बद्दी से चंडीगढ़ के लिए रेल ट्रैक बनाने का कार्य शुरू। – फोटो : संवाद
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हिमाचल प्रदेश के बद्दी-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए ट्रैक बनाने का कार्य बद्दी क्षेत्र में शुरू हो गया है। रेलवे बोर्ड से टेंडर अवार्ड होने के बाद निर्माण ठेकेदार ने जमीन को समतल कर ट्रैक बनाने के लिए मजदूर लगा दिए हैं। जमीन समतल होने के बाद ट्रैक के लिए पत्थर भरान का कार्य होगा। करीब 1500 करोड़ रुपये की लागत से चंडीगढ़ से बद्दी तक 30.295 किमी लंबी यह रेल लाइन बननी है। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र के लिए रेलवे लाइन बिछने से उद्योगों को काफी राहत मिलने वाली है। हिमाचल में 3.5 किलोमीटर ट्रैक बिछाया जाना है जिसमें 9 गांवों के 300 से अधिक किसानों की जमीन रेलवे लाइन के बीच में आई है। विभाग ने रेलवे लाइन के बीच आने वाली जमीन की निशानदेही कर उसका अधिग्रहण कर लिया है। अधिकांश लोगों को जमीन का पैसा भी मिल चुका है।
इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2007 में केंद्र सरकार की मंजूरी मिली थी। जून 2019 में सरकार ने इसे स्पेशल रेलवे प्रोजेक्ट घोषित कर दिया था। इस प्रोजेक्ट में हिमाचल की 34 हेक्टेयर जमीन रेलवे लाइन के बीच में आ रही है। जिसमें अधिकांश किसानों को जमीन का मुआवजा मिल गया है। चार हेक्टेयर जमीन का अभी और अधिग्रहण होना, जिसकी सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी और सरकार की ओर से मुआवजा का पैसा भी आ चुका है। चुनाव के चलते अधिग्रहण का कार्य रूक गया था जिसे अब जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
हिमाचल की सराजमाजरा लबाना, बद्दी शीतलपुर, चक जंगी, कल्याणपुर, बिलांवाली गुजरां, लंडेवाल, संडोली, हरिपुर संडोली, और केंदूवाल गांव के तीन सौ अधिक किसानों की जमीन इस लाइन में आई है। हिमाचल का इसमें साढे़ तीन किलोमीटर रेल लाइन हिस्सा है, बाकी जमीन हरियाणा राज्य में आ रही है। प्रस्तावित रेल लाइन सूरजपुर से शुरू होकर हरियाणा के धमाला, लोहगढ़, खेड़ा-टांडा जोलूवाल, कौना, मंड़ावाला और हिमाचल के शीतलपुर स्थित कंटेनर डिपो केंदूवाला होते हुए संडोली तक पहुंचेगी। संवाद
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हिमाचल प्रदेश के बद्दी-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए ट्रैक बनाने का कार्य बद्दी क्षेत्र में शुरू हो गया है। रेलवे बोर्ड से टेंडर अवार्ड होने के बाद निर्माण ठेकेदार ने जमीन को समतल कर ट्रैक बनाने के लिए मजदूर लगा दिए हैं। जमीन समतल होने के बाद ट्रैक के लिए पत्थर भरान का कार्य होगा। करीब 1500 करोड़ रुपये की लागत से चंडीगढ़ से बद्दी तक 30.295 किमी लंबी यह रेल लाइन बननी है। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र के लिए रेलवे लाइन बिछने से उद्योगों को काफी राहत मिलने वाली है। हिमाचल में 3.5 किलोमीटर ट्रैक बिछाया जाना है जिसमें 9 गांवों के 300 से अधिक किसानों की जमीन रेलवे लाइन के बीच में आई है। विभाग ने रेलवे लाइन के बीच आने वाली जमीन की निशानदेही कर उसका अधिग्रहण कर लिया है। अधिकांश लोगों को जमीन का पैसा भी मिल चुका है।
इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2007 में केंद्र सरकार की मंजूरी मिली थी। जून 2019 में सरकार ने इसे स्पेशल रेलवे प्रोजेक्ट घोषित कर दिया था। इस प्रोजेक्ट में हिमाचल की 34 हेक्टेयर जमीन रेलवे लाइन के बीच में आ रही है। जिसमें अधिकांश किसानों को जमीन का मुआवजा मिल गया है। चार हेक्टेयर जमीन का अभी और अधिग्रहण होना, जिसकी सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी और सरकार की ओर से मुआवजा का पैसा भी आ चुका है। चुनाव के चलते अधिग्रहण का कार्य रूक गया था जिसे अब जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
हिमाचल की सराजमाजरा लबाना, बद्दी शीतलपुर, चक जंगी, कल्याणपुर, बिलांवाली गुजरां, लंडेवाल, संडोली, हरिपुर संडोली, और केंदूवाल गांव के तीन सौ अधिक किसानों की जमीन इस लाइन में आई है। हिमाचल का इसमें साढे़ तीन किलोमीटर रेल लाइन हिस्सा है, बाकी जमीन हरियाणा राज्य में आ रही है। प्रस्तावित रेल लाइन सूरजपुर से शुरू होकर हरियाणा के धमाला, लोहगढ़, खेड़ा-टांडा जोलूवाल, कौना, मंड़ावाला और हिमाचल के शीतलपुर स्थित कंटेनर डिपो केंदूवाला होते हुए संडोली तक पहुंचेगी। संवाद
