एक साथ 35 बच्चे पढ़ सकेंगे, DM ने की प्रयास की तारीफ | 35 children will be able to study together, DM praised the effort

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गाजियाबादएक घंटा पहले

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15 साल की ईशानी अग्रवाल अभी क्लास 10 की स्टूडेंट है। उन्होंने गाजियाबाद के डासना इलाके में बच्चों के पढ़ने के लिए एक लाइब्रेरी बनवाई है। इसके लिए ईशानी ने रिश्तेदारों से मिले रुपए और पूरी पॉकेटमनी खर्च कर दी। इस लाइब्रेरी में एक साथ 35 बच्चे बैठकर पढ़ सकते हैं। सबसे पहले ईशानी के बारे में विस्तार से जानते हैं…

15 वर्षीय ईशानी अग्रवाल कक्षा-10 की छात्रा है।

15 वर्षीय ईशानी अग्रवाल कक्षा-10 की छात्रा है।

राजस्थान में शिक्षा से वंचित बच्चे दिखे तो मन में आया ख्याल
ईशानी अग्रवाल मूल रूप से दिल्ली में प्रीत विहार की रहने वाली है। पिता आकाश हैं। मां सिरौना अग्रवाल गाजियाबाद की आदित्य वर्ल्ड सिटी में एक प्राइवेट स्कूल में बतौर डायरेक्टर कार्यरत हैं। ईशानी बताती हैं कि एक बार वो राजस्थान टूर पर गई थीं। वहां उन्होंने ऐसे बच्चों को देखा, जो शिक्षा से वंचित थे।

उसी वक्त ईशानी के मन में ख्याल आया कि इन बच्चों की शिक्षा के लिए भी कुछ होना चाहिए। ईशानी ने अपने बर्थडे, रक्षाबंधन, भैयादूज, दिवाली समेत सभी त्यौहारों पर मिलने वाले रुपए इकट्ठा करने शुरू कर दिए। ईशानी ने पॉकेटमनी में मिलने वाले रुपयों को भी इसी बचत में शामिल किया। फाइनली करीब तीन महीने पहले ईशानी ने डेढ़ लाख रुपए इकट्ठा कर लिए।

15 अगस्त को यहां जिला प्रशासन के सहयोग से किताब प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें काफी भीड़ उमड़ी।

15 अगस्त को यहां जिला प्रशासन के सहयोग से किताब प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें काफी भीड़ उमड़ी।

15 साल से जर्जर पड़ा था बारातघर
इसी महीने ईशानी की मां सिरौना अग्रवाल गाजियाबाद की अपर जिला मजिस्ट्रेट (ADM) प्रशासन ऋतु सुहास के पास एक सिलसिले में गई हुई थीं। वहां पर उन्होंने ADM को बताया कि उनकी बेटी अपनी पॉकेटमनी को जरूरतमंद बच्चों पर खर्च करना चाहती है। बस फिर क्या था, एडीएम ने उनको किताबघर का आइडिया दे दिया। गाजियाबाद के कस्बा डासना में सरकारी स्कूल के पास एक बारातघर पिछले 15 साल से जर्जर पड़ा था।

किताबघर पर पहुंचे डीएम ने ईशानी के हौंसले की जमकर तारीफ की।

किताबघर पर पहुंचे डीएम ने ईशानी के हौंसले की जमकर तारीफ की।

बच्चों के लिए सुंदर चेयर और टेबल
एडीएम ने इसी बारातघर में किताबघर बनवाने का आइडिया सिरौना अग्रवाल को दिया। करीब एक महीने की मेहनत में जर्जर बारातघर ने किताबघर का रूप ले लिया। खुद ईशानी ने इसे रेनोवेट करने में मदद की। किताबें रखने के लिए सुंदर अलमारियां बनाई गई हैं। वहीं बच्चों को बैठने के लिए कुर्सी और टेबिल की व्यवस्था की गई है। यहां पर एक बार में 35 बच्चे बैठकर पढ़ सकते हैं। बारातघर को किताब का रूप देने में जिला प्रशासन, ईशानी और एक स्वयंसेवी संस्था का सहयोग रहा।

डीएम ने आश्वस्त किया कि किताबघर को और भव्य बनाने के प्रयास जारी रहेंगे।

डीएम ने आश्वस्त किया कि किताबघर को और भव्य बनाने के प्रयास जारी रहेंगे।

किताब प्रदर्शनी में पहुंचे डीएम
15 अगस्त पर ईशानी अग्रवाल ने किताबघर में प्रदर्शनी का आयोजन किया। गाजियाबाद के जिलाधिकारी (DM) राकेश कुमार सिंह, एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास आदि अधिकारी इसे देखने के लिए पहुंचे। डीएम ने ईशानी के जज्बे की सराहना की। उन्होंने कहा, छोटी सी उम्र में शिक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करने की जो मुहिम ईशानी ने चलाई है, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है।

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