सहारनपुर12 मिनट पहले
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मौलाना अरशद मदनी
वो सितम न ढाए तो क्या करे उसे क्या ख़बर कि वफ़ा है क्या?
तू उसी को प्यार करे है क्यूं ये ‘कलीम’ तुझ को हुआ है क्या?
तुझे संग-दिल ये पता है क्या कि दुखे दिलों की सदा है क्या? कभी चोट तू ने भी खाई है कभी तेरा दिल भी दुखा है क्या? तू रईस-ए-शहर-ए-सितम-गरां मैं गदा-ए-कूचा-ए-आशिक़ां तू अमीर है तो बता मुझे मैं गरीब हूं तो बुरा है क्या? तू जफ़ा में मस्त है रोज़-ओ-शब मैं कफ़न-ब-दोश ओ ग़ज़ल-ब-लब तिरे रोब-ए-हुस्न से चुप हैं सब मैं भी चुप रहूँ तो मज़ा है क्या?
देवबंद के शाही ईदगाह मैदान पर कॉन्फ्रेंस में जमीयत उलमा-ए-हिंद (महमूद गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद मदनी ने यह शेर पढ़ा और आजकल देश में चल रहे हालातों पर चिता जताई। उन्होंने भाजपा और आरएसएस का नाम लिए बगैर सब कुछ कह दिया। उन्होंने कहा कि इस मुल्क को मुसलमानों ने अपने खून से सींचकर आजाद कराया है। इस मुल्क में बसने वाले लोगों में अकसरीयत (मैज्योरिटी) उन लोगों के लिए नहीं है, जो नफरत के पुजारी है।
जो जरूरत के खिलाड़ी है, उनके लिए अकसरीयत नहीं है। जो लोग पहले छोटी संख्या में थे, वह अब ज्यादा नजर आ रहे हैं। यदि हमने उनके नजरिए ये जवाब देना शुरू कर दिया, तो वह अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। और यह उनके लिए खुशनसीबी है कि अकसरीयत खामोश है। साइलेंट मैज्योरिटी ही सही है। उन्होंने कहा कि नफरत का बाजार और दुकानें खोलने वाले लोग, मुल्क के दुश्मनों के एजेंट है। नफरत का जवाब नफरत से नहीं दिया जाता है।
आग को पानी और नफरत को प्रेम से बुझाया जाता है
मदनी ने कहा कि याद रखना आग को आग से नहीं बुझाया जाता है। उसके लिए पानी चाहिए। यहीं सबक नफरत का है। नफरत को नफरत से नहीं बल्कि मोहब्बत से बुझाया जाता है। देश में नफरत फैलाने वाले लोग यदि यह सोच रहे हैं कि वह एक कोम को उकसाकर कुछ गलत करा लेंगे, तो यह संभव नहीं है।
हमारे बुजुर्गों ने खून से सींचा है देश
महमूद मदनी ने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने देश के लिए बड़ी कुर्बानी दी है। अपने खून से सींचकर देश को आजाद कराया है। यह हमारी जींस और बुनियाद में है। हम हर चीज बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन वतन ए अजीज की सलामती के खिलाफ चलने वालों को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बाते तो बहुत लोग राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र सुरक्षा की करते हैं। लेकिन जमीन पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।
अन्याय, हत्याचार और गालियां खाकर चुप रहना हमारे से सीखें
उन्होंने कहा कि जुल्म बर्दाश्त कर लेना, अन्याय और हत्याचार को सह लेना। गालिया खा लेना, बेइज्जत होकर भी खामोश रहना हमसे सीखें। उन्होंने कहा कि किसी भी बात कर रिएक्शन देना बड़ा आसान है। यह एक आम आदमी भी कर सकता है। तुम हमारे बड़ों को गालिया दोगे, बेइज्जत करोगे। हम तुम्हारे को बेइज्जत करेंगे। यह हर कोई कर सकता है, लेकिन मुसलमान नहीं कर सकता है।