Crisis on the existence of Lohandi river, many animals have died due to poisonous water, officials still unknown | लोहंदी नदी के अस्तित्व पर संकट, जहरीला पानी से कई जानवरों की हो चुकी है मौत, कभी सांसद फूलन देवी ने दिया था धरना

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मिर्जापुर31 मिनट पहले

नाले में तब्दील हो गई नदी।

  • लौरिया में बड़का तो लोहन्दी में बहता था ग्यारह तख्वा का झरना
  • पढ़े लिखे लोगों ने नदी को नाला बना दिया
  • गंगा में जहरीला पानी, जलीय जीवों पर संकट
  • सांसद फूलन देवी ने नदी बचाने के लिए दिया था धरना
  • फेन वाला काला पानी, पीते ही खत्म जिंदगानी
  • कागज पर दौड़ रही जल संरक्षण की योजनाएं

मिर्जापुर में लोगों को जीवन और उनकी दिनचर्या को गति देने वाली लोहंदी नदी प्रदूषण के चलते नाले में तब्दील हो गई हैं। सिटी विकास खण्ड के लौरिया गांव की बंधी से पानी लेकर करीब आठ किलोमीटर का सफर कर गंगा में समाहित होने वाला जल जहरीला हो गया है। बहते गंदे पानी का सेवन कर आधा दर्जन से अधिक गाय भैंस की मौत हो चुकी हैं। जिले की सांसद बनी दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने नदी को बचाने के लिए 1996 में नदी किनारे ग्यारह तख्वा के बगल में कुटी पर धरना दिया था। उनका धरना प्रदर्शन नदी के संरक्षण में काम न आया। अधिकारियों के वादे के बावजूद नदी का पानी जहरीला बनता गया। इसके पीछे एक कॉरपोरेट कम्पनी को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है।

नाले में तब्दील हो गई नदी।

नाले में तब्दील हो गई नदी।

लौरिया में बड़का तो लोहन्दी में बहता था ग्यारह तख्वा का झरना

अदवा, भोगवा और हनुमान बंधा का पानी लौरिया बंधी में इकट्ठा होता था । जल संरक्षण के लिए बंधी पर पक्का निर्माण किया गया था । जो वक्त की मार से ध्वस्त होते गए । रख रखाव के नाम पर खर्च तो किया गया पर निर्माण कुछ नज़र नही आता । इस बंधी से झरना के रूप में गिरने वाला जल गंगा में समाहित होने के लिए निकलता था । जो नकहरा गांव से होते हुए बथुआ मोहल्ले में पत्थर से बने गांधी घाट पर लोगों को सुकून देता था। इस घाट पर लोगों की नहाने के लिए भीड़ लगी रहती थी। इतना ही नहीं लोग फुर्सत के दिनों में इसके किनारे पिकनिक मनाने आते थे । यह नदी फिर आगे लोहंदी में जाकर ग्यारह तख्वा पर तीन जगह पत्थर का घाट अपने गौरव की गाथा कहता है । नदी का जल लोगों को राहत देती थी । सावन के महीने में प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को लोहन्दी महावीर के मन्दिर पर मेला लगता हैं । लोग इस नदी में नहाते और बाटी चोखा, चुरमा का स्वाद लेते थे । नदी के किनारे के कुआं का मीठा जल हर मर्ज की दवा था। नदी की बदहाली के बाद मेला तो लगता हैं पर वह रौनक नही रह गया हैं ।

स्थानीय लोगों ने बनाई समस्याएं।

स्थानीय लोगों ने बनाई समस्याएं।

पढ़े लिखे लोगों ने नदी को नाला बना दिया

बंधी के प्रति विभागीय उपेक्षा, नदी के मार्ग पर अतिक्रमण से बंधी का पानी नदी में आना बन्द हो गया है। नकहरा में स्थित कार्पेट कम्पनी के साथ ही बढ़ती आबादी के कारण लोगों के घरों से निकले पानी ने नदी को नाला बनाकर रख दिया है।जिसका गंदा पानी विभिन्न गांवों से होते हुए ओझला पुल के नीचे से होकर गंगा नदी में मिलता है ।गंगा स्वच्छता अभियान के तहत भारी भरकम धनराशि खर्च करने के बाद भी जहरीले पानी के कारण उसके निवारण पर किसी जन प्रतिनिधि या जिम्मेदार अधिकारी ने ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा ।

गंगा में जहरीला पानी, जलीय जीवों पर संकट

कारपेट कंपनी और लोगो के घरों से निकल रहे रासायनिक और गंदे जल का प्रवाह क्षेत्र में दुर्गंध बिखेरता हुआ गंगा नदी में समाहित हो रहा हैं। जहरीले जल का गंगा में रहने वाले जलीय जंतुओं पर पड़ना स्वाभाविक है । गंगा नदी में जहर कब तक प्रवाहित होगा यह तो प्रदूषण का जिम्मा संभालने वाला विभाग जाने ।

सांसद फूलन देवी ने नदी बचाने के लिए दिया था धरना

बीहड़ से निकलकर संसद पहुंची दस्यु सुंदरी फूलन देवी मिर्जापुर भदोही संसदीय सीट से 11वीं लोकसभा में 1996 में पहली बार सांसद बनी थी । इस दौरान उन्होंने सपा नेता कैलाश चौरसिया के लोहंदी आवास पर रहते हुए नदी को बचाने के लिए धरना प्रदर्शन किया था । जो आश्वासन के बाद खत्म तो कर दिया गया। लेकिन समस्या का समाधान किए जाने को कौन कहे नदी पर लगा ग्रहण गहराता गया । आज भी वही हाल हैं । अब इसके जल में नहाने को कौन कहे दुर्गंध के कारण लोग खड़ा होना भी उचित नहीं समझते ।

प्रदूषित पानी बहने के बावजूद भी अधिकारी अनजान।

प्रदूषित पानी बहने के बावजूद भी अधिकारी अनजान।

फेन वाला काला पानी, पीते ही खत्म जिंदगानी

लोहंदी नदी के किनारे ग्यारह तख्वा के पास रहने वाले पशुपालक अपने आधा दर्जन से अधिक धन पशु खो चुके हैं। पशु पालकों ने बताया कि बंधे हुए पशु को वह गंदा पानी नहीं पिलाते। लेकिन किसी प्रकार खूंटे से खुलकर बह रहे पानी पीने के दो चार दिन में ही उनकी मौत हो जाती हैं । जयराम यादव और पार्वती ने बताया कि नदी कभी हम सबके परिवार का सहारा था । लोगों ने तैरना सीखा था । अब तो उसके पास जानवर भी नही जाने देते ।नदी में स्वच्छ जल के जगह फेन वाला दुर्गंध युक्त गंदा पानी देखकर ही लोग सिहर जाते हैं । लेकिन यही पानी गंगा नदी में जाकर जलीय जीवों के लिए खतरा बना हुआ है। लोगों ने लोहन्दी नदी के साथ ही गंगा नदी को भी प्रदूषण से बचाने की जरुरत जताया।

कागज पर दौड़ रही जल संरक्षण की योजनाएं

एक तरफ केंद्र और प्रदेश सरकार गंगा निर्मलीकरण और जल संरक्षण की योजनाओं पर काम कर रही है। जबकि उन योजनाओं का असर जिले में कही नज़र नहीं आ रहा हैं। नया कुछ करने को कौन कहे धरोहर भी खतरे में दिखाई पड़ रहा हैं।

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