दिवाली पर इस बार चंडीगढ़ में लोगों ने खूब पटाखे फोड़े। असर ये हुआ कि बारूद के कणों ने शहर की आबोहवा को खतरनाक स्तर तक प्रदूषित कर दिया। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 100 से 150 के बीच रहा लेकिन दिवाली की रात हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण उच्चतर स्तर 500 प्रति घनमीटर तक घुल गए और हवा के साथ शरीर में प्रवेश करते रहे।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़ों के मुताबिक, शहर में दिवाली की रात से लेकर अगले दिन सुबह तक हवा में प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहा। दिवाली की रात लोगों ने जैसे ही पटाखे जलाने शुरू किए हवा प्रदूषित होनी शुरू हो गई। सेक्टर-22 के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र के अनुसार, शाम करीब छह बजे एक्यूआई 112 और हवा में पीएम 2.5 महज 53 रहा।
आतिशबाजी के दौरान रात 8 बजे एक्यूआई तो स्थिर रहा लेकिन हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 273 पर पहुंच गई जो रात 9 बजे 311, रात 10 बजे 358 और रात 11 बजे इंडेक्स के उच्चतम अंक 500 को छू गई। इसके बाद मंगलवार सुबह चार बजे तक यह 500 पर ही बनी रही। इसके बाद धीरे-धीरे कम हुई। पीएम 10 भी रात 11 बजे 500 तक पहुंच गया। रात 11 बजे एक्यूआई 112 ही रहा।
पर्यावरण विभाग के निदेशक देबेंद्र दलाई के अनुसार, पिछली बार के मुकाबले एक्यूआई में सुधार हुआ है। हालांकि सामान्य दिनों से दिवाली की रात वायु और ध्वनि प्रदूषण अधिक रहा। विभाग के इमटेक-39 और सेक्टर-12 के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र पर सबसे ज्यादा प्रदूषण रिकॉर्ड हुआ है।
ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ा सामान्य दिनों की तुलना में दिवाली के दिन शोर का स्तर भी बढ़ गया। सबसे अधिक शोर का स्तर सेक्टर-22 में पाया गया जो 76.9 डेसिबल (ए) था और सबसे कम शोर स्तर सेक्टर-25 में पाया गया जो कि शाम 8 बजे से रात 10 बजे के बीच 64.9 डेसिबल (ए) था।
क्या होता है पीएम 2.5? पीएम 2.5 प्रदूषक कणों की उस श्रेणी को संदर्भित करता है, जिसका आकार 2.5 माइक्रोन के करीब का होता है। ये बहुत छोटे कण होते हैं जो सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर गले में खराश, जलन और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। मुख्य रूप से आग, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण इसका स्तर बढ़ता है। पीएम 2.5 के बढ़ने के कारण धुंध छाने और साफ न दिखाई देने के साथ कई गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
कितना खतरनाक है पीएम 2.5 का बढ़ना
अमेरिका के शोध संगठन हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआई) द्वारा पेश की गई लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में दुनिया भर के 7,239 शहरों में पीएम 2.5 प्रदूषण के कारण 1.7 मिलियन मौतें हुईं। प्रति एक लाख आबादी पर दिल्ली में 106 और कोलकाता में 99 लोगों की मौत हुईं थीं। रिपोर्ट कहती है कि भारत और इंडोनेशिया में पीएम 2.5 प्रदूषण में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है जबकि चीन में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है।
23 अक्तूबर (दिवाली से एक रात पहले)
श्रेणी
रात 10 बजे
11 बजे
12 बजे
एक्यूआई
127
122
120
पीएम 2.5
120
107
83
पीएम 10
139
119
109
24 अक्तूबर (दिवाली की रात)
श्रेणी
रात 10 बजे
11 बजे
12 बजे
एक्यूआई
112
112
130
पीएम 2.5
500
500
500
पीएम 10
500
500
500
ध्वनि प्रदूषण
एरिया
समय
2018
2019
2020
2021
2019
सेक्टर-22
8-10 बजे
87.6
79.9
पटाखे नहीं जले
पटाखे नहीं जले
76.9
(स्टैंडर्ड वैल्यू शाम 6 बजे से 10 बजे तक – 55, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक- 45)
विस्तार
दिवाली पर इस बार चंडीगढ़ में लोगों ने खूब पटाखे फोड़े। असर ये हुआ कि बारूद के कणों ने शहर की आबोहवा को खतरनाक स्तर तक प्रदूषित कर दिया। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 100 से 150 के बीच रहा लेकिन दिवाली की रात हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण उच्चतर स्तर 500 प्रति घनमीटर तक घुल गए और हवा के साथ शरीर में प्रवेश करते रहे।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़ों के मुताबिक, शहर में दिवाली की रात से लेकर अगले दिन सुबह तक हवा में प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहा। दिवाली की रात लोगों ने जैसे ही पटाखे जलाने शुरू किए हवा प्रदूषित होनी शुरू हो गई। सेक्टर-22 के वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र के अनुसार, शाम करीब छह बजे एक्यूआई 112 और हवा में पीएम 2.5 महज 53 रहा।
आतिशबाजी के दौरान रात 8 बजे एक्यूआई तो स्थिर रहा लेकिन हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 273 पर पहुंच गई जो रात 9 बजे 311, रात 10 बजे 358 और रात 11 बजे इंडेक्स के उच्चतम अंक 500 को छू गई। इसके बाद मंगलवार सुबह चार बजे तक यह 500 पर ही बनी रही। इसके बाद धीरे-धीरे कम हुई। पीएम 10 भी रात 11 बजे 500 तक पहुंच गया। रात 11 बजे एक्यूआई 112 ही रहा।