Punjab Cm Bhagwant Mann Demands Setting Up Of Regional Center Of Nsg In Pathankot – अमित शाह से भगवंत मान का आग्रह: पंजाब संवेदनशील राज्य, पठानकोट में बने Nsg का क्षेत्रीय केंद्र
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पठानकोट में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का एक क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की मांग की है। फरीदाबाद में राज्यों के गृह मंत्रियों के दो दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ को संबोधित करते हुए शुक्रवार को मान ने केंद्रीय गृह मंत्री से कहा कि पठानकोट में एनएसजी केंद्र की स्थापना से पूरे उत्तरी क्षेत्र में किसी भी आतंकवादी गतिविधि से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी।
2015 के दीनानगर आतंकी हमले का जिक्र करते हुए, मान ने कहा कि उस दौरान एनएसजी कमांडों को गुरुग्राम से बुलाना पड़ा, जिसमें काफी समय लग गया था। पंजाब पाकिस्तान से सटी 553 किलोमीटर की सीमा के साथ एक संवेदनशील राज्य है। इस दौरान मान ने वर्तमान ‘श्रेणी बी’ के बजाय सुरक्षा कारणों से पंजाब को ‘श्रेणी ए’ में शामिल करने की भी वकालत की।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के नाते पंजाब को ‘श्रेणी ए’ में और जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों के समान माना जाना चाहिए। श्रेणी-ए राज्य के रूप में पंजाब को केंद्र और राज्य के बीच 90:10 के अनुपात में वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए, जबकि ‘श्रेणी बी’ में राज्यों को 60:40 के अनुपात में वित्तीय सहायता मिलती है।
पंजाब को 50 करोड़ की अतिरिक्त राशि देने की मांग
मुख्यमंत्री ने राज्य को सीमावर्ती पुलिस थानों और खुफिया ढांचे को मजबूत करने के लिए 50 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि मुहैया कराए जाने की मांग भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई उभरती सुरक्षा चुनौतियां हैं और पंजाब सरकार सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है।
सीमा पर कंटीले तार व सरहद की दूरी घटाने की मांग चिंतन शिविर के पहले दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अमित शाह से भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कंटीली बाड़ और दोनों देशों की वास्तविक सीमा के बीच की दूरी को कम करने का आग्रह किया ताकि कंटीली बाड़ के पार अपनी जमीन पर खेती करने वाले किसानों की सुविधा हो सके। मान ने अमित शाह से राज्य में भारत-पाकिस्तान सीमा पर कंटीली बाड़ से किसानों की हो रही समस्याओं के बारे में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों की सुविधा के लिए कंटीली तारों और वास्तविक सीमा के बीच दूरी को मौजूदा एक किलोमीटर के बजाय 150-200 मीटर तक कम किया जाना चाहिए। इससे एक ओर भूमि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होगा और दूसरी ओर देश की सुरक्षा भी मजबूत होगी।
वहीं, भगवंत मान ने सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) के तहत लंबित धनराशि जारी करने की गुहार भी लगाई। उन्होंने कहा कि दो वित्त वर्षों से पंजाब को बीएडीपी के तहत राशि का वितरण नहीं किया गया है। मान ने पुलिस बल आधुनिकीकरण (एमओपीएफ) फंड के मामले में भी पंजाब को छूट दिए जाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में एमओपीएफ योजना के तहत श्रेणी-बी राज्यों के लिए निर्माण कार्य और परिचालन वाहनों संबंधी धन का अनुदान बंद कर दिया गया है। हालांकि, मान ने कहा कि पंजाब को छूट देते हुए निर्माण और परिचालन वाहनों पर एमओपीएफ फंड खर्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए। मान ने वर्ष 2022-23 के लिए 24 करोड़ रुपये की राज्य कार्य योजना (एसएपी) को मंजूरी देने के मामले में भी शाह से हस्तक्षेप की मांग की।
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पठानकोट में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) का एक क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की मांग की है। फरीदाबाद में राज्यों के गृह मंत्रियों के दो दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ को संबोधित करते हुए शुक्रवार को मान ने केंद्रीय गृह मंत्री से कहा कि पठानकोट में एनएसजी केंद्र की स्थापना से पूरे उत्तरी क्षेत्र में किसी भी आतंकवादी गतिविधि से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी।
2015 के दीनानगर आतंकी हमले का जिक्र करते हुए, मान ने कहा कि उस दौरान एनएसजी कमांडों को गुरुग्राम से बुलाना पड़ा, जिसमें काफी समय लग गया था। पंजाब पाकिस्तान से सटी 553 किलोमीटर की सीमा के साथ एक संवेदनशील राज्य है। इस दौरान मान ने वर्तमान ‘श्रेणी बी’ के बजाय सुरक्षा कारणों से पंजाब को ‘श्रेणी ए’ में शामिल करने की भी वकालत की।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के नाते पंजाब को ‘श्रेणी ए’ में और जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों के समान माना जाना चाहिए। श्रेणी-ए राज्य के रूप में पंजाब को केंद्र और राज्य के बीच 90:10 के अनुपात में वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए, जबकि ‘श्रेणी बी’ में राज्यों को 60:40 के अनुपात में वित्तीय सहायता मिलती है।