हरपुरा मड़िया के लोग ट्रैक्टर में टंकी रखकर, सूरज बावरी में महिलाएं डेढ़ किलोमीटर दूर से ला रहीं पानी | The people of Harpura Madiya by keeping the tank in the tractor, women in Suraj Bawri are bringing water from one and a half kilometer away.

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टीकमगढ़35 मिनट पहले

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टीकमगढ़ जिले के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। यह बात सीएम शिवराज सिंह चौहान को तो खल रही है लेकिन जिले के अधिकारी इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायतों के लोग आज भी पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।

जबकि जल जीवन मिशन रेट्रोफिटिंग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की व्यवस्था के लिए 194 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। फिर भी ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है। शुक्रवार को भास्कर की टीम ने तीन गांव चरपुआ,हरपुरा मड़िया और गनेशगंज की स्थिति देखी तो वहां महिलाएं, बच्चे और युवा तपती दोपहरी में पानी के लिए परेशान होते दिखे।

बीते दिनों वीसी के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने कलेक्टर से गांव में पेयजल सुविधाएं बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि इन गांव के लोगों के लिए पानी की क्या व्यवस्था की जाती हैं। टीकमगढ़ जिले के 192 गांव में जल जीवन मिशन के तहत 194 करोड़ 27 लाख रुपए से 192 टंकियों का निर्माण कार्य किया जाना है। फिर भी यह गांव योजनाओं से अभी से कोसों दूर हैं।

महिलाएं डेढ़ किलो मीटर दूर से ला रहीं पानी

महिलाएं डेढ़ किलो मीटर दूर से ला रहीं पानी

एक हजार की आबादी वाले सुरज बावरी की महिलाएं डेढ़ किलो मीटर दूर से ला रहीं पानी

ग्राम पंचायत चरपुआ के सूरज बावरी गांव के लोग पीने के पानी को लेकर जूझ रहे हैं। एक हजार की आबादी वाले इस गांव की महिलाएं सुबह, दोपहर और शाम पानी भरने में जुटी रहती हैं। तपती धूप में भी महिलाओं को पानी के लिए डेढ़ किलो मीटर दूर जाना पड़ता है।

क्योंकि गांव में लगे 8 हैंडपंप में से 2 ही चालू हैं। वह भी चलते-चलते बीच में पानी छोड़ देते हैं। गांव के देवेंद्र यादव ने बताया कि चरपुआ में पानी टंकी का निर्माण हुआ है, लेकिन वहां से यह गांव तीन किलो मीटर दूर पड़ता है। जिससे यहां पर पाइप लाइन नहीं डाली गई। लक्ष्मी अहिरवार का कहना है कि गांव में लोगों के निजी बोर से पानी भरकर लाते हैं, तब पूर्ति हो पाती है।

गांव में व्यवस्था नहीं, ट्रैक्टर-ट्रॉली में बड़े बर्तन रखकर निजी बोर पर दूसरे गांव से ला रहे पानी

ग्राम पंचायत हरपुरा मड़िया में ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है। गांव वालों की प्यास निजी बोर से मिट रही है। जबकि यह बेटियों का गांव कहलाता है। पंचायत के मेन बस्ती की आबादी 900 है। यहां के लोग एक हैंडपंप के भरोसे हैं। गांव में और भी हैंडपंप लगे हैं, लेकिन उनमें शुद्ध पानी नहीं निकलता।

जिससे ग्रामीण निजी बोर से पानी भरने जाते हैं। श्रीधर लोधी ट्रैक्टर-ट्रॉली में ड्रम रखकर बस्ती से आधा किलो मीटर दूर देवी सिंह के बोर पर पानी भरने पहुंचे। श्रीधर लोधी ने बताया कि हर रोज पानी के लिए इसी तरह से व्यवस्था करनी पड़ती है। गांव में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां के ग्रामीण निजी बोर के भरोसे हैं।

गनेशगंज में बोर की लाइन समय पर नहीं खुलती, एक हैंडपंप के सहारे 1200 लोग

ग्राम पंचायत गनेशगंज-मानिकपुरा दो भागों में बंटा हुआ है। मानिकपुरा में टंकी का निर्माण तो किया गया लेकिन गनेशगंज में पानी की समस्या बनी हुई है। गनेशगंज की 1200 आबादी में मात्र तीन हैंडपंप लगे हुए हैं। जो दो मुख्य मार्ग पर व एक गांव के अंदर लगा है। गांव में लगे हैंडपंप से ही महिलाएं व बच्चे पानी भरते हैं।

जबकि गांव में बोरवेल से पानी सप्लाई की व्यवस्था है। इसके बावजूद भी समय पर बोरवेल की लाइन खोली नहीं जाती है। जिससे महिलाओं को मजबूरन हैंडपंप से पानी भरना पड़ता है। गनेशगंज में पानी की व्यवस्था पर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।जबकि गांव जामनी नदी के नजदीक है। पाइप लाइन डालकर ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराया जा सकता है।

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