दुनिया के सबसे रेडियोएक्टिव इंसान, 83 दिनों तक रोता रहा खून के आंसू, गिरने लगी थी स्कीन

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Atomic Plant Accident: एटॉमिक एनर्जी में इस्तेमाल किए जाने वाला रेडियोएक्टिव पदार्थ यूरेनियम सबसे खतरनाक माना जाता है. इसकी चपेट में आने के बाद इंसान जीवित नहीं रह पाता है. एक ऐसा ही भयानक दुर्घटना जापान के एटॉमिक प्लांट में हुआ, जिसमें एक कर्मचारी रेडिएशन के सबसे हाई लेवल की चपेट में आ गया. ऐसा रेडिएशन इंसान ने कभी नहीं झेला होगा. रेडिएशन इतना खतरनाक था कि वह शख्स 83 दिनों तक खून के आंसू रोता रहा और उसकी स्कीन गलकर गिरने लगी थी.

हिसाशी ओची नामक शख्स ने टोकैमुरा एटॉमिक एनर्जी प्लांट में एक साथ ही को यूरेनियम डालने में मदद कर रहा था. आम तौर पर एक हाइड्रोलिक पंप द्वारा किया जाता है, लेकिन उनके नंगे हाथों के इस्तेमाल से कमरे में तीन लोग इस खतरनाक रेडिएशन की चपेट में आ गए. इसके बाद तुरंत ही तीनों में व्यक्तियों में जो सबसे ज्यादा रेडिएशन की चपेट में था, वह मुश्किल से सांस ले पा रहा था. वह अजीब तरीके से उल्टी कर रहा था. जब उसे अस्पताल लाया गया, तब पता चला कि उस इंसान के पास को व्हाइट ब्लड सेल्स नहीं बचा है, तो डॉक्टरों के होश उड़ गए.

रेडिएशन का इफेक्ट पूरे शरीर में दिखने लगा और उसकी आंखों से खून रिस रहा था. यह तब से था जब पैंतीस वर्षीय औची की पीड़ा शुरू हुई, डॉक्टरों ने उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध जीवित रखने के लिए मेडिकल साइंस के साथ प्रभावी रूप से प्रयोग किया. ओची को 17 सीवर्ट रेडिएशन अवशोषित करने के लिए पाया गया था, जो मानव पर पहले या बाद में कभी नहीं हुआ था.

अस्पताल में डॉक्टरों ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन और स्टेम सेल ग्राफ्ट के माध्यम से उसे जीवित रखने का काम किया. ऑपरेशन एक चिकित्सीय सफलता थी और उसे जीवित रखा, लेकिन ओची के लिए यह बहुत दर्दनाक था. उसने कथित तौर पर चिल्लाना जारी रखा: ‘मैं इसे और नहीं ले सकता! मैं गिनी पिग नहीं हूं!’ अस्पताल में अपने 59वें दिन, औची को तीन हार्ट अटैक हुए, लेकिन हर बार डॉक्टर उसके परिवार के अनुरोध पर उसे पुनर्जीवित करने में सक्षम रहे.

83 दिनों की अकथनीय पीड़ा के बाद औची के शरीर ने हार मान ली और कई अंगों की विफलता के कारण उनकी मृत्यु हो गई. तकनीशियनों के पर्यवेक्षक, युताका योकोकावा ने भी उपचार प्राप्त किया, लेकिन मामूली रेडिएशन की वजह से तीन महीने बाद उन्हें छोड़ दिया गया. बाद में उन पर अक्टूबर 2000 में लापरवाही का आरोप लगाया गया.

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