हाइलाइट्स
प्रदूषित पदार्थों से भरे विमानवाहक पोत को डुबाने की तैयारी में ब्राजील
पर्यावरणविदों ने की इस निर्णय की आलोचना
पर्यावरणविदों ने इसे पर्यावरण के लिए बताया बेहद हानिकारक
ब्राजीलिया. ब्राजील (Brazil) अटलांटिक सागर पर कुछ ऐसा करने जा रहा है जिसकी पर्यावरणविदों ने आलोचना की है. ब्राजील अपने एक जहरीले पदार्थों से भरे 3000 टन के विमानवाहक पोत को डुबाने की योजना बना रहा है. यह महीनों से क्षतिग्रस्त अवस्था में अटलांटिक में है. इसमें भारी मात्रा में प्रदूषण पदार्थ भरे हुए हैं. नौसेना और रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि लगभग छह दशक पुराने युद्धपोत, साओ पाउलो को अब खत्म कर दिया जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जहाज के बढ़ते जोखिम को देखते हुए, इसे नियोजित (नियंत्रित) करने के लिए डूबने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. पर्यावरणविदों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि यह जहरीले पदार्थों से भरा हुआ है जो पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है.
न्यू एजेंसी साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पर्यावरणविदों ने इस निर्णय पर हमला करते हुए कहा कि विमान वाहक में टन अभ्रक, भारी धातु और अन्य जहरीले पदार्थ होते हैं जो पानी में रिस सकते हैं और समुद्री खाद्य श्रृंखला को प्रदूषित कर सकते हैं. बेसल एक्शन नेटवर्क (BAN) के निदेशक, जिम पकेट ने ब्राजील की नौसेना पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यदि वे बेहद जहरीले जहाज को अटलांटिक महासागर में डंप करते हैं तो वे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधियों की शर्तों का उल्लंघन करेंगे. इस बीच, फ्रांसीसी पर्यावरण समूह रॉबिन डेस बोइस ने जहाज को 30,000 टन का जहरीला पैकेज कहा.
पिछले साल ही थी नष्ट करने की प्लानिंग
गौरतलब है कि पिछले साल, ब्राजील ने तुर्की की फर्म सोक डेनिज़िलिक को स्क्रैप धातु के लिए साओ पाउलो को नष्ट करने के लिए अधिकृत किया था. लेकिन अगस्त में, जैसे ही एक टगबोट इसे भूमध्य सागर में ले जाने वाली थी, तुर्की के पर्यावरण अधिकारियों ने इस योजना को रोक दिया. ब्राजील ने तब विमानवाहक पोत को वापस लाया, लेकिन पर्यावरण के लिए उच्च जोखिम का हवाला देते हुए इसे बंदरगाह में नहीं जाने दिया. ब्राजील की नौसेना ने कहा कि उसने जहाज को ब्राजील के तट से 350 किमी (215 मील) की दूरी पर 5,000 मीटर गहरे पानी में खींचा. नौसेना ने इसे ऑपरेशन के लिए सबसे सुरक्षित क्षेत्र कहा.
आपको बता दें कि फ़्रांस में 1950 के दशक के उत्तरार्ध में निर्मित इस विमानवाहक पोत को नौसेना ने 37 वर्षों तक चलाया. विमानवाहक पोत ने 20वीं शताब्दी के नौसैनिक इतिहास में एक स्थान अर्जित किया. इसने 1960 के दशक में प्रशांत क्षेत्र में फ्रांस के पहले परमाणु परीक्षणों और 1970 से 1990 के दशक में अफ्रीका, मध्य पूर्व और पूर्व यूगोस्लाविया में तैनाती में भाग लिया.
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FIRST PUBLISHED : February 03, 2023, 08:17 IST