Astrology
lekhaka-Gajendra sharma
Bhadli
Navami
2023:
आषाढ़
मास
के
शुक्ल
पक्ष
की
एकादशी
अर्थात्
देवशयनी
एकादशी
से
चातुर्मास
प्रारंभ
होता
है
और
चार
मास
के
लिए
भगवान
विष्णु
योग
निद्रा
में
चले
जाते
हैं।
इस
बार
श्रावण
मास
का
अधिकमास
होने
के
कारण
चातुर्मास
पांच
महीने
का
होगा।
देवशयनी
एकादशी
से
विवाह,
मुंडन
आदि
मांगलिक
कार्यों
पर
प्रतिबंध
लग
जाता
है।

देवशयन
से
पूर्व
विवाह
का
अंतिम
शुभ
मुहूर्त
भड़ली
नवमी
होता
है।
यह
अबूझ
मुहूर्त
होता
है
अर्थात्
इस
दिन
विवाह
करने
के
लिए
पंचांग
शुद्धि
देखने
की
आवश्यकता
नहीं
होती
है।
इस
बार
भड़ली
नवमी
27
जून
2023
मंगलवार
को
आ
रही
है।
इसी
दिन
आषाढ़ी
गुप्त
नवरात्रि
का
समापन
भी
होता
है।
इसलिए
इस
दिन
देवी
मंदिरों
और
घरों
में
हवन-पूजन
आदि
कर
कन्या
पूजन
किया
जाता
है।
भड़ली
नवमी
के
ग्रह
संयोग
भड़ली
नवमी
के
दिन
नवमी
तिथि
रात्रि
3
बजकर
4
मिनट
तक
रहेगी।
हस्त
नक्षत्र
दोपहर
2:42
तक
पश्चात
चित्रा
नक्षत्र
लग
जाएगा।
इस
दिन
कन्या
राशि
का
चंद्र
और
मिथुन
राशि
का
सूर्य
रहेगा।
दोपहर
2.44
बजे
से
रवियोग
का
शुभ
संयोग
भी
रहेगा।
भगवान
विष्णु
लक्ष्मी
का
मिलता
आशीर्वाद
भड़ली
नवमी
के
दिन
सुख-समृद्धि
और
लक्ष्मी
की
प्राप्ति
के
लिए
व्रत
भी
रखा
जाता
है।
इस
दिन
व्रत
रखकर
भगवान
विष्णु
और
मां
लक्ष्मी
का
पूजन
किया
जाता
है।
सत्यनारायण
पूजा
की
तरह
ही
पूजन
किया
जाता
है।
एक
चौकी
पर
केले
के
पत्तों
से
मंडप
सजाकर
उसमें
लक्ष्मीनारायण
की
मूर्ति
या
तस्वीर
रखकर
पूजन
संपन्न
किया
जाता
है।
पंच
मेवे,
फल,
पंचामृत,
मिष्ठान्न
का
नैवेद्य
लगाकर
आरती
की
जाती
है
और
स्वजन
आदि
में
प्रसाद
का
वितरण
किया
जाता
है।
जो
लोग
चातुर्मास
में
व्रत
रखते
हैं
वे
भी
इसी
दिन
चातुर्मास
करने
का
संकल्प
भगवान
विष्णु
के
समक्ष
लेते
हैं।
विवाह
का
अंतिम
मुहूर्त
भड़ली
नवमी
के
दिन
बड़ी
संख्या
में
विवाह
संपन्न
होते
हैं।
देवशयन
से
पूर्व
यह
विवाह
का
अंतिम
शुभ
मुहूर्त
होता
है।
इसके
बाद
फिर
देवोत्थान
एकादशी
से
ही
विवाह
के
मुहूर्त
प्रारंभ
होते
हैं।
इस
बार
देवोत्थान
एकादशी
23
नवंबर
को
आएगी।
यह
पढ़ें:Kawar
Yatra
2023:
क्या
है
‘कांवड़
यात्रा’
का
इतिहास?
क्यों
‘नीलकंठ’
का
होता
है
जल-अभिषेक?
English summary
Bhadli Navami 2023 Today: Know Puja Vidhi, Vivah Shubh Muhurat in Hindi.