
महिला मतदाता।
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में हुए बंपर मतदान से नेताओं की धुकधुकी बढ़ गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेता भले ही अलग-अलग तरीकों से अधिक मतदान को अपने पक्ष में मान रहे हैं लेकिन, सूबे में रिवाज बदलेगा या राज, इसका खुलासा 8 दिसंबर को ही होगा। वर्ष 2017 में मतदान के दिन 74.60 प्रतिशत वोट पड़े थे। हालांकि, सर्विस वोटरों को जोड़ने के बाद यह आंकड़ा 75.57 प्रतिशत पहुंचा था।
इस बार मतदान के दिन 75 प्रतिशत तक मतदान हो चुका है। इसमें अभी सर्विस वोटर जोड़े जाने हैं। ऐसे में यह आंकड़ा बीते चुनावों के मुकाबले और अधिक बढ़ने के आसार हैं। इस बंपर वोटिंग के आधार पर कांटे की टक्कर वाली सीटों को लेकर समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। जिन सीटों पर चार से पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, वहां मतों के विभाजन के बाद जीत और हार में बहुत कम अंतर रहने की संभावना है।
भाजपा के मीडिया सह प्रभारी करण नंदा का कहना है कि यह मतदान सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी नहीं है। सरकार के पक्ष में मतदान हुआ है। माकपा के राज्य सचिव डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि प्रदेश में कई वोटरों ने दो-दो स्थानों में अपने वोट बनाए हैं। ऐसे वोटर अपने गांवों में वोट डालते हैं।
इससे भी वोट प्रतिशत पर विपरीत असर पड़ता है। कांग्रेस के मीडिया विभाग प्रभारी नरेश चौहान ने कहा कि प्रदेश में मतदान 76 प्रतिशत से अधिक जाएगा। ईवीएम और डाक मतपत्रों की गणना होने के बाद मतदान प्रतिशतता और अधिक बढ़ेगी। यह मतदान सरकार के खिलाफ है। जनता ने बदलाव के लिए मतदान किया है।