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कश्मीरी नेता मीरवाइज उमर फारूक के कार्यक्रम में हमला, तोड़फोड़ और उपद्रव फैलाने के 12 साल पुराने मामले में चंडीगढ़ जिला अदालत ने शुक्रवार को चंडीगढ़ की पूर्व मेयर आशा जसवाल समेत 19 भाजपा नेताओं को बरी कर दिया। वर्ष 2010 में इस मामले में 22 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। आरोपियों में से संतोष शर्मा और कुलदीप कौल की मृत्यु हो चुकी है जबकि भाजपा नेता कुलजीत को अदालत भगोड़ा घोषित कर चुकी है। अदालत में सुनवाई के दौरान गवाहों ने आरोपियों को पहचानने से इन्कार कर दिया जिसके बाद उन्हें मामले से बरी कर दिया गया।
आरोप तय करने में लगे 10 साल
इस मामले में आरोपी रहे भाजपा नेताओं के खिलाफ आरोप तय करने में 10 साल लग गए। मामला 2010 में दर्ज किया गया था और अदालत में 17 फरवरी 2020 को भाजपा नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए थे।
ये था मामला
25 नवंबर 2010 को हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारूक चंडीगढ़ सेक्टर-35 स्थित किसान भवन में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। इस दौरान कश्मीरी पंडितों ने एतराज जताया और हंगामा शुरू कर दिया था। जब मीरवाइज ने कार्यक्रम में कश्मीर और भारत-पाक संबंधों पर बोलना शुरू किया था तभी कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया था। गुस्साए लोगों ने मीरवाइज से माइक छीन लिया था और हाथापाई तक की थी।
इन नेताओं के खिलाफ दर्ज किया गया था केस
मीरवाइज उमर फारूक के कार्यक्रम में तोड़फोड़, हमला व उपद्रव फैलाने के मामले में भाजपा नेता सुनीता धवन, चंडीगढ़ की पूर्व मेयर आशा जसवाल, चेतन संधू, संजीव कुमार, सत्यवान, अरविंद राणा, संजय कौल, अमित राणा, हेमंत, सोनांशु, दिनेश चौहान, संजीव वर्मा, विजय सिंह, सुनील कांसल, परवेश शर्मा, ऊषा शर्मा, देवश्री, मीना शर्मा, सतिंदर सिंह, संतोष शर्मा, कुलदीप कौल और राजिंदर कौर के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 323 व अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया था।