नए शिक्षा सत्र के लिए तैयार किए जाने वाला शैक्षणिक कैलेंडर पिछड़ गया है।
सत्र 2022-23 के लिए शैक्षणिक कैलेंडर अब तक तैयार नहीं हो पाया है। उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए समिति तो गठित की, लेकिन इसकी पहली बैठक तक नहीं हो पाई है। जेईई मेंस, एडवांस और नीट की परीक्षाएं जुलाई-अगस्त में आयोजित होनी है। वहीं अभी सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा चल रही है। यह परीक्षा 15 जून तक होनी है। इसकी वजह से नए शिक्षा सत्र के लिए तैयार किए जाने वाला शैक्षणिक कैलेंडर पिछड़ गया है।
कोविडकाल के पहले के वर्षों में मई के दूसरे सप्ताह तक प्रक्रिया पूरी हो जाती थी। मई के अंतिम हफ्ते में कैलेंडर जारी भी हो जाता था, लेकिन इस बार अब तक प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है। शैक्षणिक कैलेंडर तय करने के लिए गठित कमेटी को प्रस्ताव तैयार करना होता है। इसके बाद अनुमोदन के लिए उच्च शिक्षा विभाग को भेजना होता है। फिर अधिसूचना जारी होती है।
कोविडकाल से लगातार कैलेंडर तय करने में हो रही देरी, छात्र भी परेशान
शिक्षा सत्र 2019-20 के दौरान 19 मई 2019 को शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया गया था। शिक्षा सत्र 2020-21 में 10 अक्टूबर 2020 को और शिक्षा सत्र 2021-22 के दौरान 26 जुलाई 2021 को शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया गया था। देरी से पाठ्यक्रम तय करने और शैक्षणिक कैलेंडर जारी करने से दो शिक्षा सत्र बुरी तरह प्रभावित रहा। इसकी वजह से अभी तक विश्वविद्यालयों में वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं। तकनीकी, मेडिकल और पत्रकारिता विवि का भी पाठ्यक्रम निर्धारित समय से काफी पीछे चल रहा है।
संशय में छात्र : शैक्षणिक कैलेंडर तय नहीं होने से अन्य प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई
प्रतिस्पर्धी और अन्य परीक्षाओं में देरी की वजह से गठित समिति की बैठक भी नहीं
सीबीएसई 12वीं की परीक्षा 15 जून तक यह चलेगी।
पीईटी और पीपीएचटी : व्यापमं से 22 मई तय है।
जेईई मेंस : प्रथम सत्र 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28 और 29 जून तथा दूसरा सत्र 21, 22, 23, 24, 25 26, 27, 28, 29, और 30 जुलाई तक। जेईई एडवांस की परीक्षा 28 अगस्त को होगी।
नीट की परीक्षा : मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा 17 जुलाई को होगी।
शैक्षणिक कैलेंडर में देरी से पढ़ाई होगी प्रभावित, सिलेबस पर भी पड़ेगा असर
- प्रवेश प्रक्रिया निर्धारित समय पर नहीं हो पाएगी। बहुत देरी तक प्रवेश देने का काम चलता रहेगा।
- देरी से सत्र शुरू होने का असर पाठ्यक्रमों पर भी पड़ेगा। सत्र पूरा होते तक पाठ पूरे नहीं हो पाएंगे।
- छात्रों की शिक्षा सत्र के दौरान प्रत्येक विषय पूरे नहीं हो पाएंगे। आधी-अधूरी पढ़ाई हो पाएगी।
- मार्च-अप्रैल में शुरू होने वाली परीक्षा निर्धारित समय में शुरू नहीं हो पाएगी।
अंडर ग्रेजुएशन के पाठ्यक्रम तय करने के लिए सेंट्रल कमेटियां बनाई गई हैं। अलग–अलग विश्वविद्यालयों को अलग-अलग विषयों की जिम्मेदारी दी गई है। उनकी दो दौर की बैठकें हो गई हैं। पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देकर उसका प्रकाशन किया जाएगा। –शारदा वर्मा, संचालक उच्च शिक्षा
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