
पंजाब सीएम भगवंत मान।
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पंजाब की भगवंत मान सरकार द्वारा कच्चे मुलाजिमों को नौकरी में 58 साल की उम्र तक बनाए रखने के लिए तैयार की गई पॉलिसी नए विवाद में उलझने लगी है। सरकार ने पंजाब सर्विस रूल के तहत कच्चे मुलाजिमों का जो स्पेशल कैडर गठित करने का फैसला लिया था, उसमें आरक्षण व्यवस्था को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया है।
इसे लेकर कर्मचारी संगठनों और विपक्षी दल लामबंद होने लगे हैं। इसी बीच, 21 अक्तूबर को प्रदेश सरकार ने स्पेशल कैडर के तहत शिक्षा विभाग को 8736 कच्चे टीचरों को रिटायरमेंट की उम्र तक नौकरी में बनाए रखने की व्यवस्था करने के आदेश जारी कर दिए हैं लेकिन इसके लिए भी आरक्षण का कोई नियम लागू नहीं किया जा रहा।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने कच्चे मुलाजिमों को नौकरी में पक्का न करते हुए, पंजाब सर्विस रूल के तहत स्पेशल कैडर का गठन करके उन्हें 58 साल यानी रिटायरमेंट की उम्र तक नौकरी में बनाए रखने की नीति तैयार की है।
इसमें उन्हीं कच्चे मुलाजिमों को लाभ मिलेगा, जो कम से कम 10 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं लेकिन पंजाब सर्विस रूल के तहत नौकरी पर रखे जाने वाले कर्मचारियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था बनी हुई है, जिसके तहत एससी-एसटी को 25 फीसदी, ओबीसी को 12 फीसदी, बीपीएल को 10 फीसदी, पूर्व सैनिकों को 1 फीसदी, दिव्यांगों को 4 और खिलाड़ियों को 3 फीसदी और महिलाओं को 33 फीसदी का प्रावधान है। ये सारे प्रावधान स्पेशल कैडर पर लागू नहीं किए गए हैं।
इस पर ऐतराज जताते हुए वीरवार को पंजाब बसपा के प्रधान जसवीर सिंह गढ़ी ने एक बयान में कहा कि आप सरकार का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है। उधर, एससी-एसटी मुलाजिम संगठन ने भी स्पेशल कैडर में आरक्षण की अनदेखी पर कड़ा एतराज जताया है। संगठन का कहना है कि जब सरकार स्पेशल कैडर में शामिल होने वाले किसी भी कर्मचारी पर पंजाब सर्विस रूल के तहत कार्रवाई कर सकती है तो इस रूल के तहत उसके अधिकारों का हनन कैसे कर सकती है?