हालांकि, मौजूदा समय में सीयू के निर्माण कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और देहरा में निर्माण कार्य के लिए कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन धर्मशाला के तहत जदरांगल में चिह्नित वन भूमि के लिए अभी एफसीए की क्लीयरेंस नहीं मिली है। इसके चलते भवन निर्माण पर अभी तक संशय है। हालांकि, धर्मशाला के जदरांगल में सीयू निर्माण के लिए कुछ नॉन फोरेस्ट लैंड सीयू के नाम हुई है, लेकिन भवन निर्माण के लिए यह भूमि पर्याप्त नहीं है। मौजूदा समय में सीयू अस्थायी तौर पर किराये के भवनों में धर्मशाला, देहरा और शाहपुर में चल रहा है।
जनवरी 2009 में सीयू के लिए मिली थी मंजूरी
केंद्रीय विश्वविद्यालय निर्माण की स्वीकृति 20 जनवरी, 2009 को मिली थी। इसके प्रस्तावित भवन निर्माण के लिए 400 करोड़ की राशि भी आवंटित हुई थी, लेकिन इसका निर्माण कार्य केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के चलते अटक गया था। वर्ष 2009-10 के दौरान केंद्र में यूपीए की सरकार थी। उस समय केंद्रीय भूमि चयन समिति ने जिला कांगड़ा का दौरा किया था। बैजनाथ से इंदौरा तक और धर्मशाला से लेकर कलोहा तक चयन समिति ने भूमि का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी। तत्कालीन केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया था केंद्रीय विश्वविद्यालय का 70 फीसदी निर्माण देहरा में ब्यास कैंपस और 30 फीसदी निर्माण धर्मशाला में धौलाधार कैंपस के रूप में किया जाएगा।
विवि को देहरा में मिली है 81 हेक्टेयर भूमि
केंद्रीय विश्वविद्यालय के देहरा में परिसर निर्माण के लिए मंजूर हुई 81 हेक्टेयर वन भूमि का कब्जा विवि प्रशासन को मिला है। देहरा में विवि की 81 हेक्टेयर वन भूमि और 34 हेक्टेयर गैर वन भूमि मिली है। इसमें 34 हेक्टेयर गैर वन भूमि 2016-17 में विवि को सौंप दी गई थी। 34 हेक्टेयर जमीन वन विभाग के तहत मिली है। इसके अलावा सीयू के भवन निर्माण के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने करीब 510 करोड़ रुपये की राशि भी जारी की है। वहीं, धौलाधार कैंपस के तहत जदरांगल में करीब 24 हेक्टेयर भूमि सीयू प्रशासन को मिली है, जबकि अन्य भूमि के लिए कार्य चल रहा है।
देहरा में केंद्रीय विश्वविद्यालय के बनने वाले भवन का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। जिस कंपनी को कार्य करने का जिम्मा सौंपा गया है, उसने वहां पर अपनी मशीनरी और सामान आदि रखने के लिए क्षेत्र को समतल करने का कार्य शुरू किया हुआ है। वहीं, धर्मशाला के जदरांगल में होने वाले भवन निर्माण के लिए वन भूमि के लिए एफसीए की क्लीयरेंस अभी तक नहीं मिली है। पर्यावरण मंत्रालय के पास देहरा और धर्मशाला दोनों कैंपसों के मामले एक साथ पहुंचे हैं, उम्मीद है जल्द ही क्लीयरेंस मिल जाएगी। वहीं, जदरांगल में कुछ नॉन फॉरेस्ट भूमि सीयू के नाम पर है, जहां पर निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है। – डॉ. विशाल सूद, रजिस्ट्रार, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश
कांग्रेस कार्यकाल में चिह्नित की गई थी भूमि : सुधीर
कांग्रेस कार्यकाल में केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए धर्मशाला और देहरा में बनने वाले कैंपस के लिए भूमि चिह्नित कर ली गई थी। इससे पहले की काम शुरू हो पाता, प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। लेकिन भाजपा सरकार ने सीयू के निर्माण कार्य के लिए रुचि ही नहीं दिखाई, जिसके चलते प्रदेश आज भी केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर से वंचित है।
प्राथमिकता में शामिल होगा सीयू का निर्माण : राकेश
भाजपा प्रत्याशी राकेश चौधरी का कहना है कि सीयू का निर्माण कार्य उनकी प्राथमिकता रहेगा। सीयू का निर्माण कार्य धर्मशाला के जदरांगल में हो, इसके लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे। निर्माण कार्य में जो भी अड़चने आ रही हैं, उन्हें दूर कर इसके निर्माण का रास्ता प्रशस्त किया जाएगा।
केंद्रीय विश्वविद्यालय का स्थायी कैंपस प्रदेश में बनना बहुत जरूरी है। इससे जहां लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं युवाओं को उनके घरद्वार पर ही अच्छी शिक्षा मिलेगी, लेकिन पिछले कई वर्षों से इसे अस्थायी भवनों में चलाया जा रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। – अभिषेक
केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर निर्माण पर लगातार यहां की जनता को ठगा गया है। 12 वर्ष पहले मिले केंद्रीय विश्वविद्यालय का आज तक अपना स्थायी भवन न होना यहां की जनता का दुर्भाग्य है। उम्मीद है जल्द ही सीयू का स्थायी कैंपस प्रदेश में देखने को मिलेगा। – हैपी ठाकुर
हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय का मिलना किसी सौगात से कम नहीं है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला भौगोलिक रूप से प्रदेश के एक कोने में है और निचले क्षेत्र के लिए यह दूर है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय जिला कांगड़ा में बनना प्रस्तावित हुआ था, लेकिन इतना लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी इसका स्थायी कैंपस न होना युवाओं के साथ अन्याय है। अगर अपना कैंपस होगा तो कई प्रकार के नई विषय और अन्य सुविधाएं मिलेंगी, जिनसे अभी तक यहां पर अध्ययनरत छात्र वंचित हैं। – सत्येंद्र गौतम