A dead child was born, the ward boy came to take the newborn, the woman reached the ward and started treatment | मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ, वार्ड बॉय लेने आया नवजात, वार्ड में पहुंची महिला तो शुरू किया उपचार

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बांसवाड़ा26 मिनट पहले

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लेबर वार्ड के पास निगरानी में रखी गई प्रसूता। - Dainik Bhaskar

लेबर वार्ड के पास निगरानी में रखी गई प्रसूता।

जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में आदिवासी युवती के प्रसव में अनदेखी का मामला सामने आया है। जननी वार्ड के बाहर जीप में महिला के डिलीवरी होती रही और अस्पताल के डॉक्टर सब कुछ देखते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। उन्होंने इमरजेंसी में जीप तक पहुंचकर प्रसूता को संभालने का जोखिम नहीं उठाया। इसके चलते महिला के मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ। डिलीवरी होने के बाद भीतर से वार्ड बॉय आकर मरा हुआ बच्चा ले गया। इसके बाद वार्ड में पहुंची महिला का उपचार शुरू हुआ। खास तो तब रहा, जब डॉक्टर से इस अनदेखी को लेकर सवाल पूछे गए तो वह बगले झांकने लगा। यह तक कहते दिखा कि बच्चा तो पहले से ही खराब था। लेकिन, खराब बच्चा पूरे नौ महीने बाद हुआ। इसका डॉक्टर के पास जवाब नहीं था। मामला बांसवाड़ा के महात्मा गांधी जिला अस्पताल का है।

प्रसूता के साथ आया देवर, जो बोला कि डिलीवरी के बीच कोई डॉक्टर झांकने नहीं आया।

प्रसूता के साथ आया देवर, जो बोला कि डिलीवरी के बीच कोई डॉक्टर झांकने नहीं आया।

दरअसल, केलामेला में रहने वाली मीरा (26) पत्नी जानमल नाम की महिला के प्रसव का दर्द उठा। ये देख उसका देवर दिनेश और सास उसे लेकर केलामेला PHC पहुंचे। वहां फर्स्ट डिलीवरी को क्रिटिकल स्वीचवेशन बताकर महिला को समीपवर्ती CHC पीपलखूंट (प्रतापगढ़) भेजा गया, लेकिन संडे होने के कारण वहां से भी स्टाफ ने बांसवाड़ा रेफर कर दिया। इसके बाद परिवार खुद के खर्च पर जीप कर बांसवाड़ा पहुंचा। यहां जननी वार्ड के सामने जैसे ही जीप पहुंची पीड़िता का दर्द बढ़ गया। वह जीप से नीचे नहीं उतर पाई और जीप में नवजात को जन्म दिया। डिलीवरी की सूचना के बावजूद भीतर बैठे डॉ. पवन कुमार शर्मा अनदेखी करते रहे। वह मरीज को भीतर वार्ड में लाने की दलीलें देते भी दिखे। बाद में वार्ड बॉय जीप तक पहुंचा और बच्चे को मरा हुआ बताते हुए भीतर ले गया। कुछ देर बाद प्रसूता भी भीतर पहुंची, जहां लेबर वार्ड के पास उसे 24 घंटे की निगरानी में रखा गया है।

26 जनवरी को हुई सोनोग्राफी की रिपोर्ट।

26 जनवरी को हुई सोनोग्राफी की रिपोर्ट।

सोनोग्राफी रिपोर्ट में मेढक जैसे सिर का बच्चा
26 जनवरी को सोनोग्राफी रिपोर्ट में बच्चे का कोनजिनाइटल मॉल फॉर्म में होना पाया गया था। ऐसे बच्चे में जन्मजात विकृति होती है। मुंह मेढक की तरह होता है, जिसे विज्ञान की भाषा में एनएन कैफेली बोलते हैं। धड़कन चलती रहती है। कायदे से ऐसे बच्चे की सफाई कराना ही उचित माध्यम होता है। लेकिन, अज्ञानता और अनपढ़ होने के कारण परिवार ने ये कदम नहीं उठाया।

डिलीवरी के दौरान सीट पर बैठे डॉक्टर कैमरा देख कतराते दिखे।

डिलीवरी के दौरान सीट पर बैठे डॉक्टर कैमरा देख कतराते दिखे।

डॉक्टर का ऐसा जवाब
डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि बच्चे में जन्मजात बीमारी थी। जीप यहां पहुंची तब बच्चा हो चुका था। वार्ड बॉय बच्चे को लेकर आया था। बच्चा मरने के बाद जच्चा को बचाने की जिम्मेदारी होती है। हमने उसे लेबर रूम में लेकर विधिवत दवाई दी और ड्रिप भी दी। वह खतरे के बाहर है। बच्चा तो पहले ही हो चुका था।

महिला का रिपोर्ट कार्ड।

महिला का रिपोर्ट कार्ड।

ACB में ट्रेप हो चुके हैं डॉक्टर
ACB रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2019 में डॉ. पवन शर्मा सिजेरियन के बदले में मरीज के परिजन से रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जा चुके हैं। करीब 48 घंटे जेल में भी बिताए हैं। बावजूद इसके आज तक वह सस्पेंड नहीं हुए। उनकी नौकरी यथावत है।

मानवीय धर्म पूरा करें डॉक्टर

इधर, अस्पताल के PMO डॉ. रवि शर्मा ने कहा कि डॉक्टर को उसका धर्म पूरा करना चाहिए। पूरे कैंपस में भी कहीं ऐसी समस्या आती है तो उन्हें जाना चाहिए। अभी उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। पता करेंगे, उचित निर्देश देंगे।

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