सुशील कुमार, संवाद न्यूज एजेंसी, सुनाम ऊधम सिंह वाला (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sun, 26 Jun 2022 04:22 PM IST
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संगरूर से एक बार फिर सियासी बदलाव की लहर उठी है और इस ‘बदला..व’ की धमक लंबे अरसे तक सियासी फिजाओं में सुनाई देगी। उपचुनाव से हार जीत ही तय नहीं हुई है बल्कि लोगों ने अन्य सियासी दलों को भी आइना दिखाया है।
शिरोमणि अकाली दल इस उपचुनाव में पांचवें स्थान पर रहा और उसे मात्र 44428 वोट हासिल हुए हैं। इससे एक बार फिर सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं भाजपा भले ही चौथे स्थान पर रही है लेकिन उसे 66298 वोट मिले हैं। तीसरे स्थान पर रहने वाली कांग्रेस को 79668 वोट मिले हैं। ऐसे में उसे भी नए सिरे से मंथन करना होगा।
इस हार के साथ ही लोकसभा में आप की एंट्री बंद हो गई है। वहीं सिमरनजीत सिंह मान 23 साल बाद एक बार फिर बतौर सांसद संसद में प्रवेश करेंगे। संगरूर लोकसभा क्षेत्र का इतिहास रहा है कि यह सीट किसी एक दल की नहीं रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के बाद सिमरनजीत सिंह मान ही हैं जो इस सीट से दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। इससे पहले 1999 में सिमरनजीत सिंह मान लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। सिमरनजीत मान 1989 में तरनतारन लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं । जबकि मुख्यमंत्री भगवंत मान 2014 और 2019 में रिकॉर्ड मतों से संगरूर से जीत दर्ज कर इतिहास रच चुके हैं ।
आईपीएस अधिकारी रहे हैं सिमरनजीत सिंह मान
सिमरनजीत सिंह मान का जन्म शिमला का है और वे बड़े परिवार से ताल्लुक रखते हैं। मान, 1967 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं और 18 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। मान पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढू हैं। मान ने हमेशा गर्मपंथी राजनीति को बढ़ावा दिया है। हालांकि सियासी जानकार मानते हैं कि उनकी इस जीत में आप के प्रति लोगों में पनपे गुस्से का ज्यादा योगदान रहा है।
इस हार के साथ आम आदमी पार्टी की ओर से पंजाब मॉडल को हरियाणा, हिमाचल और गुजरात के होने वाले विधानसभा चुनाव में पेश करके लोगों को प्रभावित करने की मंशा पर भी ग्रहण लग गया है। आप को अर्श पर पहुंचाने वाले पंजाब ने तीन माह में उसे फर्श पर ला दिया है। आप की जद्दी सीट पर हार की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है।