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lekhaka-Gajendra sharma
नई दिल्ली, 17 अगस्त। दीर्घायु और निरोगी उत्तम संतान की प्राप्ति प्रत्येक दंपती का लक्ष्य होता है किंतु कई स्ति्रयों को संतान प्राप्ति में कठिनाई आती है। उनका गर्भ या तो ठहरता ही नहीं, या कुछ ही सप्ताह में गर्भपात हो जाता है या जन्म लेने के बाद संतान की शीघ्र मृत्यु हो जाती है। यह बड़ा कठिन और पीड़ादायक होता है। ऐसी स्थिति में गर्भ की रक्षा के लिए श्रीमद्भागवत में भगवान कृष्णद्वैपायन व्यास ने एक अमोघ और चमत्कारिक उपाय बताया है। यह उपाय है गर्भरक्षक श्रीवासुदेव सूत्र। यह एक प्रकार का सूत्र होता है जिस मंत्रों से अभिमंत्रित करके महिला को बांधा जाता है, जिससे गर्भ की रक्षा होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की रक्षा के लिए इसी सूत्र का प्रतिपादन किया था। वैसे तो यह सूत्र किसी भी समय किसी भी काल में बनाया जा सकता है किंतु श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का दिन सर्वथा उपयुक्त है।

यह है मंत्र
अन्त:स्थ: सर्वभूतानामात्मा योगेश्वरो हरि: ।
स्वमाययावृणोद् र्गभ वैराट्या: कुरुतन्तवे ।।
अर्थात्- समस्त प्राणियों के हृदय में आत्मा रूप से स्थित योगेश्वर श्रीहरि ने कुरुवंश की वृद्धि के लिए उत्तरा के गर्भ को अपनी माया के कवच से ढक दिया।
मंत्र का प्रभाव
उपरोक्त मंत्र उन कुलवधुओं के लिए चमत्कारिक रूप से काम करता है जिन्हें गर्भ तो रहता है किंतु पूर्ण प्रसव नहीं हो पाता, बीच में ही खंडित हो जाता है। यह उन महिलाओं के लिए भी कल्पवृक्ष के समान फलदाता है जिनको बच्चा सर्वागपूर्ण पैदा होता है किंतु जीवित नहीं रहता। इस महामंत्र का गर्भस्थ शिशु के मन पर भी बड़ा चमत्कारिक प्रभाव पड़ता है। उसके संस्कार बदल जाते हैं और वह बुरी शक्तियों, बुरी नजरों, रोगादि से सुरक्षित रहता है। इस महामंत्र के प्रभाव से सर्वशक्तिमान भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य आयुध उस महिला के गर्भ की रक्षा करते हैं, जो श्रद्धापूर्वक श्रीवासुदेव सूत्र को धारण करती है। यह सूत्र बड़ा ही उग्र, साक्षात फलदाता है।
कैसे बनाएं गर्भरक्षक श्रीवासुदेव सूत्र
- यह गर्भरक्षक सूत्र जिस सौभाग्वयती स्त्री के लिए बनाना हो उसके और सूत्र बनाने वाले के चित्त अत्यंत शुद्ध और पवित्र होने चाहिए। दोनों के मन में रक्षा सूत्र के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए। जिस महिला के लिए सूत्र बनाना हो उसे स्नानादि के बाद शुद्ध वस्त्र पहनाकर भगवान श्रीकृष्ण के चरणोदक और तुलसीदल की प्रसादी दें।
- इसके बाद श्रीगणेश-गौरी का पूजन और नवग्रहों की यथाशक्ति शांति कराकर पूर्वाभिमुख खड़ी कर दें। अब एक केसरिया रंग का रेशम का डोरा लें। रेशम के डोरे को मस्तक से पैर तक सात बार नाप लें। डोरा इतना लंबा हो किबीच में गांठ न बांधना पड़े। इसके बाद ऊपर दिए मंत्र के आदि में ऊं तथा अंत में स्वाहा बोलकर 21 बार जप करके माला की गांठ की भांति गांठ लगाते जाएं। इस प्रकार 21 गांठ लगाकर सूत्र की विधिवत वैष्णव मंत्रों से प्राण प्रतिष्ठा और पूजन करें।
- इसके बाद शुभ समय में भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए गर्भिणी और गर्भ की रक्षा की प्रार्थनाकर उस डोरे को वामहस्तमूल, गले अथवा अत्यंत पीड़ा के समय नाभि के नीचे कमर में बांध दें।
- यदि इस वासुदेव सूत्र का निर्माण और बंधन विधिवत हो गया तो गर्भ कभी नष्ट नहीं हो सकता। रेशम के डोरे के स्थान पर कुंवारी कन्या के द्वारा काता केसरिया रंग में रंगा कच्चा सूत भी ले सकते हैं। किंतु यह सूत अत्यंत महीन होता है। इसके टूटने का डर होता है। यदि सूत ले रहे हैं तो अत्यंत सावधानी रखनी होती है।
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इन नियमों का पालन करना होगा
- गर्भरक्षक सूत्र बांधने के बाद स्त्री को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। सूत्र को बांधकर उस घर में न जाएं जहां किसी का जन्म हुआ है या किसी का मरण हुआ है।
- सूत्र को प्रतिदिन भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए सुगंधित धूप से सुवासित करते रहना चाहिए।
- प्रसव का समय सकुशल प्राप्त होने पर सूत्र को कमर से खोलकर बाहुमूल में या गले में बांध देना चाहिए।
- बच्चे का नाल छेदन और स्नान हो जाने के बाद सूत्र को धूप देकर बच्चे के गले में पहना दें।
- सवा महीने के बाद बच्चे के लिए नए सूत्र का निर्माण कराकर बांध दें।
- पुराने सूत्र का आभार मानते हुए भगवन्नाम का कीर्तन करते हुए किसी पवित्र नदी, सरोवर में विसर्जित कर दें।
- शुद्ध हृदय से स्त्री को नित्य श्रीकृष्ण के नाम का उच्चारण करते रहना चाहिए।
- श्रीवासुदेव सूत्र गर्भपीड़ित महिलाओं का कष्ट हरता है। यह एक अक्षय वैष्णव कवच है।
English summary
Krishna Janmashtami 2022 is coming on 18th- 19th August. here is Garbh Rakshak Shrivasudev Sutra. its good for Child.