बद्दी क्षेत्र में प्रस्तावित रेल लाइन का कार्य शुरू हो चुका है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 1500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वर्ष 2025 तक रेल लाइन प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।- एमपी सिंह. अधिशासी अभियंता, रेलवे बोर्ड
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला मुख्यालय के साथ लगती लगघाटी में कई रमणीय पर्यटन स्थल हैं। इन पर्यटन स्थलों को नई मंजिलें नई राहें योजना में विकसित किया जाएगा। पर्यटन विभाग इसकी योजना तैयार कर ली है। नई मंजिलें नई राहें योजना में ही लगघाटी के मठासौर के लिए रोपवे लगाया जाएगा। रोपवे लगने से इस जगह पर पर्यटकों के लिए पहुंचना आसान हो जाएगा। वर्तमान में यहां तक पहुंचने के लिए पैदल ही रास्ता नापना पड़ता है। मठासौर पहुंचने के लिए भल्याणी से होकर करीब एक घंटे का पैदल सफर है। वहीं भूमतीर गांव होकर भी लोग इस स्थान पर पहुंचते हैं। मठासौर में बड़े मैदान के बीच में एक भव्य मंदिर है। इसके साथ ही बड़ा मैदान है। इसके साथ आसपास और भी दर्शनीय स्थल हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
पिछले कुछ समय से जिस तरह से पर्यटकों को लगघाटी की वादियां लुभा रही है। ऐसे में अगर इस स्थल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए तो यह स्थल सबके लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। रोप वे लगने से यहां पर पर्यटकों के लिए पहुंचना आसान हो जाएगा। वहीं स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर खुलेंगे। लोग अपने घर द्वार पर ही अच्छी कमाई कर सकेंगे। लगघाटी के लोकगायक इंद्रजीत ने कहा कि मठासौर की खूबसूरती सबको कायल बना देती हैं। यह आने वाले समय में एक अच्छा पर्यटन स्थल बन सकता है। जिला पर्यटन अधिकारी सुनैना शर्मा ने कहा कि नई मंजिलें नई राहें योजना में लगघाटी के रमणीय स्थल मठासौर के लिए रोपवे लगाया जाएगा। रोपवे के लिए विभाग ने साइट का निरीक्षण कर फाइल तैयार ली है। इसे अब सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। मठासौर के लिए रोप वे लगने से लगघाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला मुख्यालय के साथ लगती लगघाटी में कई रमणीय पर्यटन स्थल हैं। इन पर्यटन स्थलों को नई मंजिलें नई राहें योजना में विकसित किया जाएगा। पर्यटन विभाग इसकी योजना तैयार कर ली है। नई मंजिलें नई राहें योजना में ही लगघाटी के मठासौर के लिए रोपवे लगाया जाएगा। रोपवे लगने से इस जगह पर पर्यटकों के लिए पहुंचना आसान हो जाएगा। वर्तमान में यहां तक पहुंचने के लिए पैदल ही रास्ता नापना पड़ता है। मठासौर पहुंचने के लिए भल्याणी से होकर करीब एक घंटे का पैदल सफर है। वहीं भूमतीर गांव होकर भी लोग इस स्थान पर पहुंचते हैं। मठासौर में बड़े मैदान के बीच में एक भव्य मंदिर है। इसके साथ ही बड़ा मैदान है। इसके साथ आसपास और भी दर्शनीय स्थल हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
पिछले कुछ समय से जिस तरह से पर्यटकों को लगघाटी की वादियां लुभा रही है। ऐसे में अगर इस स्थल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए तो यह स्थल सबके लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। रोप वे लगने से यहां पर पर्यटकों के लिए पहुंचना आसान हो जाएगा। वहीं स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर खुलेंगे। लोग अपने घर द्वार पर ही अच्छी कमाई कर सकेंगे। लगघाटी के लोकगायक इंद्रजीत ने कहा कि मठासौर की खूबसूरती सबको कायल बना देती हैं। यह आने वाले समय में एक अच्छा पर्यटन स्थल बन सकता है। जिला पर्यटन अधिकारी सुनैना शर्मा ने कहा कि नई मंजिलें नई राहें योजना में लगघाटी के रमणीय स्थल मठासौर के लिए रोपवे लगाया जाएगा। रोपवे के लिए विभाग ने साइट का निरीक्षण कर फाइल तैयार ली है। इसे अब सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। मठासौर के लिए रोप वे लगने से लगघाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
