Astrology
lekhaka-Gajendra sharma
-
परोक्षे
कार्यहन्तारं
प्रत्यक्षे
प्रियवादिनम्
। -
वर्जयेत्तादृशं
मित्रं
विषकुम्भं
पयोमुखम्
।।

बुरे
मित्रों
से
बच
कर
रहें
अर्थात्-
पीठ
पीछे
काम
बिगाड़ने
वाले
तथा
प्रत्यक्ष
रूप
से
प्रिय
बोलने
वाले
ऐसे
मित्रों
का
त्याग
करना
ही
उचित
होता
है।
ऐसे
मित्र
मुख
पर
दूध
रखे
हुए
विष
भरे
घड़े
के
समान
होते
हैं।
काम
बिगाड़ने
में
कोई
कसर
नहीं
छोड़ेंगे
आचार्य
चाणक्य
इस
सूत्र
के
माध्यम
से
बुरे
मित्रों
की
ओर
संकेत
करते
हैं।
वे
कहते
हैं
प्रत्येक
व्यक्ति
के
जीवन
में
कुछ
मित्र
ऐसे
होते
हैं
जो
आपके
सामने
तो
मीठा-मीठा
बोलेंगे,
आपके
प्रति
सहानुभूति
दर्शाएंगे
किंतु
पीठ
पीछे
आपकी
बुराई
करने
और
आपका
काम
बिगाड़ने
में
कोई
कसर
नहीं
छोड़ेंगे।
ऐसे
मित्र
गुप्त
शत्रु
होते
हैं।
आचार्य
चाणक्य
ने
ऐसे
मित्रों
की
तुलना
जहर
से
भरे
हुए
उसे
घड़े
से
की
है
जिसके
मुंह
पर
तो
दूध
लगा
दिखाई
देता
है
किंतु
भीतर
से
उसमें
भयंकर
विष
भरा
हुआ
है।
ऐसे
लोग
किसी
भी
समय
धोखा
दे
सकते
हैं।
यदि
आपको
ऐसे
मित्रों
के
बारे
में
जरा
भी
आभास
हो
जाए
तो
उन्हें
तुरंत
त्याग
देने
में
ही
भलाई
है।
हमारा
मित्र
होने
का
दावा
करते
हैं
सच
तो
यह
है
ऐसे
लोग
मित्र
कहलाने
के
पात्र
ही
नहीं
हैं,
उन्हें
शत्रु
कहना
ही
उचित
होगा।
सच
यही
है
कि
हमारे
आसपास
ऐसे
अनेक
लोग
होते
हैं
जो
हमारा
मित्र
होने
का
दावा
करते
हैं,
मित्र
होने
का
दिखावा
करते
हैं,
लेकिन
मन
ही
मन
वे
हमसे
द्वेष
भावना
रखते
हैं।
जीवन
में
कभी
भी
हमारा
नुकसान
पहुंचा
सकते
हैं
वे
नहीं
चाहते
कि
हमारा
कोई
काम
ठीक
से
हो,
हम
किसी
काम
में
सफल
हों,
वे
हमें
सफल
होते
नहीं
देखना
चाहते
लेकिन
मुंह
पर
तो
कहने
की
हिम्मत
होती
नहीं
इसलिए
पीठ
पीछे
ही
नुकसान
पहुंचाने
का
प्रयास
करते
रहते
हैं।
ऐसे
मित्रों
की
पहचान
करके
उन्हें
अपनी
जीवन
से
तुरंत
दूर
कर
देना
चाहिए
वरना
वे
जीवन
में
कभी
भी
हमारा
नुकसान
पहुंचा
सकते
हैं।
सच्चे
मित्र
की
पहचान
हो
सके
आचार्य
चाणक्य
का
यह
सूत्र
प्रत्येक
मनुष्य
को
अपनाना
चाहिए
ताकि
सच्चे
मित्र
की
पहचान
हो
सके
और
बुरे
मित्रों
(शत्रु)
को
अपने
से
दूर
किया
जा
सके।
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English summary
Avoid bad friends, right person never leaves you in bad times said Chanakya Niti