Cm Jairam Said That Sanskrit Will Be Taught In Schools From Third To Fifth Grade From Next Session – Sanskrit Utkarsh Festival: सीएम जयराम बोले- अगले सत्र से तीसरी से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई जाएगी संस्कृत

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में तीसरी से पांचवीं कक्षा तक संस्कृत पढ़ाई जाएगी। सरकार ने संस्कृत को बढ़ावा देने का कार्य शुरू कर दिया है। आने वाले समय में जमीनी स्तर पर और भी कार्य किए जाएंगे। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए रोड मैप तैयार किया जा रहा है। रविवार को सुंदरनगर में संस्कृत भारती सहित विभिन्न संस्कृत संगठनों की ओर से आयोजित संस्कृत उत्कर्ष महोत्सव में मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत सब भाषाओं की जननी है। वर्तमान में इसे वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जो मिलना चाहिए। यह देश का दुर्भाग्य है कि आज संस्कृत जानने और बोलने वाले सीमित संख्या में रह गए हैं। शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर और विधायक राकेश जंवाल भी विशेष रूप में उपस्थित रहे। 

जयराम ने चिंता जताई कि देश में अनेक राज्य अपनी स्थानीय भाषा को तो सम्मान दे रहे हैं, लेकिन संस्कृत को जो सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है। देश के हर राज्य में हिंदू धर्म में होने वाले हर संस्कार संस्कृत में ही होते हैं और प्राचीन ग्रंथ भी संस्कृत में ही हैं। हिमाचल देव भूमि है। यहां संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कारगर कदम उठाए हैं। संस्कृत को हिमाचल में दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया है। सरकार ने बिलासपुर, शिमला और कुल्लू जिला में तीन नए संस्कृत कॉलेज खोले हैं। स्कूलों में शास्त्री पदनाम को बदल कर टीजीटी संस्कृत किया है। पदनाम बदलने के साथ अब पदलाभ भी एक सम्मान मिले इसको लेकर कार्य किया जा रहा है। इस दौरान विभिन्न शिक्षक संगठनों ने मांग पत्र भी मुख्यमंत्री को सौंपे।

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में तीसरी से पांचवीं कक्षा तक संस्कृत पढ़ाई जाएगी। सरकार ने संस्कृत को बढ़ावा देने का कार्य शुरू कर दिया है। आने वाले समय में जमीनी स्तर पर और भी कार्य किए जाएंगे। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए रोड मैप तैयार किया जा रहा है। रविवार को सुंदरनगर में संस्कृत भारती सहित विभिन्न संस्कृत संगठनों की ओर से आयोजित संस्कृत उत्कर्ष महोत्सव में मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत सब भाषाओं की जननी है। वर्तमान में इसे वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जो मिलना चाहिए। यह देश का दुर्भाग्य है कि आज संस्कृत जानने और बोलने वाले सीमित संख्या में रह गए हैं। शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर और विधायक राकेश जंवाल भी विशेष रूप में उपस्थित रहे। 

जयराम ने चिंता जताई कि देश में अनेक राज्य अपनी स्थानीय भाषा को तो सम्मान दे रहे हैं, लेकिन संस्कृत को जो सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है। देश के हर राज्य में हिंदू धर्म में होने वाले हर संस्कार संस्कृत में ही होते हैं और प्राचीन ग्रंथ भी संस्कृत में ही हैं। हिमाचल देव भूमि है। यहां संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कारगर कदम उठाए हैं। संस्कृत को हिमाचल में दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया है। सरकार ने बिलासपुर, शिमला और कुल्लू जिला में तीन नए संस्कृत कॉलेज खोले हैं। स्कूलों में शास्त्री पदनाम को बदल कर टीजीटी संस्कृत किया है। पदनाम बदलने के साथ अब पदलाभ भी एक सम्मान मिले इसको लेकर कार्य किया जा रहा है। इस दौरान विभिन्न शिक्षक संगठनों ने मांग पत्र भी मुख्यमंत्री को सौंपे।

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