Netshed was made from Durg’s firm, payment to Raipur firm… recommendation of FIR | नेटशेड दुर्ग की फर्म से बना बताया, भुगतान रायपुर की फर्म को… एफआईआर की अनुशंसा

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रायपुरएक घंटा पहलेलेखक: असगर खान

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उद्यानिकी विभाग का एक मामला अब रायपुर डायरेक्टर के पास आया है। इसमें महासमुंद के सहायक संचालक रहे एनएस कुशवाहा पर विभागीय जांच में गड़बड़ी पाई गई है। जांच टीम ने तो एफआईआर कराने तक की अनुशंसा की है।

पूरे मामले में शेडनेट और पैक हाउस के लिए दुर्ग की एक कंपनी को भुगतान करना बताया गया है, जबकि भुगतान रायपुर की दूसरी फर्म को किया गया है। जांच टीम ने दोनों फर्मों के जीएसटी रिकार्ड भी वाणिज्यिक कर विभाग से मांगे हैं। विभाग के सचिव आर. भारतीदासन ने कहा है कि इसमें कुछ अन्य आरोप पत्र भी जोड़े जा रहे हैं।

ये है पूरा मामला
पिछले साल महासमुंद से विधायक व संसदीय सचिव सेवनलाल चंद्राकर ने वहां के सहायक संचालक, उद्यानिकी विभाग एन.एस कुशवाहा के खिलाफ शिकायत की थी कि नेटशेड और पैक हाउस के भुगतान के नाम पर गड़बड़ी की जा रही है। विभाग ने इसकी जांच शुरू की और कुशवाहा से जानकारी मांगी, तो उन्होंने बताया कि 17 किसानों को नेटशेड के लिए 253.037 लाख यानी ढाई करोड़ का अनुदान दिया और वहीं 66 किसानों को 132 लाख का अनुदान पैक हाउस के लिए दिया।

इसकी जमीनी तहकीकात शुरू हुई और गड़बड़ियां सामने आने लगीं। महासमुंद दफ्तर के रिकार्ड में बताया गया कि शेडनेट को दुर्ग की एग्रोटेक कंपनी ने बनाया है, जबकि किसानों ने बताया रायपुर के जय गुरुदेव फर्म ने बनाया है। पूछताछ में रायपुर की फर्म ने स्वीकार भी किया कि तीनों किसानों से 19.81 लाख, 19.88 लाख और 9.94 लाख रुपए उसने प्राप्त किए। जांच अधिकारी ने इससे संबंधित सभी कर्मचारियों कृपाशंकर गिलहरे, प्रीति सेन और भूषण लाल ध्रुव के बयान दर्ज कर लिए।

उद्यानिकी विभाग का मामला | शेडनेट की जांच में ये तथ्य निकले

  • 17 शेडनेट बनाए गए थे, जिसका भुगतान रायपुर की कंपनी को हुआ था। भौतिक सत्यापन में योजना प्रावधान के विपरीत काम पाया गया।
  • किसी भी किसान के नेट हाउस में पैरापिट नहीं था, जो होना चाहिए था।
  • नेट हाउस में मजदूरों से संबंधित सभी कामों को नेट हाउस निर्माता को कराना था, जबकि ये काम किसानों ने खुद कराया।
  • नेट हाउस के आकार में भी गड़बड़ी है। दस्तावेज में जितना बड़ा नेट हाउस बनाना बताया गया है, मौके पर उतना बड़ा नहीं मिला। इसमें चार हितग्राहियों को करीब साढ़े 24 लाख का ज्यादा भुगतान किया गया।
  • सहायक संचालक महासमुंद ने बिना जांच पड़ताल के अनियमित भुगतान किया गया।
  • दस्तावेजों में पेमेंट बताया गया दुर्ग की फर्म को और पेमेंट किया गया रायपुर की फर्म को।
  • एक किसान के यहां दो नेट हाउस बना दिखाया। मौके पर एक ही मिला।
  • इसमें केंद्र-राज्य के खाते में टैक्स से संबंधित अनियमितता भी है। इसमें धोखाधड़ी दिख रही है। इसकी आगे जांच के लिए एफआईआर किए जाने की अनुशंसा है।

पैक हाउस की जांच के तथ्य

  • 21 किसानों का पैक हाउस अधूरा बनाया गया, सब इंजीनियर ने पूर्ण बताया और भुगतान किया।
  • इतना ही नहीं, सरकारी जमीन पर बेजा कब्जा कर पैक हाउस बनाकर उसका भुगतान किया गया।
  • भुगतान बेटे को और पैक हाउस पिता की जमीन पर। इसमें मूल्यांकनकर्ता व सब इंजीनियर साझेदार।
  • 54 वर्ग मीटर में पैक हाउस बनना था। छोटा बनाया गया। इस स्थिति में भुगतान नहीं होना था, लेकिन कर दिया गया। इसमें 73 लाख से ज्यादा का भुगतान हुआ।

कुशवाहा सस्पेंड हैं। इस जांच रिपोर्ट में और भी आरोप जोड़े गए हैं, इसलिए जांच आगे बढ़ रही है। जब जांच पूरी हो जाएगी तो जो भी दोषी होगा, उन पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।-एस. भारतीदासन, सचिव उद्यानिकी, स्वतंत्र प्रभार

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