ईवीएम की सुरक्षा के लिए तैनात जवान। – फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग के बाद मतगणना से पहले अधिकारियों और कर्मचारियों को तीन चरणों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के मतगणना कें द्रों में एक दिन पहले अधिकारी ड्यूटी संभालेंगे। एक मतगणना केंद्र में सुविधा के अनुसार 10 से 14 तक मतगणना टेबल लगाए जाएंगे। मतगणना केंद्रों में उपलब्ध स्थान के आधार पर मतगणना के लिए टेबल की संख्या घटाई और बढ़ाई जा सकती है। एक मतगणना टेबल में एक सुपरवाइजर और एक सहायक की ड्यूटी लगाई जाएगी।
चुनाव विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वोटर ज्यादा हुए तो मतगणना केंद्र में ज्यादा संख्या में अधिकारी और कर्मचारी तैनात रहेंगे। इस बार मतगणना केंद्रों में 10 से 14 टेबल मतगणना के लिए लगाई जाएंगी। जिलों के चुनाव अधिकारी तय करेंगे कि प्रत्येक ंमतगणना केंद्र में कितनी मतगणना टेबल लगेंगी। अगर मतगणना केंद्र में खुला स्थान है तो अधिकतम 14 टेबल मतगणना के लिए लगाई जा सकेंगी। इससे यह सुविधा रहेगी कि मतगणना के काम कम से कम समय में पूरा हो सकेगा। अगर मतगणना कें द्र में स्थान की कमी है तो न्यूनतम 10 मेज मतगणना के लिए लगानी होंगी।
इसके अलावा मतगणना शुरू होने से पहले चुनाव अधिकारी मतगणना करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए तीन चरणों में प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करेंगे। इस दौरान इनको बताया जाएगा कि मतगणना से पहले किन बातों का ध्यान रखना है और मतगणना के बाद सूचना किन अधिकारियों तक पहुंचाई जानी है। राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी दलीप नेगी के अनुसार मतगणना केंद्रों में मतगणना टेबल की संख्या स्थान के हिसाब से तय होगी। चुनाव अधिकारी तय करेंगे कि मतगणना के लिए 10 से 14 तक कितनी टेबल लगाई जाएंगी। मतगणना से पहले अधिकारियों और कर्मचारियों को तीन चरणों में प्रशिक्षण दिया जाना है।
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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग के बाद मतगणना से पहले अधिकारियों और कर्मचारियों को तीन चरणों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के मतगणना कें द्रों में एक दिन पहले अधिकारी ड्यूटी संभालेंगे। एक मतगणना केंद्र में सुविधा के अनुसार 10 से 14 तक मतगणना टेबल लगाए जाएंगे। मतगणना केंद्रों में उपलब्ध स्थान के आधार पर मतगणना के लिए टेबल की संख्या घटाई और बढ़ाई जा सकती है। एक मतगणना टेबल में एक सुपरवाइजर और एक सहायक की ड्यूटी लगाई जाएगी।
चुनाव विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वोटर ज्यादा हुए तो मतगणना केंद्र में ज्यादा संख्या में अधिकारी और कर्मचारी तैनात रहेंगे। इस बार मतगणना केंद्रों में 10 से 14 टेबल मतगणना के लिए लगाई जाएंगी। जिलों के चुनाव अधिकारी तय करेंगे कि प्रत्येक ंमतगणना केंद्र में कितनी मतगणना टेबल लगेंगी। अगर मतगणना केंद्र में खुला स्थान है तो अधिकतम 14 टेबल मतगणना के लिए लगाई जा सकेंगी। इससे यह सुविधा रहेगी कि मतगणना के काम कम से कम समय में पूरा हो सकेगा। अगर मतगणना कें द्र में स्थान की कमी है तो न्यूनतम 10 मेज मतगणना के लिए लगानी होंगी।
इसके अलावा मतगणना शुरू होने से पहले चुनाव अधिकारी मतगणना करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए तीन चरणों में प्रशिक्षण की व्यवस्था भी करेंगे। इस दौरान इनको बताया जाएगा कि मतगणना से पहले किन बातों का ध्यान रखना है और मतगणना के बाद सूचना किन अधिकारियों तक पहुंचाई जानी है। राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी दलीप नेगी के अनुसार मतगणना केंद्रों में मतगणना टेबल की संख्या स्थान के हिसाब से तय होगी। चुनाव अधिकारी तय करेंगे कि मतगणना के लिए 10 से 14 तक कितनी टेबल लगाई जाएंगी। मतगणना से पहले अधिकारियों और कर्मचारियों को तीन चरणों में प्रशिक्षण दिया जाना है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए शुरू किए गए ऑरो स्कॉलर एप प्रोग्राम में अब चार विद्यार्थी अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। पूर्व में इस एप में एक समय में केवल एक ही विद्यार्थी रजिस्टर हो सकता था। अब नई सोसायटी ने नई व्यवस्था की है। अरविंद सोसायटी के सहयोग से स्कूलों में यह प्रोग्राम शुरू किया गया है। इस प्रोग्राम में सरकारी स्कूलों के पहली से बारहवीं तक के 12,000 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।
