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- His Sister in law Will Feed Raskheer To The President On His ArrivalSaid, We Like Lalla Very Much, The Friends Who Brought Him Into Politics Said Will Demand To Set Up Industry In The Area
कानपुर देहातएक मिनट पहले
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भाभी अपने देवर के आगमन को लेकर काफी उत्साहित हैं। वे कहती हैं, “हमाए लल्ला को रसखीर खाना बहुत पसंद है। जब भी आते हैं तो यही कहते हैं कि भाभी रसियाउर(रसखीर) बनाओ। 3 जून को भी मैं उनके लिए रसखीर बनाकर ले जाऊगी।” राष्ट्रपति के आगमन पर परिवार के साथ–साथ कानपुर देहात में रहने वाले उनके दोस्त भी तैयारियों में जुटे हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दोनों बड़े भाइयों का परिवार झींझक में रहता है। बड़े भाई शिवबालक का निधन हो चुका है। प्यारेलाल और उनका परिवार साथ–साथ रहता है। राष्ट्रपति के भतीजे पंकज कोविंद कहते हैं कि उनके (राष्ट्रपति) आगमन को लेकर घर में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। हम सभी काफी उत्साहित हैं।

राष्ट्रपति के भाई प्यारेलाल कोविंद का परिवार भी स्वागत करने के लिए उत्साहित है।
परिवार के 16 लोग करेंगे मुलाकात
पिछले महीने ही उनके (राष्ट्रपति) कहने पर मम्मी( गंगाजली) की आंखों का ऑपरेशन हुआ है। मम्मी का स्वास्थ्य सही नहीं है। फिर भी वे राष्ट्रपति के लिए रसखीर बनाकर ले जाएंगी। अभी तक परिवार के सभी लोगों की लिस्ट प्रशासन के अधिकारियों के पास पहुंचा दी गई है। तीन जून को परिवार के सभी 16 लोग राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।
राष्ट्रपति के तीन दोस्तों की कहानियां, जो उन्हें राजनीति में लेकर आए…
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राजनीति क्षेत्र में लाने में तीन लोगों का विशेष तौर पर महत्व है। इनमें एक हरिकिशोर वर्मा हैं और दूसरे डॉ. सुरेश द्विवेदी। एक दोस्त मुन्नी लाल अग्निहोत्री ( मुन्नी पंडित) का निधन हो चुका है। अब जब राष्ट्रपति दूसरी बार अपने गांव जा रहे हैं तो दोस्तों की यादें ताजा हो गई हैं।

टिकट के लिए पैरवी की और राजनीति में उतारा
हरिकिशोर वर्मा की झींझक में ज्वैलरी शॉप है। वे 90 के दशक में विश्व हिंदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष थे। भाजपा के नेताओं के साथ अच्छी बातचीत थी। हरिकिशोर वर्मा बताते हैं कि साल 1991 में हम लोगों ने बैठक की। हमें एक ऐसे उम्मीदवार की तलाश थी, जो शालीन और मिलनसार हो। ऐसे में हमने अपने मित्र रामनाथ कोविंद को बुलाया, वे तब वकालत की प्रैक्टिस कर रहे थे। उनका राजनीति से कोई सरोकार नहीं था।

राष्ट्रपति भवन में मुलाकात करने पहुंचे थे हरिकिशोर वर्मा।
टिकट दिलाने के लिए पैरवी की थी
बीजेपी के संगठन के नेताओं से बातचीत की। उन्हें घाटमपुर लोकसभा से टिकट दिलवाने के लिए पैरवी की। पहली बार उन्होंने (रामनाथ कोविंद) घाटमपुर लोकसभा से बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ा था। हालांकि, वो चुनाव रामनाथ कोविंद हार गए थे। घाटमपुर लोकसभा चुनाव के बाद ही उनके पॉलिटिकल करियर की शुरुआत हुई। अब जब उनसे मुलाकात होगी, तो क्षेत्र के युवाओं के रोजगार को लेकर बात करूंगा।
राष्ट्रपति बनने के तीन घंटे बाद ही फोन आया था
25 जुलाई 2017 को 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने शपथ ली थी। हरकिशोर वर्मा ने बताया कि शपथ लेने के तीन घंटे बाद ही उनके दोस्त (रामनाथ कोविंद) ने फोन किया था। हालांकि, उस वक्त मैं किसी कारणवश फोन उठा नहीं पाया था, लेकिन आधे घंटे बाद फिर फोन आया। राष्ट्रपति बनने की बधाई दी। उन्होंने रुंधे गले से कहा, “वर्मा जी यह उपलब्धि आप सभी के स्नेह का फल है जल्द ही यहां आइए।” इसके बाद एक कार्यक्रम में उनको झींझक बुलाया था, कार्यक्रम में स्वागत के दौरान जब मैं माला पहनाने पहुंचा तो उन्होंने कहा, “ वर्मा जी आप माला न पहनाया करें, यह मुझे अच्छा नहीं लगता है”

