Chandra Grahan 2023 Katha: क्यों लगता है चांद को ग्रहण? क्या है इसके पीछे की कहानी? | Chandra Grahan 2023 Katha: why does lunar eclipse happen? Know Katha in hindi

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Chandra Grahan 2023: चंद्र ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ता है इसलिए सभी लोगों को ग्रहणकाल में अपने-अपने आराध्य देवों का ध्यान करना चाहिए जिससे उन्हें कष्ट ना पहुंचे।

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oi-Ankur Sharma

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Chandra Grahan 2023 Katha:


Chandra
Grahan
2023
Katha:

साल
2023
का
पहला
चंद्र
ग्रहण
आज
रात
08:
45
PM
पर
लगने
जा
रहा
है।
4
घंटे
15
मिनट
का
ये
ग्रहण
देर
रात
6
मई
को
1.00
बजे
समाप्त
होगा।
ज्योतिषियों
के
हिसाब
से
तो
ये
ग्रहण
भारत
में
नजर
नहीं
आएगा
और
इसलिए
सूतक
काल
मान्य
नहीं
है
लेकिन
फिर
ग्रहण
का
असर
ग्रहों
पर
पड़ता
है
इसलिए
ग्रहण
के
दौरान
हर
किसी
को
कुछ
सावधानी
बरतने
की
जरूरत
होती
है।
अब
प्रश्न
ये
है
कि
चंद्र
ग्रहण
को
वैदिक
धर्म
में
इतना
बुरा
क्यों
बताया
गया
है
तो
इसके
पीछे
एक
कहानी
है,
जिसे
हर
किसी
को
जानना
काफी
जरूरी
है।


समुद्र
से
अमृत
निकला
था

दरअसल
पौराणिक
कथाओं
में
वर्णन
है
कि
समु्द्र
मंथन
के
दौरान
समुद्र
से
अमृत
निकला
था,
जिसे
लेकर
असुरों
और
देवताओं
में
जंग
छिड़
गई,ऐसे
में
सबके
सामने
समस्या
पैदा
हो
गई
कि
अब
असुरों
को
अमृत
पीने
से
केसै
रोकें
क्योंकि
अमृतपान
से
तो
वो
अमर
हो
जाएंगे।
ऐसे
में
भगवान
विष्णु
ने
एक
चाल
चली
और
उन्होंने
एक
मोहिनी
स्त्री
का
रूप
धरा
और
वो
अमृत
कलश
लेकर
देवताओं
और
असुरों
के
बीच
पहुंच
गए
और
कहा
कि
आप
सब
लोग
एक
पंक्ति
में
बैठ
जाएं,
मैं
आपको
अमृत
पिलाती
हूं।


राहु
ने
खुद
को
देवता
बना
लिया

मोहिनी
स्त्री
के
रूप
और
रंग
को
देखकर
असुरगण
इतने
मोहित
हो
गएं
कि
उन्होंने
तुरंत
उसकी
ये
बात
मान
ली
और
इसके
बाद
एक
पंक्ति
में
असुर
और
एक
लाइन
में
देवतागण
बैठ
गए।
मोहिनी
बने
विष्णु
जी
बड़ी
चालाकी
से
देवताओं
को
अमृत
और
दैत्यों
को
पानी
पीला
रहे
थे
लेकिन
राहु
को
उनकी
हरकत
पर
शक
हो
गया
और
उसने
अपनी
माया
से
खुद
को
देवता
बना
लिया
और
देवताओं
की
पंक्ति
पर
जाकर
बैठ
गया।

यह पढ़ें: Chandra Grahan 2023: आखिर हर पूर्णिमा पर क्यों नहीं लगता है चंद्र ग्रहण?यह
पढ़ें:
Chandra
Grahan
2023:
आखिर
हर
पूर्णिमा
पर
क्यों
नहीं
लगता
है
चंद्र
ग्रहण?


चंद्रमा
ने
की
थी
राहु
की
शिकायत

लेकिन
उसकी
इस
हरकत
को
चंद्रमा
जान
गया
और
वो
भागा-भागा
विष्णु
जी
के
पास
पहुंचा
और
उसने
सारी
बात
बता
दी।
ऐसे
में
विष्णु
जी
को
राहु
पर
बहुत
गुस्सा
आया
और
उन्होंने
सुदर्शन
चक्र
से
उसका
गला
काट
दिया
लेकिन
राहु
के
कंठ
के
नीचे
अमृत
उतर
चुका
था
और
इस
कारण
राहु
फिर
से
जीवित
हो
गया।
इसके
बाद
विष्णु
जी
ने
फिर
से
उस
पर
वार
किया
और
इस
बार
उन्हें
सिर
और
धड़
दो
अलग-अलग
दिशा
में
फेंक
दिया
जिससे
वो
आपस
में
ना
जुड़ें।


राहु
मानता
है
चंद्रमा
को
अपना
दुश्मन

अब
चूंकि
एक
बार
मरने
के
बाद
जुड़
चुका
था
और
वो
दिन
पूर्णिमा
का
था
इसलिए
राहु
पूर्णिमा
के
दिन
सशक्त
हो
जाता
है,
वो
चंद्रमा
को
अपना
दुश्मन
मानता
है
क्योंकि
उसी
ने
भगवान
विष्णु
से
उसकी
शिकायत
की
थी
इसलिए
वो
पूर्णिमा
के
दिन
वो
चांद
को
घेर
लेता
है
और
इस
कारण
उसकी
रोशनी
पृथ्वी
तक
नहीं
पहुंच
पाती
है
और
वो
घटना
चंद्र
ग्रहण
कहलाती
है।


…इसलिए
ग्रहण
काल
अच्छा
नहीं
होता

अब
चांद
जब
राहु
के
गुस्से
का
शिकार
होता
है
तो
इसे
अच्छा
नहीं
माना
जाता
है
इसलिए
ग्रहण
काल
को
अच्छा
नहीं
कहते
हैं
और
इस
दौरन
कोई
भी
शुभ
काम
से
बचा
जाता
है
और
लोगों
को
सावधानी
बरतने
को
कहा
जाता
है।
क्योंकि
राहु
का
प्रभाव
हर
राशि
पर
अच्छा
नहीं
माना
जाता
है
और
उससे
सभी
को
आर्थिक
और
स्वास्थ्य
की
परेशानियां
होती
हैं।
लोगो
का
पारिवारिक
जीवन
भी
वो
प्रभावित
करता
है
इसलिए
ज्योतिष
कहते
हैं
कि
चंद्र
ग्रहण
के
दौरान
लोगों
को
फैमिली
के
किसी
भी
सदस्य
से
झगड़ा
नहीं
करना
चाहिए
और
ना
ही
कर्ज
देना
चाहिए।

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2023
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चंद्र
ग्रहण
के
भय
से
बचने
के
लिए
जरूर
करें
ये
उपाय,
डर
का
अंत
होगा
तुरंत

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कितने
बजे
लगेगा,
सूतक
काल
कबसे
?
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Eclipse
|
वनइंडिया
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English summary

Chandra Grahan 2023 Katha: why does lunar eclipse happen? Know Katha in hindi.

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