इस एप में विद्यार्थियों के लिए हर माह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता करवाई जाती है। जिसमें प्रत्येक विषय से 20 प्रश्न पूछे जाते हैं। विद्यार्थियों को आठ से दस प्रश्नों का सही हल करने पर प्रोत्साहिन राशि प्रदान की जाती है। एप में माध्यम से एक विद्यार्थी को एक माह में 50 से 1,000 रुपये की स्कॉलरशिप मिलती है। वर्ष 2020 में यह प्रोग्राम लांच किया गया था। जनवरी 2021 में इसे सुचारु रूप से लागू किया गया।
कोरोना काल में विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए यह प्रोग्राम कारगर साबित हुआ। इसमें विद्यार्थियों से पिछली कक्षा के पाठ्यक्रम के भी प्रश्र पूछे जाते हैं। ताकि उन्हें पिछली कक्षाओं में पढ़े गए विषय भी याद रहे। इस बारे में उच्चतर शिक्षा विभाग के उपनिदेशक बीडी शर्मा ने कहा कि स्कूल प्रमुखों को यह एप इंस्टाल करने के निर्देश और विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए कहा गया है।
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प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए शुरू किए गए ऑरो स्कॉलर एप प्रोग्राम में अब चार विद्यार्थी अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। पूर्व में इस एप में एक समय में केवल एक ही विद्यार्थी रजिस्टर हो सकता था। अब नई सोसायटी ने नई व्यवस्था की है। अरविंद सोसायटी के सहयोग से स्कूलों में यह प्रोग्राम शुरू किया गया है। इस प्रोग्राम में सरकारी स्कूलों के पहली से बारहवीं तक के 12,000 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।
इस एप में विद्यार्थियों के लिए हर माह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता करवाई जाती है। जिसमें प्रत्येक विषय से 20 प्रश्न पूछे जाते हैं। विद्यार्थियों को आठ से दस प्रश्नों का सही हल करने पर प्रोत्साहिन राशि प्रदान की जाती है। एप में माध्यम से एक विद्यार्थी को एक माह में 50 से 1,000 रुपये की स्कॉलरशिप मिलती है। वर्ष 2020 में यह प्रोग्राम लांच किया गया था। जनवरी 2021 में इसे सुचारु रूप से लागू किया गया।
कोरोना काल में विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए यह प्रोग्राम कारगर साबित हुआ। इसमें विद्यार्थियों से पिछली कक्षा के पाठ्यक्रम के भी प्रश्र पूछे जाते हैं। ताकि उन्हें पिछली कक्षाओं में पढ़े गए विषय भी याद रहे। इस बारे में उच्चतर शिक्षा विभाग के उपनिदेशक बीडी शर्मा ने कहा कि स्कूल प्रमुखों को यह एप इंस्टाल करने के निर्देश और विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए कहा गया है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022। – फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीते शनिवार को हुए मतदान के बाद अब पार्टी नेता और प्रत्याशी जीत-हार का आकलन करने में जुट गए हैं। रविवार को अवकाश के चलते कार्यकर्ताओं से बूथ आधार पर मतदाताओं का फीडबैक लिया। इसका गठजोड़ कर प्रत्याशी जीत और हार का गणित बैठा रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेता भी प्रभारियों सह प्रभारियों और नेताओं से फोन पर संपर्क कर विधानसभा सीट वाइज आकलन कर हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के गठजोड़ में लगे रहे।
चुनावी थकान के बाद ज्यादातर भाजपा और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों ने अपने घरों में ही अपने कार्यकर्ताओं के साथ समय बिताया। पार्टी की ओर से जिन कार्यकर्ताओं की एजेंट के तौर पर पोलिंग बूथों पर ड्यूटियां लगाई गई थीं, वे प्रत्याशियों को मतदाताओं की लिस्ट वाइज फीडबैक देते रहे। कहां पोलिंग कम हुई और कहां ज्यादा, इसका गठजोड़ करने में लगे रहे।
