
विधानसभा चुनावी मुद्दा।
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विदेशी सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का मसला करीब एक दशक बाद भी नहीं सुलझ पाया है। वर्ष 2012 से लगातार इस मामले को उठाते आ रहे हिमाचल प्रदेश के बागवानों को अभी तक राहत का इंतजार है। विदेशी सेब का आयात लगातार बढ़ता जा रहा है। अफगानिस्तान के रास्ते से आ रहे ईरान के सेब की मार हिमाचली सेब पर सबसे ज्यादा पड़ रही है। प्रदेश के बागवान सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी तक करने के लिए सरकार पर अरसे से दबाव बना रहे हैं। हिमाचल में हर साल 5,000 हजार करोड़ का कारोबार सेब से किया जाता है। प्रदेश की अर्थ व्यवस्था पर सेब की अहम भूमिका रही है। अधिकांश बागवानों की सालभर की कमाई भी सेब पर ही टिकी है। दूसरी ओर, विदेशी सेब ने हिमाचल के बागवानों के सामने चुनौती खड़ी कर रखी है। बड़ी मात्रा में विदेशी सेब के आने से हिमाचल के सेब को अच्छे रेट नहीं मिल रहे हैं।
44 देशों से हर साल सेब होता है आयात
देश में विश्व भर के करीब 44 देशों से सेब का आयात हर साल किया जाता है। इन देशों में ईरान, टर्की, चिली, वाशिंगटन, इटली, फांस, न्यूजीलैंड आदि प्रमुख हैं। चीन से भी सेब का आयात होता रहा था परंतु अब चीन के सेब के आयात पर रोक लगी है। इन सभी देशों में सेब पर पचास फीसदी आयात शुल्क लगा है। वाशिंगटन में ही सेब पर आयात शुल्क 75 फीसदी तक है। वाशिंगटन के सेब पर आयात शुल्क वर्ष 2018 में बढ़ाया गया था।
डब्ल्यूटीओ के समझौते में 75 फीसदी लगा सकते हैं आयात शुल्क
बागवानों के प्रतिनिधि कहते हैं कि विश्व व्यापार संगठन के समझौते के अनुसार आयात शुल्क 75 फीसदी तक लगाया जा सकता है। सेब में सिर्फ 50 फीसदी आयात शुल्क लगा है। माना जा रहा है कि अगर सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी किया जाता है तो इससे हिमाचली सेब के समक्ष विदेशी सेब की चुनौती काफी कम हो सकती है।
विभिन्न सरकारों के सामने उठाया जा चुका मामला
प्रदेश में बागवानों के प्रतिनिधि सेब पर आयात शुल्क बढ़ाकर सौ फीसदी करने का मामला केंद्र और राज्य की विभिन्न सरकारों के सामने उठाते रहे हैं। पूर्व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा से सेब पर आयात शुल्क बढ़ने का मामला उठाया गया था। इसके बाद केंद्र में भाजपा सरकार से भी यह मामला लगातार उठाया जाता रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर भाजपा नेता जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से भी इस मामले में मांग की जा चुकी है।
-क्या कहते हैं बागवान नेता
हिमाचल प्रदेश फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान कहते हैं कि विदेशों से आयात हो रहा सेब हिमाचल के सेब के लिए चुनौती बनता जा रहा है। सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का मामला वर्ष 2012 से लगातार उठाया जाता रहा है। अभी तक प्रदेश के बागवानों को राहत नहीं मिली है। ईरान का सेब अफगानिस्तान के रास्ते देश में आ रहा है और प्रदेश के बागवानों को इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ रही है।