नाटक में दिखाई वीर सावरकर की कहानी, लंबे नरेशंस और स्क्रीन प्रेज़ेंटेशन से अप्रभावी रही प्रस्तुति | The story of Veer Savarkar, seen in the play, was ineffective with long narrations and screen presentation

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इंदौरएक घंटा पहले

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स्वतंत्रता सेनानी, कवि और विचारक वीर सावरकर (विनायक दामोदर सावरकर) पर आधारित एक प्रस्तुति शनिवार शाम शहर में दी गई। माधव खाडिलकर के लिखे महानाट्य अनादि मी अनंत मी… के हिंदी वर्जन अनादि मैं, अनंत मैं का मंचन अविरत नाट्य समूह ने किया। प्रस्तुति प्रभावी हो सकती थी, लेकिन डांस, ड्रामा, किस्से-कहानियों और लंबे-लंबे नरेशंस के कारण वह रसायन बन ही नहीं पाया। हालांकि सभागार पूरा भरा था लेकिन प्रस्तुति अप्रभावी थी।

90 मिनट की इस प्रस्तुति में कभी अभिनय, कभी नरेशन तो कभी नृत्य के माध्यम से वीर सावरकर की जीवनयात्रा, उनका संघर्ष, उनका बलिदान मंचित किया गया। प्रस्तुति में अभिनय सशक्त लेकिन नरेशन अति नाटकीय रहा। नाटक का दृश्य, दर्शकों के भाव उत्कर्ष पर आते और अचानक ब्लैकआउट हो जाता। फिर दो युवा मंच पर आते व बड़े नाटकीय अंदाज में कहानी सुनाते। जब दृश्य का विकल्प हो तो श्रव्य में कितनों की रुचि रहेगी। यह महानाट्य असल में लगभग 4 घंटे का है और इसका 90 मिनट में इस पैकेज के रूप में दिखाया गया जिसमें अभिनय, नरेशन, एलसीडी स्क्रीन पर स्लाइड्स और नृत्य-गीत शामिल थे, लेकिन लंबे-लंबे गीत नृत्य छोटे कर दिए जाते या न होते तो अभिनय को और जगह मिल जाती। जो भी दर्शक इसे नाटक समझ कर देखने आए उन्हें ये नरेशन और बार-बार आते ब्लैक आउट व्यवधान समान ही महसूस हुए और उससे रसक्षति हुई।

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