भाजपा और कांग्रेस पार्टी के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों का भी वोट वाइज आकलन किया गया। भाजपा के नेता और प्रत्याशी अपनी सरकार बना रहे हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी बहुमत का दावा ठोक रही है। निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत का दावा कर रहे हैं। इन नेताओं का गणित कितना सटीक बैठता है, इसका फैसला 8 दिसंबर को ईवीएम खोलने के बाद ही होगा।
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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीते शनिवार को हुए मतदान के बाद अब पार्टी नेता और प्रत्याशी जीत-हार का आकलन करने में जुट गए हैं। रविवार को अवकाश के चलते कार्यकर्ताओं से बूथ आधार पर मतदाताओं का फीडबैक लिया। इसका गठजोड़ कर प्रत्याशी जीत और हार का गणित बैठा रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेता भी प्रभारियों सह प्रभारियों और नेताओं से फोन पर संपर्क कर विधानसभा सीट वाइज आकलन कर हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के गठजोड़ में लगे रहे।
चुनावी थकान के बाद ज्यादातर भाजपा और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों ने अपने घरों में ही अपने कार्यकर्ताओं के साथ समय बिताया। पार्टी की ओर से जिन कार्यकर्ताओं की एजेंट के तौर पर पोलिंग बूथों पर ड्यूटियां लगाई गई थीं, वे प्रत्याशियों को मतदाताओं की लिस्ट वाइज फीडबैक देते रहे। कहां पोलिंग कम हुई और कहां ज्यादा, इसका गठजोड़ करने में लगे रहे।
भाजपा और कांग्रेस पार्टी के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों का भी वोट वाइज आकलन किया गया। भाजपा के नेता और प्रत्याशी अपनी सरकार बना रहे हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी बहुमत का दावा ठोक रही है। निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत का दावा कर रहे हैं। इन नेताओं का गणित कितना सटीक बैठता है, इसका फैसला 8 दिसंबर को ईवीएम खोलने के बाद ही होगा।
विधानसभा चुनाव में लोग हॉट सीटों पर बंपर वोटिंग के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। इसे कहीं बड़े नेता के समर्थन में हुआ मतदान बताया जा रहा है तो कहीं मौजूदा विधायक के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर (एंटी इनकंबेंसी) का असर माना जा रहा है। इस बार सीएम जयराम ठाकुर, मंत्री गोविंद ठाकुर, डॉ. राजीव सैजल और वीरेंद्र कंवर के अलावा नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के हलकों में जबरदस्त मतदान हुआ है।
प्रदेश में करीब 75 फीसदी मतदान हुआ है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र सराज में 82.10 प्रतिशत मत पड़े हैं। कांग्रेस से उनके खिलाफ इस बार भी चेतराम ठाकुर ने चुनाव लड़ा। उनसे जयराम वर्ष 2017 के विस चुनाव में 11,254 मतों से जीते थे। 2012 में उनके खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी तारा ठाकुर खड़ी थीं। इनसे जयराम 5,752 मतों से जीते थे। जयराम के खिलाफ सराज में एक माकपा, एक आप, एक बसपा और एक निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है।
शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर की सीट मनाली में 79.48 प्रतिशत मत पडे़ हैं। यहां गोविंद के खिलाफ कांग्रेस के अलावा भुवनेश्वर गौड़ समेत आप, बसपा आदि के पांच प्रत्याशी हैं। 2017 में गोविंद ठाकुर मनाली से कांग्रेस प्रत्याशी हरिचंद शर्मा से 3,005 मतों से जीते थे।
2012 में कांग्रेस प्रत्याशी भुवनेश्वर गौड़ से 3,198 मतों से जीते थे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल की सीट कसौली में 78.28 प्रतिशत वोट पड़े हैं। 2017 में डॉ. सैजल कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी से महज 442 मतों से जीते थे। 2012 में भी वह विनोद सुल्तानपुरी से महज 24 मतों से जीते थे। इस बार भी दोनों आमने-सामने हैं। इस सीट पर इस बार सात उम्मीदवार मैदान में हैं।
पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर के विधानसभा क्षेत्र कुटलैहड़ में 76.82 प्रतिशत मतदान हुआ है। कंवर के खिलाफ कुटलैहड़ में कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र कुमार हैं। 2017 के चुनाव में उन्होंने कांग्र्रेस प्रत्याशी विवेक शर्मा को 5,606 मतों से हराया था। 2012 के चुनाव में वीरेंद्र कंवर ने कांग्रेस के रामदास को 1,662 मतों से हराया था। कुटलैहड़ में इस बार एक आप और एक निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में है।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के हलके हरोली में 78.13 प्रतिशत मतदान हुआ है। मुकेश के खिलाफ चार उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है। इनमें भाजपा से पिछली बार की तरह प्रो. राम कुमार प्रत्याशी हैं। उनसे मुकेश 2017 के विधानसभा चुनाव में 7,377 मतों के मार्जिन से जीते थे। आप और बसपा से भी प्रत्याशी हैं। मुकेश 2012 में भी प्रो. राम कुमार से 5,172 मतों से जीते थे।
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विधानसभा चुनाव में लोग हॉट सीटों पर बंपर वोटिंग के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। इसे कहीं बड़े नेता के समर्थन में हुआ मतदान बताया जा रहा है तो कहीं मौजूदा विधायक के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर (एंटी इनकंबेंसी) का असर माना जा रहा है। इस बार सीएम जयराम ठाकुर, मंत्री गोविंद ठाकुर, डॉ. राजीव सैजल और वीरेंद्र कंवर के अलावा नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के हलकों में जबरदस्त मतदान हुआ है।
प्रदेश में करीब 75 फीसदी मतदान हुआ है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र सराज में 82.10 प्रतिशत मत पड़े हैं। कांग्रेस से उनके खिलाफ इस बार भी चेतराम ठाकुर ने चुनाव लड़ा। उनसे जयराम वर्ष 2017 के विस चुनाव में 11,254 मतों से जीते थे। 2012 में उनके खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी तारा ठाकुर खड़ी थीं। इनसे जयराम 5,752 मतों से जीते थे। जयराम के खिलाफ सराज में एक माकपा, एक आप, एक बसपा और एक निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है।
शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर की सीट मनाली में 79.48 प्रतिशत मत पडे़ हैं। यहां गोविंद के खिलाफ कांग्रेस के अलावा भुवनेश्वर गौड़ समेत आप, बसपा आदि के पांच प्रत्याशी हैं। 2017 में गोविंद ठाकुर मनाली से कांग्रेस प्रत्याशी हरिचंद शर्मा से 3,005 मतों से जीते थे।
2012 में कांग्रेस प्रत्याशी भुवनेश्वर गौड़ से 3,198 मतों से जीते थे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल की सीट कसौली में 78.28 प्रतिशत वोट पड़े हैं। 2017 में डॉ. सैजल कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी से महज 442 मतों से जीते थे। 2012 में भी वह विनोद सुल्तानपुरी से महज 24 मतों से जीते थे। इस बार भी दोनों आमने-सामने हैं। इस सीट पर इस बार सात उम्मीदवार मैदान में हैं।
पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर के विधानसभा क्षेत्र कुटलैहड़ में 76.82 प्रतिशत मतदान हुआ है। कंवर के खिलाफ कुटलैहड़ में कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र कुमार हैं। 2017 के चुनाव में उन्होंने कांग्र्रेस प्रत्याशी विवेक शर्मा को 5,606 मतों से हराया था। 2012 के चुनाव में वीरेंद्र कंवर ने कांग्रेस के रामदास को 1,662 मतों से हराया था। कुटलैहड़ में इस बार एक आप और एक निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में है।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के हलके हरोली में 78.13 प्रतिशत मतदान हुआ है। मुकेश के खिलाफ चार उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है। इनमें भाजपा से पिछली बार की तरह प्रो. राम कुमार प्रत्याशी हैं। उनसे मुकेश 2017 के विधानसभा चुनाव में 7,377 मतों के मार्जिन से जीते थे। आप और बसपा से भी प्रत्याशी हैं। मुकेश 2012 में भी प्रो. राम कुमार से 5,172 मतों से जीते थे।
जिला कुल्लू के सबसे दुर्गम पोलिंग बूथ शाक्टी, रशोल, मैल और मझाण में जमकर मतदान हुआ है। चारों पोलिंग बूथ में 73 फीसदी से 89 प्रतिशत तक वोटिंग हुई है। इन पोलिंग बूथों तक पहुंचने के लिए कर्मचारियों को आठ से 20 किलोमीटर तक पैदल सफर करना पड़ा। सभी बूथों से ईवीएम देर रात तक पहुंचीं। सबसे अधिक परेशानी अति दुर्गम पोलिंग बूथ शाक्टी की पोलिंग टीम को उठानी पड़ी।