8 सितंबर 2017 को राष्ट्रपति से मुलाकात करते उनके दोस्त डॉ. सुरेश द्विवेदी।
दोस्तों को मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन बुलाया था
डॉ. सुरेश द्विवेदी कहते हैं कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से करीब 30 साल पुरानी दोस्ती है। जब वे राष्ट्रपति बने तो उन्होंने हम सभी को मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन बुलाया। 8 सितंबर 2017 को हम सभी उनसे मिलने पहुंचे। पहली बार हम अपने मित्र को राष्ट्रपति भवन के गलियारों में घूमते देख रहे थे, लगा कि जैसे जीवन का कोई सपना सच हो गया है। हमको देखते ही उन्होंने गले से लगा लिया।

क्षेत्र के विकास को लेकर आज भी नाराजगी जता लेते हैं
डॉ. सुरेश द्विवेदी कहते हैं कि रामनाथ कोविंद देश के सर्वोच्च पद पर हैं, लेकिन वे उतने ही सरल हैं। हम अधिकार के तौर पर उनसे अब भी लड़ाई कर लेते हैं। कई बार उनसे अपनी नाराजगी तक जाहिर कर देते हैं। क्षेत्र के विकास कार्यों की धीमी गति को लेकर कई बार उनसे बातचीत की। राष्ट्रपति भवन से पत्राचार भी किया। कई ऐसी मांगे हैं, जो आज भी लंबित हैं, जैसे झींझक को जिला बनाने की मांग, स्पोर्ट्स स्टेडियम बनाने की मांग, प्रोफेशनल इंस्टी्टयूट बनाने को लेकर कई बार लिख चुका हूं। उनसे इस बारे में मुलाकात भी कर चुका हूं। अब जब दूसरी बार वो अपने गांव आ रहे हैं तो उनसे मिलकर इस बारे में चर्चा करूंगा।

27 जून 2021 को परौंख पहुंचने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परौंख की धरती को नमन किया था।
आज भी उनके दिल में बसता है परौंख
डॉ. सुरेश द्विवेदी कहते हैं कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सात बार मुलाकात हो चुकी है। जब भी उनसे बातचीत होती है तो वो झींझक और परौंख के बारे में जरूर पूछते हैं। वहां की समस्याओं के बारे में सुनते हैं। आज भी उनके दिल में परौंख बसता है। स्कूल के दिनों के दोस्तों के नाम आज भी उन्हें याद हैं। अपने टीचर्स के नाम उन्हें याद हैं। 27 जून को वे परौंख आए थे। तो हेलीकॉप्टर से उतरते ही उन्होंने परौंख की धरती के पैर छुए थे। वो कहते हैं कि क्षेत्र के विकास के लिए जो आपको करना है करिए, मैं हर कदम पर आपके साथ खड़ा हूं। झींंझक स्टेशन पर कई ट्रेनों के स्टॉपेज भी उनकी पैरवी के बाद ही मिले हैं।

परौंख में योग पार्क और ओपन जिम का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
गांव में तैयारियां, आसपास के जिलों में हाई अलर्ट
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आगामी जून को कानपुर देहात आएंगे। इसके लिए प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। आसपास के जिलों में चेकिंग अभियान चल रहा है। वहीं, खुफिया विभाग के अधिकारी जिले में पहुंचकर नजर रख रहे हैं।

राष्ट्रपति के आगमन की तैयारियों को लेकर तैयार किया जा रहा है मंच।
माना जा रहा है कि राष्ट्रपति के इस दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी साथ रहेंगे। ऐसे में कानपुर देहात से सटे जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।