
नगर निगम शिमला।
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राजधानी में नगर निगम का खजाना खाली हो गया है। शहर में नए निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए अब निगम प्रशासन के पास कोई बजट नहीं है। हालत यह है कि शहर में नए काम करवाना तो दूर बरसात से हुए नुकसान की भरपाई तक नहीं हो पा रही। ऐसे में छह से आठ महीने पहले जिन कामों के टेंडर हो चुके हैं, उन्हें आने वाले दिनों में रद्द करना पड़ सकता है। हालांकि अभी निगम ने इन पर कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन बजट मिलने तक इन्हें अवार्ड करने की प्रक्रिया रोक दी है।
नगर निगम के पास जून तक पार्षदों की ओर से 300 से ज्यादा कामों के प्रस्ताव पहुंचे थे। यह काम सड़क, रास्तों की मरम्मत करने, लाइटें लगाने, सीढ़ियों पर टाइलें लगाने, रैलिंग, एंबुलेंस रोड से जुड़े हैं। इनमें कई प्रस्ताव तो पिछले साल से लंबित पड़े हैं। 150 कार्यों के नगर निगम ने टेंडर भी कॉल कर दिए थे। लेकिन पैसा न होने के कारण ठेकेदारों को काम अवार्ड नहीं किया गया। बीते छह महीने में महज 40 से 50 काम ही अवार्ड हो पाए हैं। बाकी सौ से ज्यादा टेंडर अवार्ड ही नहीं किए हैं। इनमें टेंडर प्रक्रिया पूरी होने और ठेकेदार शॉर्टलिस्ट होने के बावजूद काम अवार्ड नहीं किया जा रहा। निगम प्रशासन का कहना है कि बजट मिलने पर ही इनके काम अवार्ड होंगे।
इसलिए रद्द करने पड़ सकते हैं टेंडर
ठेकेदारों का कहना है कि वह नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन प्रशासन अवार्ड लेटर नहीं दे रहा। अब आने वाले महीनों में यदि निगम प्रशासन इन कार्यों को अवार्ड भी करता है तो ठेकेदार इससे इंकार कर सकते हैं। ठेकेदारों का कहना है कि निगम को इन्हें रिवाइज करना पड़ेगा। पुराने रेट पर एक साल बाद काम शुरू नहीं होगा। सीमेंट, सरिये समेत अन्य निर्माण सामग्री के रेट अब बढ़ चुके हैं। उधर निगम प्रशासन का कहना है कि इस बार में ठेकेदारों से बात होगी। ठेकेदार यदि तैयार नहीं होते तो नए सिरे से टेंडर कॉल किए जा सकते हैं।
जो काम जरूरी, वह नहीं रुकेंगे
शहर में जरूरी कामों को प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। यह काम नहीं रुकेंगे। शहर में नगर निगम के काफी काम चल रहे हैं। बाकी काम बजट उपलब्ध होने पर ही शुरू करवाए जा सकेंगे। -राजेश ठाकुर, अधिशासी अभियंता नगर निगम शिमला