47 Lakhs Given Earlier To Make Dpr, Now 5 Crores Approved Again – Smart City Project: शिमला में डीपीआर बनाने के लिए पहले दिए 47 लाख, अब 5 करोड़ फिर मंजूर
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए डीपीआर बनाने के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अब एक कंपनी को पांच करोड़ रुपये देकर जो डीपीआर तैयार करवाई जा रही है, वह साल 2011 में नगर निगम बना चुका है। 290 पेज की इस डीपीआर को बनाने के लिए उस वक्त 47 लाख रुपये खर्च किए थे। जेएनएनयूआरएम के तहत एक नामी कंपनी से शिमला का सिटी मोबिलिटी प्लान बनवाया था। नगर निगम के अधिकारियों की निगरानी में कंपनी ने जो डीपीआर बनाई थी, उसमें भी शहर में दो बड़ी टनल, फ्लाईओवर बनाने के सपने दिखाए थे। यह डीपीआर 4,701 करोड़ रुपये की थी। इसका काम साल 2031 तक पूरा करने का टारगेट था।
डीपीआर बनाने के बाद कंपनी अपना 47 लाख रुपये लेकर चलती बनी। नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र से बजट मांगा लेकिन मंजूरी से पहले इस प्लान पर कुछ आपत्तियां लग गईं। निगम ने आपत्तियां ठीक कर दोबारा प्लान केंद्र को भेजा लेकिन इसके बावजूद इस मंजूरी नहीं मिली। बाद में पैसा न मिलने के बाद यह डीपीआर फाइलों में डंप कर दी गई। अब स्मार्ट सिटी मिशन में शिमला को पैसा तो मिला लेकिन किसी को यह डीपीआर नहीं मिली। इस डीपीआर के कई प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के पैसों से धरातल पर उतर सकते थे। स्मार्ट सिटी मिशन के प्रबंध निदेशक मनमोहन शर्मा ने कहा कि उन्हें नगर निगम में बनी ऐसी डीपीआर की जानकारी नहीं है। निगम आयुक्त आशीष कोहली ने कहा कि उनके समय में ऐसी कोई डीपीआर नहीं बनी है। चेक करने पर ही कुछ बता पाएंगे।
अब स्मार्ट सिटी से बन रही डीपीआर अब स्मार्ट सिटी मिशन से इसी प्लान पर डीपीआर बनवाई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि यह डीपीआर नगर निगम की तरह हवा हवाई नहीं होगी। इसमें हर प्रोजेक्ट का विस्तृत प्लान बनेगा। इसके बाद केंद्र से इस पर मंजूरी लेकर बजट मांगा जाएगा। इस डीपीआर में ही शिमला शहर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बन रहे तीन फ्लाईओवर का डिजायन भी तैयार किया जा रहा है। एचपीआरआईडीसी के अनुसार बालूगंज, टुटीकंडी क्रॉसिंग और विधानसभा में तीनों के डिजाइन तैयार है, जल्द ही इनके टेंडर कॉल किए जाएंगे।
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए डीपीआर बनाने के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अब एक कंपनी को पांच करोड़ रुपये देकर जो डीपीआर तैयार करवाई जा रही है, वह साल 2011 में नगर निगम बना चुका है। 290 पेज की इस डीपीआर को बनाने के लिए उस वक्त 47 लाख रुपये खर्च किए थे। जेएनएनयूआरएम के तहत एक नामी कंपनी से शिमला का सिटी मोबिलिटी प्लान बनवाया था। नगर निगम के अधिकारियों की निगरानी में कंपनी ने जो डीपीआर बनाई थी, उसमें भी शहर में दो बड़ी टनल, फ्लाईओवर बनाने के सपने दिखाए थे। यह डीपीआर 4,701 करोड़ रुपये की थी। इसका काम साल 2031 तक पूरा करने का टारगेट था।
डीपीआर बनाने के बाद कंपनी अपना 47 लाख रुपये लेकर चलती बनी। नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र से बजट मांगा लेकिन मंजूरी से पहले इस प्लान पर कुछ आपत्तियां लग गईं। निगम ने आपत्तियां ठीक कर दोबारा प्लान केंद्र को भेजा लेकिन इसके बावजूद इस मंजूरी नहीं मिली। बाद में पैसा न मिलने के बाद यह डीपीआर फाइलों में डंप कर दी गई। अब स्मार्ट सिटी मिशन में शिमला को पैसा तो मिला लेकिन किसी को यह डीपीआर नहीं मिली। इस डीपीआर के कई प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के पैसों से धरातल पर उतर सकते थे। स्मार्ट सिटी मिशन के प्रबंध निदेशक मनमोहन शर्मा ने कहा कि उन्हें नगर निगम में बनी ऐसी डीपीआर की जानकारी नहीं है। निगम आयुक्त आशीष कोहली ने कहा कि उनके समय में ऐसी कोई डीपीआर नहीं बनी है। चेक करने पर ही कुछ बता पाएंगे।
अब स्मार्ट सिटी से बन रही डीपीआर
अब स्मार्ट सिटी मिशन से इसी प्लान पर डीपीआर बनवाई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि यह डीपीआर नगर निगम की तरह हवा हवाई नहीं होगी। इसमें हर प्रोजेक्ट का विस्तृत प्लान बनेगा। इसके बाद केंद्र से इस पर मंजूरी लेकर बजट मांगा जाएगा। इस डीपीआर में ही शिमला शहर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बन रहे तीन फ्लाईओवर का डिजायन भी तैयार किया जा रहा है। एचपीआरआईडीसी के अनुसार बालूगंज, टुटीकंडी क्रॉसिंग और विधानसभा में तीनों के डिजाइन तैयार है, जल्द ही इनके टेंडर कॉल किए जाएंगे।