मेरठ5 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

मेरठ के आरजी पीजी कॉलेज में छात्राओं को पेपर मेसी आर्ट की जानकारी दी गई। सोमवार को कॉलेज के आर्ट विभाग में चित्रकला पर व्याख्यान हुआ। व्याख्यान में छात्राओं को पेपर मेसी, वर्ली आर्ट और मधुबनी के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही चित्रकारी की तकनीक के बारे में बताया गया7
डॉ. अन्नपूर्णा को मिला सम्मान
कॉलेज प्रिंसिपल निवेदिता मलिक ने शुभारंभ किया। वनस्थली विद्यापीठ राजस्थान के कला विभाग की एसो. प्रोफे डॉ. अन्नपूर्णा शुक्ला ने छात्राओं को पेंटिंग्स के विविध प्रकारों के बारे में बताया। आरजी कॉलेज के चित्रकला विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष कला के क्षेत्र में उच्चतम योगदान देने वाले एक विद्वान को कला रत्न सम्मान दिया जाता है इस वर्ष का यह सम्मान डॉ अन्नपूर्णा शुक्ला को दिया गया। विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना रानी ने उनके योगदान का वृतांत पढ़कर सुनाया। कार्यक्रम का संचालन डॉ पूनम लता सिंह ने किया।
कागज और मिट्टी से तैयार होती है पेपर मेसी
डॉ. अन्नपूर्णा ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के साथ अपना व्याख्यान पेपर मेसी कला पर दिया। उन्होंने बताया साधारण तौर पर पेपर मेसी को कश्मीर की कला कहा जाता है परंतु राजस्थान भी पेपर मेसी कला का एक प्रमुख केंद्र है उन्होंने बताया कि कागज व मिट्टी मिलाकर इसको पहले भिगोया जाता है उसके बाद कृतियां तैयार की जाती है। जयपुर इस कला का प्रमुख केंद्र है और वहां पीढ़ियों से कलाकार इस कला को बनाते आ रहे हैं। बनस्थली भी इसी कला का केंद्र है वहां पेपर मेसी के बाउल बनाए जाते हैं। दीनदयाल सिहं इसके प्रमुख कलाकार हैं जिन्हें राजस्थान सरकार द्वारा कई पुरस्कार भी दिए गए हैं। इसके अलावा और भी अनेक कलाकार इस कला में पारंगत है। डॉ नाजिमा इरफान ,कुमारी शबाहत, सुरभि यादव व तहमीना का विशेष योगदान रहा