इंदौर4 घंटे पहले
लालबाग में चल रहे मालवा उत्सव में शनिवार शाम मनिहारी रास, थापटी, गदली, प्राचीन गरबा और ढाल तलवार, कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। यूं तो सभी प्रस्तुतियां सुंदर रहीं, लेकिन रामाष्टकम ने कुछ अलग प्रभाव डाला। स्थानीय कलाकार संतोष देसाई व उनके समूह द्वारा द्वारा रामाष्टकम वेदव्यास द्वारा रचित है। भगवा परिधानों में 12 लड़कियों ने इस पर शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया। शंखध्वनि और मंगल भवन अमंगलहारी के ओजपूर्ण गायन से प्रस्तुति और प्रभावी बनी।
नृत्य में दिखाई कृष्ण की प्रतीक्षा करती मीरा
गुजरात के कलाकारों का मनिहारी रास भी उम्दा था। नृत्य कुछ फॉर्मेंशंस बहुत अच्छे बनाए गए। ध्रुपद डांस एकेडमी के आशीष पिल्लई और उनके शिष्यों द्वारा “बरसे बदरिया सावन की’ बोल पर कृष्ण की प्रतीक्षा करती मीरा के मन की व्यथा को बादलों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। ज्योत्सना सोहनी और शिष्याओं ने देवी अहिल्या के इंदौर प्रथम आगमन के प्रसंग को नृत्य के माध्यम से दिखाया। उन्होंने मां अहिल्या के स्वागत का दृश्य रचा। नर्मदाष्टकम भी प्रस्तुत किया।
कर्नाटक के कलाकारों के ढोल कुनीथा नृत्य ने किया अचंभित
कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले से आए कलाकारों द्वारा ढोल कुनीथा नृत्य जिसमें 12 से 15 कलाकारों ने बड़े-बड़े ढोल को जोर जोर से बजा कर उछल उछल कर नृत्य किया और पिरामिड बनाकर सबको अचंभित किया।