संजय त्रिपाठी को जेल में आया था पैरालिसिस अटैक, कोर्ट की परमिशन पर भोपाल में दिया जा रहा इलाज | Rewa Circuit House Rape Case: Sanjay Tripathi got paralysis attack in jail

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रीवा32 मिनट पहले

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  • 26 मई को केन्द्रीय जेल रीवा के बैरक नंबर 4 के पास बिगड़ी थी तबीयत

रीवा शहर के बहुचर्चित सर्किट हाउस (राजनिवास) रेपकांड में बलात्कारी बाबा सीतारामदास उर्फ समर्थ त्रिपाठी के मददगार संजय त्रिपाठी को भोपाल स्थित हमीदिया अस्पताल में भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो 26 मई की सुबह केन्द्रीय जेल रीवा के बैरक नंबर 4 के पास अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। दावा है कि संजय त्रिपाठी बेहोश होकर गिर गए थे।

तब जेल में प्राथमिक उपचार कर देर शाम संजय गांधी स्मृति हॉस्पिटल रेफर किया गया था। यहां हालत को गंभीर देखते हुए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में दाखिल किया। वहीं पैरालिसिस अटैक आने की संभावनाओं के चलते परिजन न्यायालय पहुंचे। कोर्ट की परमिशन पर भोपाल के हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया। जहां बंदी वार्ड में भर्ती कर पुलिस कस्टडी में इलाज हो रहा है।

ये है मामला
सूत्रों की मानें तो बैरक नंबर-4 में संजय त्रिपाठी सुबह बेहोश होकर गिर गए थे। तब उनके मुंह से फेचकुर (झाग) निकलने लगा। तुरंत जेल प्रहरियों ने अधीक्षक सहित चिकित्सक को सूचना देकर अन्य कैदियों की मदद से जेल अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन संजय त्रिपाठी का बीपी और शुगर बढ़ा हुआ था। हालांकि कई लोगों ने दावा किया था कि पैरालिसिस अटैक है।

जेल प्रबंधन बरत रहा था सतर्कता
वहीं संजय पहले से ही बड़ी बीमारियों के गिरफ्त में थे। ऐसे में तत्काल जेल अस्पताल में दाखिल कर टीटमेंट शुरू हुआ। जेल मुख्यालय से मिले मार्गदर्शन के बाद संजय की तबियत को देखते हुए एसजीएमएच रेफर किया है। बता दें कि संजय त्रिपाठी पर दो दर्जन से ज्यादा पुराने मामले चल रहे है। जिसे देखते हुए जेल प्रबंधन पूरी सतर्कता बरत रहा था।

बेटी ने लगाए इलाज पर लापरवाही के आरोप
संजय त्रिपाठी की बेटी ने जेल अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया था। दावा किया कि पैरालिसिस अटैक आने के बावजूद जेल प्रबंधन हीला-हवाली करता रहा। आरोप लगाया कि रीवा में न्यूरो सर्जन नहीं है। जबकि बेहतर उपचार के लिए भोपाल जाना जरूरी था। अंतत: कोर्ट की परमिशन मिलने के बाद सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने रेफर बनाया।

पैर से सिर की ओर बढ़ रहा लकवा
बेटी ने दावा किया कि तीसरे दिन सिर की ओर लकवा बढ़ रहा था। जबकि पैर पूरी तरह से गिरफ्त में आ चुके थे। कुछ चिकित्सकों ने कहा था कि पैरालिसिस अटैक उपर की ओर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे मे 8 से 10 घंटे के भीतर बेहतर इलाज जरूरी है। तब कहीं जाकर शनिवार की शाम रीवा के ​चिकित्सकों ने रेफर बनाया। जिसके बाद रविवार की भोर भोपाल पहुंचकर अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां पुलिस कस्टडी में बंदी वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू हो गया है।

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