिल्लो ने उनकी हेल्प की। महेश टांक ने बताया कि एंबेसी से लगातार संपर्क होता रहा। एक फ्लाइट में लड़कियों को पहले जाने की प्रायोरिटी दी गई। उनके जाने के बाद भारत सरकार ने उसी दौरान स्पेशल फ्लाइट बुक करवा दी थी। उस फ्लाइट में लड़कियों की संख्या कम होने के कारण महेश को और उनके साथ आए दोस्तों को इंडिया वापसी का मौका मिल गया। दिल्ली तक फ्लाइट में पहुंचने के बाद वहां से उदयपुर की फ्लाइट ली। जिला प्रशासन की टीम गाड़ी के साथ मौजूद थी। प्रशासन की टीम ने गाड़ी से महेश को अरनोदा तक उसके घर पहुंचाया। महेश के घर लौटने की खुशी में आस-पास के लोग और दूर-दूर से परिजन मिलने के लिए आए। महेश कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर अरविंद पोसवाल से भी मिला और अपनी आपबीती बताई।

इंडिया में डोनेशन ज्यादा होने के कारण बेटे को बाहर भेजा
महेश के पिता अरनिया जोशी के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल के थर्ड ग्रेड के टीचर सुरेश टांक ने बताया कि इंडिया के कॉलेजों में डोनेशन ज्यादा हैं। MBBS करने के लिए महेश ने नीट की परीक्षा दी थी। 700 में से 500 अंक आने पर गवर्नमेंट की सीट मिल पाती है। महेश को 400 अंक मिला था, जिसकी वजह से उसे गवर्नमेंट सीट नहीं मिली। 12th क्लास में उसने 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। प्राइवेट कॉलेज एक ऑप्शन रह गया था। उदयपुर कॉलेज में दाखिला करवाने गए थे लेकिन एक करोड़ रुपए डोनेशन के मांगे गए। इसके अलावा पांच लाख रुपए सालाना फीस जुटा पाना मुश्किल था। इस कारण यूक्रेन भेजने का फैसला किया। वहां फीस और हॉस्टल खर्चा मिलाकर साल का 8 लाख रुपए खर्चा आ रहा था, जो कि इंडिया के खर्चे से बहुत ही ज्यादा कम था। ऐसे में यूक्रेन में पढ़ाना ही उचित समझा।

पूर्व सीएम राजे और सांसद जोशी ने फोन पर ली जानकारी
महेश ने इंडियन गवर्नमेंट को स्पेशल थैंक यू कहा कि सही समय पर इंडियन गवर्नमेंट ने एक फ्लाइट कराकर इंडिया वापस बुलाया। यूक्रेन में युद्ध के कारण हालात खराब है। ऐसे में हर समय डर लगा ही रहता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में रहते समय पूर्व सीएम मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद सीपी जोशी ने भी फोन पर बातचीत की और पूरी तरह हेल्प करने का आश्वासन दिया।

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