टीम को ईवीएम बंजार तक पहुंचाने के लिए छह घंटे का समय लगा। नाले, जंगल और खतरनाक रास्तों से होते हुए पोलिंग पार्टी को 20 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ा। मोबाइल फोन की बैटरी के सहारे पोलिंग टीम निहारनी सड़क तक पहुंची। पोलिंग बूथ शाक्टी, मझाण और रशोल में शांतिपूर्ण मतदान हुआ। शाक्टी, मरौड़ और शुगाड़ गांव के लिए प्राइमरी स्कूल शाक्टी में बनाए गए पोलिंग स्टेशन में तीन गांवों के 96 वोटरों में से 42 पुरुष और 32 महिलाओं समेत 74 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
सैंज के ही मझाण में 222 मतदाताओं में से 163 में मतदान किया। यहां 80 पुरुषों के मुकाबले 83 महिलाओं ने वोट डाला। रशोल में 456 वोटरों में से 336 लोगों ने वोट किया। मैल पोलिंग बूथ में 113 में से 101 वोटरों ने लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी निभाई। यहां रिकॉर्ड 89.38 प्रतिशत वोटिंग हुई। सेक्टर अधिकारी बीर सिंह ने कहा कि शाक्टी, मैल और मझाण से कड़ी सुरक्षा के बीच ईवीएम बंजार स्थित स्ट्रांग रूम में पहुंचाई गई। दुर्गम क्षेत्र होने से पोलिंग पार्टियां रात 12:00 बजे तक बंजार पहुंची।
जिला के सबसे दुर्गम पोलिंग बूथों में मतदान प्रतिशत पोलिंग बूथ मतदान प्रतिशत शाक्टी 77.08 प्रतिशत रशोल 73.68 प्रतिशत मैल 89.38 प्रतिशत मझाण 73.42 प्रतिशत
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जिला कुल्लू के सबसे दुर्गम पोलिंग बूथ शाक्टी, रशोल, मैल और मझाण में जमकर मतदान हुआ है। चारों पोलिंग बूथ में 73 फीसदी से 89 प्रतिशत तक वोटिंग हुई है। इन पोलिंग बूथों तक पहुंचने के लिए कर्मचारियों को आठ से 20 किलोमीटर तक पैदल सफर करना पड़ा। सभी बूथों से ईवीएम देर रात तक पहुंचीं। सबसे अधिक परेशानी अति दुर्गम पोलिंग बूथ शाक्टी की पोलिंग टीम को उठानी पड़ी।
टीम को ईवीएम बंजार तक पहुंचाने के लिए छह घंटे का समय लगा। नाले, जंगल और खतरनाक रास्तों से होते हुए पोलिंग पार्टी को 20 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ा। मोबाइल फोन की बैटरी के सहारे पोलिंग टीम निहारनी सड़क तक पहुंची। पोलिंग बूथ शाक्टी, मझाण और रशोल में शांतिपूर्ण मतदान हुआ। शाक्टी, मरौड़ और शुगाड़ गांव के लिए प्राइमरी स्कूल शाक्टी में बनाए गए पोलिंग स्टेशन में तीन गांवों के 96 वोटरों में से 42 पुरुष और 32 महिलाओं समेत 74 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
सैंज के ही मझाण में 222 मतदाताओं में से 163 में मतदान किया। यहां 80 पुरुषों के मुकाबले 83 महिलाओं ने वोट डाला। रशोल में 456 वोटरों में से 336 लोगों ने वोट किया। मैल पोलिंग बूथ में 113 में से 101 वोटरों ने लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी निभाई। यहां रिकॉर्ड 89.38 प्रतिशत वोटिंग हुई। सेक्टर अधिकारी बीर सिंह ने कहा कि शाक्टी, मैल और मझाण से कड़ी सुरक्षा के बीच ईवीएम बंजार स्थित स्ट्रांग रूम में पहुंचाई गई। दुर्गम क्षेत्र होने से पोलिंग पार्टियां रात 12:00 बजे तक बंजार पहुंची।
जिला के सबसे दुर्गम पोलिंग बूथों में मतदान प्रतिशत
विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार सिरमौर जिले ने मतदान में हिमाचल का सिरमौर बनकर नया रिकार्ड दर्ज कर दिया है। शनिवार को संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जिले में प्रदेश में सबसे अधिक 79.92 फीसदी मतदान हुआ। यह आंकड़ा एक से दो फीसदी और भी बढ़ेगा। कारण साफ है। भारतीय सेना में तैनात जवानों के पोस्टल बैलेट पेपर आठ दिसंबर को सुबह सात बजे तक स्वीकार किए जाएंगे। लिहाजा, आंकड़ा 81 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है।
इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जिले में 82.03 फीसदी मतदान हुआ था। 2012 के विस चुनाव में भी सिरमौर जिला 79.93 फीसदी मतदान के साथ नंबर एक पर रहा था। इस विस चुनाव में सिरमौर जिले के शिलाई विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 84.21 प्रतिशत मतदान हुआ। दूसरे नंबर पर 81.45 प्रतिशत मतदान के साथ नाहन विधानसभा क्षेत्र रहा। श्री रेणुका जी विस में 78.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जो जिला में तीसरे नंबर पर दर्ज किया गया। वहीं पच्छाद में 78.30 प्रतिशत मतदान हुआ। जिले में सबसे कम 76.91 प्रतिशत मतदान पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र दर्ज किया गया।
