Looting in the guise of book and dress in private schools, Rs 60 for writing the name of the school in the copy of 20 | निजी स्कूलों में किताब व ड्रेस की आड़ में लूट, 20 की कॉपी स्कूल का नाम लिखने पर 60 रुपए की

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फरीदाबाद2 घंटे पहले

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स्कूल - Dainik Bhaskar

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जिले के कुछ निजी स्कूलों ने एक अप्रैल से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र में स्कूल फीस में काफी बढ़ोतरी करने के साथ ही एनसीईआरटी की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें लगाने से अभिभावकों की दिक्कत बढ़ गई है। स्कूलों की मनमानी के विरोध में आयोजित बैठक में अभिभावकों ने कहाकि जब पेपर एनसीईआरटी की किताबों के सिलेबस से आता है तो फिर स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें क्यों लगाई जा रही हैं। वैसे भी प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों की कीमत एनसीईआरटी की किताबों से काफी ज्यादा है।

एनसीईआरटी की जगह प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें:

अभिभावकों ने कहाकि जो कॉपी बाजार में 20 रुपए की मिल रही है स्कूल वाले उसके कवर पेज पर अपने स्कूल का नाम लिख उसे 60 रुपए में बेच रहे हैं। नए छात्र पुराने छात्रों की किताबों से पढ़ाई न कर सकें इसलिए पुरानी किताबों के एक-दो पाठ्यक्रम को बदल दिया गया है। यानी स्कूल संचालक लूटने का हर प्रकार का हथकंडा अपना रहे हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच का आरोप लगाया है कि नियमानुसार एनसीईआरटी की किताबें न लगाकर कमीशन खाने के चक्कर में प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी व मोटी किताबें स्कूल लगा रहे हैं और अभिभावकों पर स्कूल के अंदर ही खुली दुकानों या बाहर अपनी बताई गई दुकानों से ही किताबें खरीदने का दबाव डाल रहे हैं। बाजार में जो कॉपी या स्टेशनरी कम दाम में मिलती है उसे भी अपनी बताई गई दुकान से ही महंगे में खरीदवाने के लिए मजबूर कर रहे है। जिन किताबों की कोई जरूरत नहीं है उन्हें भी खरीदने के लिए कहा जा रहा है।

शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे हैं कार्रवाई:

मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा के अनुसार स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इन सब बातों की जानकारी है लेकिन वे चुप हैं। मंच ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिख निजी स्कूलों की इस मनमानी की जांच कर दोषी स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। मंच के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा विभाग की ओर से नर्सरी से लेकर कक्षा 12वीं तक के बच्चों के बस्ते का वजन तय है। उसके बावजूद कमीशन खाने के चक्कर में छात्रों के कंधों पर भारी बस्ते का बोझ लादा जा रहा है। ऐसा कर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन (आइपा) के जिलाध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा कि सीबीएसई, शिक्षा विभाग व हुडा के निर्देशों के विपरीत निजी स्कूलों ने स्कूल के अंदर ही किताब, ड्रेस, जूते, मोजे आदि की दुकानें खोल रखी हैं। कई स्कूलों ने कार्रवाई से बचने के लिए स्कूल से बाहर अपने ही लोगों से किताब, कॉपी व स्टेशनरी की दुकान खुलवा रखी है और अभिभावकों को इन्हीं दुकानों से किताब, कॉपी व स्टेशनरी खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

स्कूल के अंदर खुली दुकान से किताबें खरीदने का दबाव:

मंच की महिला सेल की संयोजक पूनम भाटिया ने कहा कि स्कूल के अंदर खुली दुकान या स्कूल द्वारा बताई गई दुकान से प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों के साथ कॉपी व अन्य स्टेशनरी का सेट नर्सरी से पहली कक्षा तक के बच्चों को दो से तीन हजार रुपए, कक्षा दो से पांचवीं तक चार से पांच हजार रुपए, कक्षा नौवीं से 12वीं तक सात से 10 हजार रुपए का सेट दिया जा रहा है। जबकि बाजार में एनसीईआरटी किताबों का यही सेट 600 से लेकर 1000 रुपए तक में है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने अभिभावकों से कहा है कि वे नियम के मुताबिक सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही खरीदें। इसके अलावा कॉपी व स्टेशनरी जहां से भी सस्ती मिलती हैं वहीं से खरीदें। ऐसा करने पर अगर स्कूल प्रबंधक उन्हें परेशान करते हैं तो वे तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी के पास लिखित में शिकायत दें।

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