2017 के चुनाव में भी सिरमौर ने मारी थी बाजी 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे अधिक मतदान करने में सिरमौर जिले ने ही बाजी मारी थी। जिले में इस चुनाव में 82.03 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस दौरान जिले के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशतता 78.25 प्रतिशत, नाहन में 82.81, श्री रेणुका जी में 77.60, पांवटा साहिब में 81.00 व शिलाई विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 86.44 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने जताया आभार जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त सिरमौर रामकुमार गौतम ने बताया कि जिले में कुल 79.92 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ है। पोस्टल बैलेट से मतदान जारी है। 8 दिसंबर को मतगणना से पहले सुबह 7 बजे तक मिलने वाले पोस्टल बैलेट मान्य होंगे। उपायुक्त ने माना कि प्रदेश में सबसे अधिक मतदान जिले सिरमौर में ही दर्ज हुआ। उन्होंने इसके लिए जिले के मतदाताओं के साथ-साथ चुनावी ड्यूटी में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा सुरक्षा में तैनात जवानों का भी आभार जताया।
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विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार सिरमौर जिले ने मतदान में हिमाचल का सिरमौर बनकर नया रिकार्ड दर्ज कर दिया है। शनिवार को संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जिले में प्रदेश में सबसे अधिक 79.92 फीसदी मतदान हुआ। यह आंकड़ा एक से दो फीसदी और भी बढ़ेगा। कारण साफ है। भारतीय सेना में तैनात जवानों के पोस्टल बैलेट पेपर आठ दिसंबर को सुबह सात बजे तक स्वीकार किए जाएंगे। लिहाजा, आंकड़ा 81 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है।
इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जिले में 82.03 फीसदी मतदान हुआ था। 2012 के विस चुनाव में भी सिरमौर जिला 79.93 फीसदी मतदान के साथ नंबर एक पर रहा था। इस विस चुनाव में सिरमौर जिले के शिलाई विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 84.21 प्रतिशत मतदान हुआ। दूसरे नंबर पर 81.45 प्रतिशत मतदान के साथ नाहन विधानसभा क्षेत्र रहा। श्री रेणुका जी विस में 78.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जो जिला में तीसरे नंबर पर दर्ज किया गया। वहीं पच्छाद में 78.30 प्रतिशत मतदान हुआ। जिले में सबसे कम 76.91 प्रतिशत मतदान पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र दर्ज किया गया।
2017 के चुनाव में भी सिरमौर ने मारी थी बाजी
2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे अधिक मतदान करने में सिरमौर जिले ने ही बाजी मारी थी। जिले में इस चुनाव में 82.03 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस दौरान जिले के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशतता 78.25 प्रतिशत, नाहन में 82.81, श्री रेणुका जी में 77.60, पांवटा साहिब में 81.00 व शिलाई विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 86.44 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने जताया आभार
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त सिरमौर रामकुमार गौतम ने बताया कि जिले में कुल 79.92 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ है। पोस्टल बैलेट से मतदान जारी है। 8 दिसंबर को मतगणना से पहले सुबह 7 बजे तक मिलने वाले पोस्टल बैलेट मान्य होंगे। उपायुक्त ने माना कि प्रदेश में सबसे अधिक मतदान जिले सिरमौर में ही दर्ज हुआ। उन्होंने इसके लिए जिले के मतदाताओं के साथ-साथ चुनावी ड्यूटी में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा सुरक्षा में तैनात जवानों का भी आभार जताया।